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REPORT BY:PREM SHARMA || AAJNATIONAL NEWS DEASK
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा देर रात मल्टी ईयर टैरिफ वितरण रेगुलेशन 2025 का प्रस्तावित ड्राफ्ट जारी करते हुए प्रदेश के उपभोक्ताओं से 13 फरवरी तक उस पर आपत्तियां व सुझाव आमंत्रित किया है। उपभोक्ता परिषद में जब इसका अध्ययन किया तो यह प्रस्तावित ड्राफ्ट पूरी तरीके से निजी घरानो व बिजली कंपनियों को लाभ देने वाला नजर आया। इस ड्राफ्ट में विद्युत नियामक आयोग निजी घरानों के पक्ष में प्रस्तावित ड्राफ्ट के माध्यम से सामने आकर अपनी संवैधानिक गरिमा गरिमा की भी चिंता नहीं की जो रेगुलेटरी फ्रेमवर्क में काले अध्याय के रूप में देखा जाएगा।
ऐसे में उपभोक्ता परिषद कहना चाहता है कि वह अपनी संवैधानिक स्वतंत्रता पर प्रश्न चिन्ह ना लगाए। क्योंकि प्रदेश के 3 करोड 45 लाख विद्युत उपभोक्ताओं को संरक्षण देने वाला यह संस्था है। आयोग का कार्यकाल अध्यक्ष सदस्य तो आते जाते रहेंगे लेकिन संवैधानिक संस्था की गरिमा पर यदि ठेस पहुंचेगी तो आने वाले समय में एक गलत संदेश जनता के बीच में जाएगा। यह पूरी प्रक्रिया जन विरोधी साबित होगी।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा विद्युत नियामक आयोग द्वारा बनाए गए ड्राफ्ट में यह व्यवस्था की गई है कि प्रदेश की बिजली कंपनियों में बिजली चोरी व कामर्शियल लॉस जो भी होगा यानी भ्रष्टाचार भी उसमें शामिल होगा। उस पर जो भी नुकसान होगा उसकी भरपाई प्रदेश की जनता भी शेयरिंग के रूप में करेगी में करेगीं। जबकि 5 साल से लगा कानून जो 2024 में खत्म हुआ उसमें स्पष्ट प्रावधान थे कि बिजली चोरी वह कमर्शियल लॉस का खामियाजा प्रदेश की जनता को नहीं भुगतना पड़ेगा।
विद्युत नियामक आयोग को यह सोचना चाहिए कि बिजली कंपनियां बिजली चोरी को रोकने कमर्शियल लॉस को रोकने के लिए करोडों अर्बन जो विजिलेंस बिंग बिजली थाना व अन्य माध्यम से खर्च करती हैं। उनका खामियाजा बिजली दर में पहले ही उपभोक्ता भुगत चुका है। अब उसकी शेयरिंग की बात करना असंवैधानिक है। एक सबसे बडा सवाल यह भी है कि विद्युत नियामक आयोग अपने प्रस्तावित ड्राफ्ट में भविष्य में आने वाली निजी कंपनियों के लिए भी एक रूपरेखा तैयार कर दिया है। विद्युत नियामक आयोग को यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि भविष्य की बात कानून में कैसे ला सकते हो इससे ऐसा प्रतीत होता है कि देश के निजी घराने पावर कारपोरेशन के साथ-साथ विद्युत नियामक आयोग को भी पूरी तरीके से गुमराह कर रखे हैं। या तो उसी तरीके की बात हुई कि बच्चा पैदा नहीं हुआ और उसका नामांकरण किया जा रहा है विद्युत नियामक आयोग जैसी स्वतंत्र संस्था भविष्य में आने वाली विद्युत वितरण लाइसेंसी यानी कि दक्षिणांचल पूर्वांचल में जो निजी कंपनियां आने वाली है उनके लिए उनका रास्ता साफ कर रहा है जो प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं के साथ एक बडा धोखा है। ऐसा विद्युत नियामक आयोग इसलिए प्रस्तावित कर रहा है क्योंकि उसे पता है कि उपभोक्ता परिषद द्वारा निजीकरण के मामले में अनेकों विरोध प्रस्ताव और रियाज का विद्युत नियामक आयोग में डाल रखी है उसे निजीकरण नहीं होने वाला है। इसलिए कानून में बदलाव करके उपभोक्ता परिषद के सवालों को संवैधानिक रूप से उसका जवाब दिया जाए और निजीकरण भी हो जाए जो की होने वाला नहीं है। विद्युत नियामक आयोग चाहे वह अदर मेंटेनेंस चार्ज हो एम्पलाई कास्ट हो सबके मानक में ऐसा बदलाव कर रहा है कि उससे प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दरें लगातार बढेगी।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 108 जो लोकमहत्व के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को नियामक आयोग को निर्देश देने के लिए बनाया गया कानून है उसके बारे में भी विद्युत नियामक आयोग ने अपने ड्राफ्ट रेगुलेशन में व्याख्या करते हुए चोर दरवाजे यह कहने की कोशिश की है कि निजीकरण के मामले में यदि उत्तर प्रदेश सरकार विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 108 के तहत हमारे पास आएगी तो हम उसका स्वागत करेंगे। विद्युत नियामक आयोग को यह नहीं भूलना चाहिए कि विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 14 में निजीकरण के मामले में एक स्पष्ट प्रावधान है बिना उस प्रावधान को पूरा किया लोग महत्व का मामला चलती हुई बिजली कंपनी को बेचने के लिए नहीं बनाया जा सकता विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 108 पर माननीय सुप्रीम कोर्ट सहितउच्च न्यायालय सहित खुद विद्युत नियामक आयोग ने अनेको मामले संदर्भित किए हैं। इसलिए विद्युत नियामक आयोग को इस प्रकार की संवैधानिक दृष्टिकोण से विपरीत जाने से बचना चाहिए था। उपभोक्ता परिषद में इस पूरे गंभीर मामले पर चल प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की साप्ताहिक वेबीनार का आयोजन करेगा। पूरे प्रदेश के उपभोक्ताओं से ऑनलाइन विचार विमर्श करेगा और इसके बाद अपनी आपत्तियां विद्युत नियामक आयु में दाखिल करेगी और इस नियम विरुद्ध प्रस्तावित कानून को लागू नहीं होने देगा।
पार्षदों के साथ मिलकर स्वास्थ्य विभाग लगाएगा कैंप
प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के टीबी मुक्त अभियान को जन-जन तक पहुंचाने और योजना के प्रभावी क्रियान्वयन पर विचार-विमर्श के उद्देश्य से आज नगर निगम सभागार, लालबाग में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस गोष्ठी की अध्यक्षता माननीय महापौर सुषमा खर्कवाल ने की गई ।गोष्ठी के प्रारंभ में महापौर ने अपने संबोधन में सौर ऊर्जा के महत्व और इसके पर्यावरणीय लाभों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना न केवल बिजली की खपत कम करेगी, बल्कि इसे अपनाने से पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही उन्होंने टीबी को लेकर लोगों को जागरूकता फैलाने के लिए अहम कदम बताया। महापौर ने कहा कि हमें प्रधानमंत्री के टीबी मुक्त भारत अभियान को जल्द से जल्द पूरा करना है जिससे कि हमारी आने वाली पीढ़ी इस बीमारी से मुक्त हो सके।
कार्यक्रम में नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने योजना को लागू करने में नगर निगम की भूमिका और नागरिकों के सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि लखनऊ को सौर ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी बनाने के लिए सभी संबंधित विभागों को मिलकर काम करना होगा। टीबी मुक्त अभियान को नगर निगम हर वार्ड मोहल्ले में लेकर जाएगा। इसके लिए माननीय पार्षदों के साथ मिलकर हम टीबी मुक्त अभियान को तेजी से फैलाएंगे।सीएमओ लखनऊ डॉ. एन.बी. सिंह ने कहा कि क्षय रोग एक संक्रामक बीमारी है। इससे प्रति वर्ष लगभग 1.5 मिलियन लोग काल के गाल में समा जाते हैं। पूरे भारत में भी यह बीमारी एक बहुत बड़ी समस्या है।
क्षय रोग के प्रति लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है। टीबी रोग के प्रति लोगों में जानकारी का अभाव है। देश में टीबी के फैलने का मुख्य कारण इस बीमारी के लिए लोगों को सचेत न होना और इसे शुरूआती दौर में गंभीरता से न लेना है। टीबी किसी को भी हो सकता है, लेकिन नियमित दवा के सेवन से यह ठीक भी हो जाता है। ऐसे में शहर में लोगों को जागरूक करने के लिए हर वार्ड में माननीय पार्षदों कि मदद से स्वास्थ्य विभाग लोगों को जागरूक करने के लिए कैंप लगाएगा। केजीएमयू के रेस्पिरेट्री मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत त्रिपाठी ने बताया कि 2 हफ्ते से ज्यादा लगातार खांसी, खांसी के साथ बलगम आ रहा हो, कभी-कभार खून भी, भूख कम लगना, लगातार वजन कम होना, शाम या रात के वक्त बुखार आना, सर्दी में भी पसीना आना, सांस उखड़ना या सांस लेते हुए सीने में दर्द होना, इनमें से कोई भी लक्षण हो सकता है और कई बार कोई लक्षण नहीं भी होता। कैंसर या ब्रॉन्काइटिस से अलग कैसे टीबी के कई लक्षण कैंसर और ब्रॉन्काइटिस के लक्षणों से भी मेल खाते हैं।इसके बाद यूपीनेडा के सचिव श्री पंकज सिंह ने योजना की तकनीकी जानकारी और सब्सिडी की प्रक्रिया को विस्तार से समझाया। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत उपभोक्ताओं को सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है, जिससे बिजली के बिल में कमी आएगी और अतिरिक्त बिजली को ग्रिड में बेचकर आय भी अर्जित की जा सकती है।इस विचार गोष्ठी में कई माननीय पार्षदगण, यूपीनेडा के अधिकारीगण, और नागरिकों ने भी अपने विचार साझा किए। गोष्ठी के अंत में, सभी प्रतिभागियों ने इस योजना को सफल बनाने के लिए मिलकर कार्य करने का संकल्प लिया।
इस गोष्ठी का मुख्य उद्देश्य सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देना, नागरिकों को प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के लाभों के बारे में जागरूक करना और इसके क्रियान्वयन में आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करना था। प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ़्त बिजली योजना के लिए ऑनलाइन या ऑफ़लाइन आवेदन किया जा सकता है। ऑनलाइन आवेदन के लिए, आधिकारिक वेबसाइट चउेनतलंहींत.हवअ.पद पर जाएं। वहीं, ऑफ़लाइन आवेदन के लिए, नज़दीकी पोस्ट ऑफ़िस पर जाएं। ऑनलाइन आवेदन करने का तरीका बताते हुए कहा गया कि आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं। पंजीकरण के लिए ज़रूरी जानकारी दें। अपना राज्य चुनें। अपनी बिजली वितरण कंपनी चुनें। अपना बिजली उपभोक्ता नंबर डालें। मोबाइल नंबर और ईमेल डालें।पोर्टल से दिए गए निर्देशों का पालन करें। इस योजना का लाभ लेने के लिए, ज़रूरी जानकारी देने के बाद, उपभोक्ता विक्रेता और सोलर इकाई के निर्माता का चयन कर सकते हैं।
आठवें पेंशन आयोग के गठन पर पेंशनर्स ने जताई खुशी
केन्द्र सरकार द्वारा आठवें वेतन आयोग के गठन का निर्णय लेने से केन्द्रीय कर्मचारियों के साथ साथ राज्य कर्मचारियों एवं पेंशनभोगी कर्मचारियों में भी खुशी की लहर है. यह माँग काफी समय से राज्य कर्मचारी,पेंशनर्स संगठन कर रहे थे,उत्तर प्रदेश पेंशनर्स कल्याण संस्था के महामंत्री ओंकार नाथ तिवारी ने इसके लिए प्रधानमंत्री का आभार जताते हुए आशा व्यक्त की है कि आयोग,सरकार पूरी ईमानदारी एवं नेकनीयती से कर्मचारियों एवं पेंशनभोगी कर्मचारियों के हितों संरक्षण करेगी. केंद्रीय कर्मचारियों के लिए 8वे वेतन आयोग के गठन की मंजूरी पर जवाहर भवन इंदिरा भवन कर्मचारी महासंघ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देते हुए महासंघ के अध्यक्ष सतीश कुमार पाण्डेय एवं महामंत्री राम कुमार धानुक ने कहा कि कर्मचारियों द्वारा 8वे वेतन आयोग के गठन की मांग एक लंबे समय से की जा रही थी, जिसे आज सरकार द्वारा स्वीकार किया गया है। श्री तिवारी ने सभी कर्मचारियापेंशनरों को बधाई एवं शुभकामनायें दी हैं।
जवाहर भवन डिस्पेंसरी में पुरुष चिकित्सा अधिकारी की ड्यूटी लगाई जाए
जवाहर भवन इंदिरा भवन कर्मचारी महासंघ की एक आपात बैठक श्री सतीश कुमार पांडे जी की अध्यक्षता में हुई ।जिसमें जवाहर भवन के चतुर्थ तल पर स्थित डिस्पेंसरी में पुरुष चिकित्सक रखने की मांग उठी।
महासंघ के महामंत्री रामकुमार धानुक ने जानकारी देते हुए बताया की महासंघ की तरफ से एक पत्र मुख्य चिकित्सा अधिकारी लखनऊ को लिखा गया है उक्त के संदर्भ में माननीय उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठकने भी संस्तुति की है परन्तु अभी तक कोई भी पुरुष चिकित्सक नहीं आ रहे है जिससे कर्मचारियों में आक्रोश व्याप्त है। अगर जल्द ही कोई पुरुष चिकित्सक नहीं आता है तो महासंघ आंदोलन के लिए बाध्य होगा।महासंघ की बैठक में अमित खरे, आकिल सईद बबलू, अमित शुक्ला, अनुराग भदौरिया , अभिनव त्रिपाठी सफ़ीकुर रहमान आशीष त्रिपाठी, रघुराज सिंह आदि पदाधिकारी मौजूद रहे।
काली पट्टी बांधकर विरोध जारी
विद्युत कर्मचारी संघ के संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के आवाहन पर आज लगातार चौथे दिन प्रदेश भर में बिजली कर्मचारियों और अभियंताओं ने काली पट्टी बांधकर विरोध दर्ज किया और विरोध सभा की। काली पट्टी बांधकर विरोध सभा करने का अभियान 18 जनवरी को भी जारी रहेगा। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों राजीव सिंह, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय, सुहैल आबिद, पी.के.दीक्षित, राजेंद्र घिल्डियाल, चंद्र भूषण उपाध्याय, आर वाई शुक्ला, छोटेलाल दीक्षित, देवेन्द्र पाण्डेय, आर बी सिंह, राम कृपाल यादव, मो वसीम, मायाशंकर तिवारी, राम चरण सिंह, मो इलियास, श्रीचन्द, सरजू त्रिवेदी, योगेन्द्र कुमार, ए.के. श्रीवास्तव, के.एस. रावत, रफीक अहमद, पी एस बाजपेई, जी.पी. सिंह, राम सहारे वर्मा, प्रेम नाथ राय, विशम्भर सिंह एवं राम निवास त्यागी ने कहा कि निजीकरण के बाद बिजली कर्मियों ,जूनियर इंजीनियरों और अभियंताओं की बड़े पैमाने पर छंटनी होने वाली है। उन्होंने कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में कर्मचारियों के 44330 पद हैं और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में कर्मचारियों के 33161 पद है। निजीकरण होने के बाद यह 77491पद समाप्त हो जाएंगे और स्वाभाविक तौर पर कर्मचारियों की बड़े पैमाने पर छंटनी होगी। इसमें 50 हजार संविदा कर्मी, 23818 तकनीशियन और अन्य कर्मचारी,2154 जूनियर इंजीनियरों और 1518 अभियंताओं के पद हैं।
संघर्ष समिति ने कहा कि निजीकरण होने के पहले ही संविदा कर्मियों की छंटनी की जा रही है जिससे बिजली कर्मियों में भारी गुस्सा है। उन्होंने कहा कि निजीकरण के बाद दिल्ली और उड़ीसा में बड़े पैमाने पर कर्मचारियों को वी आर एस देकर हटाया गया था। आगरा में टोरेंट पॉवर कंपनी ने पॉवर कॉरपोरेशन के एक भी कर्मचारी को नहीं रखा था। ग्रेटर नोएडा में नोएडा पॉवर कंपनी ने भी उप्र राज्य विद्युत परिषद के एक भी कर्मचारी को नहीं रखा था। इन सबको देखते हुए बिजली कर्मियों में भारी आक्रोश व्याप्त है। संघर्ष समिति ने कहा कि निजीकरण हेतु ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट नियुक्त करने के आर एफ पी डॉक्यूमेंट में अर्ली वी आर एस का उल्लेख किया गया है। सामान्यतया वी आर एस 30-35 साल की नौकरी वाले कर्मचारियों के लिए होता है किन्तु अर्ली वी आर एस से ऐसा प्रतीत होता है कि बहुत कम सर्विस वाले कर्मचारियों की छुट्टी की जाने वाली है। आज वाराणसी, आगरा, गोरखपुर, प्रयागराज, मिर्जापुर, आजमगढ़, बस्ती, अलीगढ़, मथुरा, एटा,कानपुर, मेरठ, गाजियाबाद, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, मुरादाबाद, बरेली, देवी पाटन, सुल्तानपुर, अयोध्या, झांसी, बांदा, उरई, ललितपुर, हमीरपुर, महोबा, पनकी, हरदुआगंज, परीक्षा, जवाहरपुर, ओबरा, और अनपरा में बड़ी सभाएं की गई।