LUCKNOW:निजीकरण के लिए कंसल्टेंट रखने की पुनः तैयारी,क्लिक करें औरे भी खबरें

  • REPORT BY: AAJNATIONAL NEWS ||AAJNATIONAL NEWS DEASK

लखनऊ। कुछ समय की शांति के बाद उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की दिशा में अपने कदम फिर से बढ़ा दिए हैं। प्रबंधन निजीकरण के प्रस्ताव को नए सिरे से एनर्जी टास्क फोर्स में प्रस्तुत करने जा रहा है। टास्क फोर्स की बैठक में निजीकरण का प्रारूप तय करने के लिए कंसल्टेंट तय करने के प्रस्ताव को अनुमोदित कराने की तैयारी है। एनर्जी टास्क फोर्स की यह बैठक गुरुवार को शासन में होनी है।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक एनर्जी टास्क फोर्स की पूर्व में हुई बैठक में लिए गए फैसलों को आगे बढ़ाने का प्रस्ताव इस बार प्रस्तुत किया जा रहा है। कंसल्टेंट चयन के मुद्दे पर टाक्स फोर्स का अनुमोदन लिया जाएगा। पिछले प्रस्ताव की कमियों को दूर करने का प्रस्ताव भी रखा जाएगा। उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के अधिक घाटे को देखते हुए इन दोनों कंपनियों को समाप्त कर पांच नई कंपनियां बनाते हुए पीपीपी माडल पर निजी क्षेत्र को दिए जाने का फैसला लिया है। इस फैसले के लागू होने पर प्रदेश की 75 में से 42 जनपदों की बिजली व्यवस्था निजी हाथों में चली जाएगी।उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन प्रबंधन द्वारा दो बिजली कंपनियों के निजीकरण का प्रस्ताव नये सिरे से एनर्जी टास्क फोर्स में ले जाने की भनक विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश को भी लगी है। संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि वह इस मामले में हस्तक्षेप करें, और निजीकरण के प्रस्ताव को मंजूरी न दें। निजीकरण के फैसले से ऊर्जा निगमों में माहौल खराब हो रहा है। निजीकरण पर फैसला से पहले उत्तर प्रदेश व अन्य प्रदेशों में हुए निजीकरण के प्रयोगों की समीक्षा किए जाने की मांग की है।

चेयरमैन ने बिजली कार्यालयों में ईआफिस और वायोमैट्रिक हाजरी पर दिए निर्देश

पावर कारपोरेशन के चेयरमैन डा. आशीष कुमार गोयल ने ई-आफिस के तहत कार्यालयी कामकाज की समीक्षा के दौरान निर्देश दिए कि विद्युत निगमों के समस्त कार्यालय पेपरलेस होकर ई-ऑफिस के रूप में कार्य करें इसमें और तेजी लाई जाए। जिससे उपभोक्ता सेवाएं तथा अन्य विभागीय कार्यों में समयबद्धता एवं पारर्दशिता सुनिश्चित की जा सके। उन्होंने कहा कि कार्यालयों की कार्य संस्कृति में और सुधार के लिए बायोमैट्रिक उपस्थिति की व्यवस्था होगी।

चेयरमैन ने कहा कि कहा कि उपभोक्ताओं और निगम हित में प्रदेश के सभी विद्युत कार्यालय ई-आफिस पर ही काम करेंगे। कारपोरेशन मुख्यालय और डिस्काम मुख्यालयों पर ई-आफिस शुरू हो चुका है। प्रदेश के अन्य सभी विद्युत कार्यालयों में भी इसे तेजी से लागू किया जाए। उन्होंने कहा कि विद्यु सामग्री की गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके और निर्धारित मानक के अनुरूप सामग्री की क्वालिटी हो इसके लिए सभी डिस्कॉम हाईटेक लैब स्थापित करेंगे। इससे ट्रांसफार्मर, मीटर तथा कंडक्टर सहित समस्त विद्युत उपकरणों का क्वालिटी कंट्रोल और बेहतर होगा। चेयरमैन ने बायोमैट्रिक हाजिरी की व्यवस्था को जल्द से जल्द डिस्कामों में स्थापित किए जाने के निर्देश दिए।

इतिहास न भूले, 2004 में सीएजी के अनुसार पावर सेक्टर रिफॉर्म हो चुका फेल
-उपभोक्ता की दलील, पुनः गलती दोहराने की कोशिश और कंसल्टेंट की तलाश उचित नहीं

प्रदेश पावर कॉरपोरेशन दक्षिणांचल व पूर्वांचल को निजीकरण करने के लिए जो ट्रांजैक्शन एडवाइजर (कंसल्टेंट) रखने की तैयारी कर रहा है। उपभोक्ता परिषद के अनुसार गलती पहले भी पावर कारपोरेश कर चुका है। वर्ष 2000 में जब उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद यूपीएसईबी को विघटित किया गया और यह दावा किया था कि उपभोक्ता सेवा में और ऊर्जा क्षेत्र में व्यापक सुधार होगा। उस समय भी यूपीएसईबी को तोडने के लिए प्राइस वाटर हाउस कूपर नामक एक कंसलटेंट लगभग 13 करोड 53 लाख में रखा गया था। अंततः यूपीएसईबी को उत्तर प्रदेश राज विद्युत उत्पादन निगम, उत्तर प्रदेश जल विद्युत निगम, उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड व कानपुर इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कंपनी केस्को के रूप में 4 भागों में बांट दिया गया था। इस पर ने नया खुलासा करते हुए बताया कि वर्ष 2004 में जब महालेखाकार सीएजी द्वारा पावर सेक्टर रिफॉर्म पर एक रिव्यू रिपोर्ट जारी की गई उसमें पूरी तरह यूपीएसईबी के रिफॉर्म को असफल बताते हुए एटीण्डसी लॉस बढने, कलेक्शन एफिशिएंसी कम होने और यूपीपीसीएल को घाटा, उपभोक्ता सेवा में गिरावट,, उत्पादन के क्षेत्र में भी गिरावट की टिप्पणी की गई थी।
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री को पुराने इतिहास को देखने के लिए पुरानी पत्रावलियों का अध्ययन करने से स्वतः पता चल जाएगा कि यूपीएसईबी को तोड़ने के बाद जब पूरी बागडोर प्रदेश के सीनियर नौकरशाहों के हाथ में दी गई तब से लगातार बिजली कंपनियों का घाटा बढता गया। जो घाटा 2000 में 77 करोड था वह आज 1 लाख 10 हजार करोड पर पहुंच गया। ऐसे में पुराने इतिहास को देखते हुए उचित होगा कि यूपीएसईबी भी को पुन बहाल किया जाए। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा सीएजी ऑडिट द्वारा 2004 में यूपीएसईबी को 4 भागों में बांटने के बाद बने बिजली निगम के रिफॉर्म को असफल बताया जा चुका है, फिर अब पुनः पावर कॉरपोरेशन उसी रास्ते पर क्यों चलने जा रहा है। इसका मतलब की पावर कारपोरेशन को प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं व ऊर्जा क्षेत्र के विकास से कोई मतलब नहीं है। उसे केवल निजीकरण करके उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने की योजनाएं से मतलब है। यह बहुत गंभीर मामला है इसलिए आगे अब निजीकरण की प्रक्रिया पर तत्काल ऊर्जा हित में उपभोक्ताओं के हित में और प्रदेश हित में रोक लगा दी जानी चाहिए।

प्रस्ताव दोबारा लाने के पहले अन्य प्रांतों के निजीकरण की समीक्षा जरूरी

-निजीकरण के प्रस्ताव से बिगड़ रहा ऊर्जा निगमों का माहौल: संघर्ष समिति

संघर्ष समिति ने कहा कि दिसंबर माह में पावर कार्पाेरेशन प्रबंधन द्वारा पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का जो प्रस्ताव एनर्जी टास्क फोर्स को भेजा गया था, ऐसा पता चला है कि वह प्रस्ताव तकनीकी एवं व्यावहारिक कारणों से इसे सरकार ने स्वीकार नहीं किया था।। अब पता चला है कि पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन ने पुनः निजीकरण का प्रस्ताव दिया है जिस पर एनर्जी टास्क फोर्स की होने वाली बैठक में निर्णय लिया जाने वाला है। संघर्ष समिति ने कहा कि प्रयागराज में हो रहे महाकुम्भ के दौरान बिजली कर्मी पूरे प्रदेश खासकर महाकुंभ में श्रेष्ठतम बिजली व्यवस्था बनाए रखने हेतु लगे हुए हैं ऐसे में निजीकरण के इन प्रस्तावों से बिजली कर्मियों में भारी गुस्सा है और अनावश्यक तौर पर ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशांति का वातावरण बन रहा है।
संघर्ष समिति ने एक बार पुनः कहा कि बिजली कर्मचारियों का प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के प्रति पूरा विश्वास है। बिजली कर्मी लगातार बिजली व्यवस्था के सुधार में जुटे हुए हैं और माननीय योगी आदित्य नाथ जी की सरकार में बिजली के क्षेत्र में बहुत ही गुणात्मक सुधार हुआ है। बिजली कर्मी आने वाले वर्ष में ए टी एंड सी हानियों को राष्ट्रीय मानक 15 प्रतिशत के नीचे लाने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि आर डी एस एस स्कीम में हजारों करोड़ रुपए खर्च करने से प्रणाली में सुधार के परिणाम तेजी से आ रहे है। इतनी धनराशि खर्च करके जब इंफ्रास्ट्रक्चर को सुदृढ़ किया जा रहा है तब इसे निजी घरानों को सौंपना किसी भी प्रकार प्रदेश के हित में नहीं है। संघर्ष समिति ने कहा कि विद्युत वितरण के निजीकरण का प्रयोग उत्तर प्रदेश में आगरा और ग्रेटर नोएडा में किया गया है । देश के में कुछ अन्य स्थानों पर भी विद्युत वितरण का निजीकरण किया गया है। इस प्रयोग के विफल रहने के कारण कई स्थानों पर निजीकरण के करार रद्द किए जा चुके हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश जैसे देश के सबसे बड़े प्रांत में बिजली के निजीकरण का कोई भी प्रयोग करने के पहले निजीकरण के किए गए प्रयोगों का बहुत विस्तृत अध्ययन करने की जरूरत है। साथ ही बिजली के सबसे बड़े स्टेक होल्डर घरेलू बिजली उपभोक्ताओं, किसानों और बिजली कर्मचारियों से विस्तृत विचार विमर्श किए बगैर निजीकरण की कोई भी पहल अनुत्पादक साबित होगी। संघर्ष समिति ने कहा कि बिजली के निजीकरण से होने वाले नुक्सान से आम उपभोक्ताओं, किसानों और बिजली कर्मचारियों को अवगत कराने हेतु बिजली पंचायत आयोजित करने के कार्यक्रम जारी रहेंगे।

निजीकरण के संबंध मं संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री आन्दोलन कार्यक्रम

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति पकपूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के निर्णय के संदर्भ में अपने विभिन्न प्रेषित पत्रों का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री को पत्र भेजा है। निजीकरण के एक तरफा निर्णय के विरोध ने संघर्ष समिति द्वारा चलाए जा रहे आन्दोलन की पूरी जानकारी मुख्यमंत्री को प्रेषित कर निजीकरण को हरहाल में रोकने तथा हस्तक्षेप का अनुरोध किया गया है।

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ओर से शैलेन्द्र दुबे ने बताया कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण हेतु कंसल्टेंट नियुक्त करने का कोई एकतरफा निर्णय लिया गया और प्रक्रिया प्रारम्भ की गयी तो समस्त ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारी, संविदा कर्मी और अभियन्ता निम्नवत् ध्यानाकर्षण आन्दोलन करने हेतु बाध्य होंगे। निजीकरण हेतु कंसल्टेंट नियुक्त करने के निर्णय का समाचार मिलने पर समस्त विद्युत कर्मी कार्यालय समय के उपरान्त विरोध सभायें करेंगे। निजीकरण हेतु कंसल्टेंट नियुक्त करने की प्रक्रिया प्रारम्भ होते ही बिजली कर्मी 03 दिन तक कार्यालय समय के दौरान काली पट्टी बांधेंगे और कार्यालय समय के उपरान्त समस्त जनपदों,परियोजनाओं और राजधानी लखनऊ में विरोध सभा करेंगे। 03 दिन के बाद अगले 04 दिन तक समस्त विद्युत कर्मी कार्यालय समय के दौरान काली पट्टी बांधने के साथ उपवास करेंगे और कार्यालय समय के उपरान्त समस्त जनपदों,परियोजनाओं और राजधानी लखनऊ में विरोध सभा करेंगे। समस्त ऊर्जा निगमों के बिजली कर्मचारियों का आपके ऊपर पूरा विश्वास है। आपके नेतृत्व में बिजली कर्मी विद्युत व्यवस्था में लगातार सुधार करने में जुटे हुए हैं। वर्ष 2016-17 में ए टी एण्ड सी हानियाँ 41 प्रतिशत थीं जो वर्ष 2023-24 में घट कर 17 प्रतिशत रह गयी हैं। आपके नेतृत्व में बिजली कर्मी 01 वर्ष के बाद ए टी एण्ड सी हानियाँ राष्ट्रीय मानक 15 प्रतिशत से कम लाने हेतु संकल्पबद्ध हैं और सक्षम हैं। 05 जनवरी 2025 को प्रयागराज में हुई बिजली पंचायत में बिजली कर्मचारियों, संविदा कर्मियों और अभियन्ताओं ने खड़े होकर यह शपथ ली है कि महाकुम्भ के दौरान श्रेष्ठतम बिजली व्यवस्था बनाये रखने हेतु बिजली कर्मी दिन रात प्रयासरत रहेंगे। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र का आपसे अनुरोध है कि आप तत्काल प्रभावी हस्तक्षेप करने की कृपा करें जिससे बिजली के निजीकरण का पॉवर कारपोरेशन का निर्णय वापस हो और बिजली कर्मी पूर्ण मनोयोग से बिजली व्यवस्था के सुधार में जुटे रह सकें।

जोन आठ में कर वसूली को लेकर नगर आयुक्त ने दिए निर्देश

नगर निगम के नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह द्वारा जोन 8 में कर वसूली को लेकर कर एक समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें अपर नगर आयुक्त अरविंद राव, नगर निगम के मुख्य कर निर्धारण अधिकारी अशोक सिंह और जोनल अधिकारी अजीत राय मुख्य रूप से उपस्थित रहे। इस दौरान गृहकर वसूली, सफार्इ्र व्यवस्था और अतिक्रमण को लेकर नगर आयुक्त ने कई निर्देश अधिनस्थों को दिये।

नगर आयुक्त ने बताया कि जोन 8 वसूली में निरंतर वृद्धि कर रहा है और जो स्थान या मकान अभी रह गए हैं वहां से टैक्स जमा करवाने को लेकर एक योजना बनाई जा रही जिससे वित्तीय वर्ष समाप्त होने से पहले उन स्थानों से कर वसूली की जा सके। नगर आयुक्त ने कहा उनकी सभी आम जनता से अपील है कि सभी लोग स्वेच्छा से अपना टैक्स जमा करें।नगर आयुक्त ने जोन 8 स्थित भागीरथ अपार्टमेंट में कर निर्धारण में आ रही समस्या को जल्द से जल्द सुलझाने का रास्ता निकाला। भागीरथ अपार्टमेंट में टैक्स में आ रही समस्या को जल्द से जल्द सुलझाने का आश्वासन दिया।इसके साथ ही नगर आयुक्त ने ऑनलाइन टैक्स में आ रही समस्या के बारे में बताया कि जल्द ही इस समस्या का समाधान किया जाएगा और लोग ऑनलाइन माध्यम से अपना टैक्स जमा करेंगे जिसमें मोबाइल को वेरीफाई किया जाएगा जिससे संबंधित से बात की जा सके।नगर आयुक्त में बताया कि नगर निगम क्षेत्र में जो भी प्लाट खाली पड़े हैं उन पर लोगों द्वारा कूड़ा फेंका जा रहा है उनकी जनता से अपील है कि खाली पड़े प्लाटों की बाउंड्री करालें, साथ ही सफाई का पूरा ध्यान रखें। जिससे उनके प्लांट पर कोई उड़ा न फेंक सके, उन्होंने कहा कि जल्द से जल्द खाली पड़े प्लाटों का कर निर्धारण किया जा सके।नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने बताया कि सभी रेन बसेरों में गर्म खाने की व्यवस्था आज से उपलब्ध होगी उन्होंने कहा कि नगर निगम में आने वाले सभी रन बसेरों में कुल मिलाकर 2600 लोगों कि रुकने की व्यवस्था है जिसको और बढ़ाने का लगातार प्रयास किया जा रहा है इसके साथ ही वहां रुकने वाले लोगों को गर्म खाना भी उपलब्ध कराय जायेगा।

जोन सात में कूड़ा प्रबंधन पटरी से उतरा

शहर में कूड़ा उठान को लेकर सभी जोनों से शिकायते सामने आ रही है। रैमकी लखनऊ स्वच्छता अभियान और एलएसए तह्त अप्रैल-मई 2024 में जोन-7 में डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन का जिम्मा सौंपा गया था, लेकिन छः महीने से अधिक समय बीतने के बावजूद कंपनी अपनी जिम्मेदारी ठीक तरह से निभाने में विफल रही है।

ज्ञात हो कि 29 दिसंबर 2024 से प्राइवेट ठेला-ठेलिया द्वारा कूड़ा उठाना बंद कर दिए जाने के बाद एलएसए पूरी तरह से घरों से कूड़ा इकट्ठा करने में अक्षम हो गई। पांच दिन बीतने के बावजूद कंपनी ने इलाके से कूड़ा उठाने की व्यवस्था नहीं की, जिससे नागरिकों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। इस्माईलगंज प्रथम वार्ड में स्थिति और भी खराब हो गई है, जहां नागरिक मजबूर होकर सड़कों पर कूड़ा फेंक रहे हैं।एलएसए को शुरुआत में ही हर घर से प्रतिदिन कूड़ा उठाने का जिम्मा सौंपा गया था, लेकिन कंपनी ने न तो पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराए और न ही अपनी तैयारी को सुनिश्चित किया। टेकओवर के छः महीने बाद भी यह स्थिति साफ इशारा करती है कि भविष्य में लखनऊ के कूड़ा प्रबंधन की स्थिति और भी बदतर हो सकती है।जोन-7 की जनता कूड़ा उठाने के लिए केवल उम्मीद लगाए बैठी है। सड़कों पर गंदगी का अंबार और बदबू ने इलाके में स्वास्थ्य समस्याओं की आशंका को बढ़ा दिया है। नागरिकों ने प्रशासन से मांग की है कि वस्तुस्थिति का संज्ञान लेते हुए तत्काल उचित कार्रवाई की जाए।इस्माईलगंज प्रथम वार्ड के पार्षद मुकेश सिंह चौहान ने जोन-7 में कूड़ा प्रबंधन की इस गंभीर समस्या पर प्रशासन का ध्यान आकर्षित किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि रैमकी कंपनी की लापरवाही के चलते क्षेत्र के नागरिकों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। पार्षद चौहान ने कहा कि कम्पनी  को टेकओवर के छः महीने बाद भी पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराने चाहिए थे, लेकिन उनकी उदासीनता से पूरे वार्ड में कूड़ा निस्तारण की स्थिति बेकाबू हो गई है। नागरिक मजबूर होकर सड़कों पर कूड़ा फेंक रहे हैं, जिससे गंदगी और बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।उन्होंने नगर निगम लखनऊ और प्रशासन से मांग की है कि रामकी कंपनी की जिम्मेदारी की समीक्षा की जाए और तत्काल प्रभाव से वैकल्पिक समाधान निकाला जाए ताकि क्षेत्रवासियों को राहत मिल सके। चौहान ने कहा कि यदि प्रशासन जल्द कार्यवाही नहीं करता तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे।

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