LUCKNOW:उपभोक्ता परिषद ने विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 108 का दिया हवाला,क्लिक करें और भी खबरें

-आयोग जल्दबाजी में न ले कोई निर्णय: अवधेश वर्मा

  • REPORT BY:PREM SHARMA || AAJNATIONAL NEWS DEASK

लखनऊ।दक्षिणांचल पूर्वांचल के निजीकरण को लेकर जहां उत्तर प्रदेश सरकार के निर्देश पर पावर कॉरपोरेशन ने ट्रांजैक्शन एडवाइजर का विज्ञापन निकाल दिया।दूसरी तरफ विद्युत नियामक आयोग की तरफ से विद्युत वितरण टैरिफ रेगुलेशन 2025 का प्रस्तावित ड्राफ्ट भी जारी किया जा चुका है। दोनों प्रपत्रों में विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 108 को जोर-जोर से प्रचारित किया जा रहा है।

गौरतलब है कि विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 108 राज्य सरकारों द्वारा विद्युत नियामक आयोग को लोकमहत्व के मामले में कोई भी निर्देश जारी करने की शक्ति प्रदान करता है। उसको लेकर पावर कॉरपोरेशन और विद्युत नियामक आयोग भी अति उत्साहित है कि जब कोई मामला फंसेगा तो उत्तर प्रदेश सरकार धारा 108 का प्रयोग कर निजीकरण जैसे मामलों में निर्देश जारी कराया जा सकता है। अंततः बिना नियामक आयोग के अनुमति के निजीकरण को आगे बढाया जा सकता है। जिसमें विद्युत उपभोक्ता परिषद की जो याचिकाएं दाखिल है वह भी अवरोध के रूप में सामने नहीं आ आएगी। इसको लेकर उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने आयोग और पावर कारपोरेशन प्रबंधन को विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 108 तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश डीवाई चन्द्रचूड की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खण्डपीठ के निर्णय का हवाला दिया है।

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा उत्तर प्रदेश सरकार पावर कॉरपोरेशन और विद्युत नियामक आयोग को शायद या ज्ञान ही होगा कि सुप्रीम कोर्ट ने केरल स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के एक मामले में यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया था कि राज्य बिजली नियामक आयोग बिजली अधिनियम 2003 की धारा 108 के तहत जारी राज्य केंद्र सरकार के निर्देशों से बाध्य नहीं है। भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ के इस निर्णय के बाद विद्युत नियामक आयोग और पावर कारपोरेशन को यह समझना होगा कि विद्युत अधिनियम की धारा 108 के तहत उसे कोई ऐसा अधिकार नहीं मिल गया है जो वह स्वतंत्र हो जाए अदालत में अपने फैसले में कहा था कि राज्य सरकार एक नीति निर्देश जारी करते समय धारा 108 के तहत अपनी शक्ति का प्रयोग अधिनियम के तहत किसी प्राधिकारी में निहित न्यायिक विवेक पर अतिक्रमण नहीं कर सकता। यह प्रावधान किसी भी तरह से राज्य सरकार द्वारा जारी निर्देशों के आधार पर राज्य आयोग द्वारा अर्धन्याययिक शक्ति के प्रयोग को नियंत्रित करने का प्रयास नहीं करता। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 14 निजीकरण के मामले में निर्णय लेने का अधिकार देती है। ऐसे में यदि उस पर लोग महत्व का विषय बनाते हुए धारा 108 का प्रयोग किया जाएगा तो वह संवैधानिक नहीं होगा। निजीकरण के हर मामले में विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 14 का पालन करना पडेगा। उसके लिए जरूरी है कि विद्युत नियामक आयोग की परमिशन के आधार पर ही कार्यवाही को आगे बढाया जाए। विद्युत नियामक आयोग को भी स्वतंत्र होकर पारदर्शी तरीके से निर्णय लेना होगा अन्यथा की स्थिति में उपभोक्ता परिषद अपने सभी संवैधानिक अधिकारों का प्रयोग करते हुए विद्युत अधिनियम 2003 के उल्लंघन पर सक्षम न्यायालय का सहारा लेगी।

निजीकरण पर नियामक आयोग की टिप्पणी अवांछनीय: संघर्ष समिति
-रियायती बिजली की सुविधा समाप्त करने की कोशिश का प्रबल विरोध होगा’

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष द्वारा बिजली के निजीकरण पर दिए गए बयान को अवांछनी और भड़काने वाला बताते हुए कहा है कि विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष ने उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन का अध्यक्ष रहते हुए बिजली कर्मचारियों के साथ लिखित समझौता किया है कि बिजली का निजीकरण नहीं किया जाएगा और विद्युत वितरण के मौजूदा ढांचे में ही बिजली व्यवस्था में सुधार का कार्य किया जाएगा। अब उनके द्वारा निजीकरण के संबंध में की गई टिप्पणी पूरी तरह से अनुपयुक्त है और इससे बिजली कर्मचारियों में भारी गुस्सा व्याप्त हो गया है।संघर्ष समिति ने कहा कि रियायती बिजली की सुविधा 25 जनवरी 2000 को मुख्यमंत्री के साथ हुए लिखित समझौते तथा ट्रांसफर स्कीम 2000 का एक अंग है। यह एक एक्ट का पार्ट है। ऐसे में विद्युत नियामक आयोग द्वारा यह टिप्पणी कि विभागीय कर्मचारियों को मिल रही बिजली सुविधा सामान्य एल एम वी 1 के अंतर्गत मिल रही बिजली की दरों की दुगनी होगी, पूर्णतया गलत है। संघर्ष समिति ने कहा कि ऐसी बातें बेहद भड़काने वाली बातें हैं और इससे अनावश्यक तौर पर बिजली कर्मचारियों को उत्तेजित किया जा रहा है। रियायती बिजली की सुविधा कर्मचारियों से छीनने की कोशिश हुई तो इसकी तीखी प्रतिक्रिया होगी जिसकी सारी जिम्मेदारी प्रबंधन की होगी।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों राजीव सिंह, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय, सुहैल आबिद, पी.के.दीक्षित, राजेंद्र घिल्डियाल, चंद्र भूषण उपाध्याय, आर वाई शुक्ला, छोटेलाल दीक्षित, देवेन्द्र पाण्डेय, आर बी सिंह, राम कृपाल यादव, मो वसीम, मायाशंकर तिवारी, राम चरण सिंह, मो इलियास, श्रीचन्द, सरजू त्रिवेदी, योगेन्द्र कुमार, ए.के. श्रीवास्तव, के.एस. रावत, ने कहा कि नियामक आयोग के अध्यक्ष द्वारा भविष्य की लाइसेंसी के रूप में निजी कंपनियों का उल्लेख करना पूर्णतया अनावश्यक और अवांछनीय है। निजीकरण हुए बिना निजी कंपनी को भविष्य की लाइसेंसी लिखना एक भड़काने वाला कदम है। संघर्ष समिति ने यह कहा की 6 अक्टूबर 2020 को विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के साथ हुए लिखित समझौते में यह कहा गया है कि विद्युत वितरण की मौजूदा व्यवस्था बनाए रखते हुए बिजली कर्मचारियों को विश्वास में लेकर सुधार के कार्यक्रम किए जाएंगे। साथ ही उत्तर प्रदेश के ऊर्जा क्षेत्र में किसी भी प्रकार का निजीकरण बिजली कर्मचारियों को विश्वास में लिए बगैर नहीं किया जाएगा। यह समझौता वित्त मंत्री सुरेश खन्ना जी एवं तत्कालीन ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा की उपस्थिति में हुआ था जिसमें पावर कॉरपोरेशन के तत्कालीन अध्यक्ष अरविंद कुमार एक पार्टी है। अब उनके द्वारा निजीकरण की बात कहा जाना सीधे-सीधे इस समझौते का उल्लंघन है। आज प्रदेश के समस्त जनपदों एवं परियोजना मुख्यालयों पर विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की आमसभा हुई। सभा में निर्णय लिया गया की 23 जनवरी को बिजली के निजीकरण हेतु कंसल्टेंट की नियुक्ति हेतु प्री वेडिंग कांफ्रेंस के दिन भोजन अवकाश के दौरान शत प्रतिशत कर्मचारी कार्यालय से बाहर आकर विरोध प्रदर्शन करेंगे।राजधानी लखनऊ में 23 जनवरी को शक्ति भवन मुख्यालय पर लखनऊ स्थित समस्त कार्यालयों के बिजली कर्मचारी एकत्र होकर शांतिपूर्वक वैधानिक ढंग से प्री बिडिंग कॉन्फ्रेंस का प्रबल विरोध करेंगे। संघर्ष समिति के आह्वान पर अगले सप्ताह भर बिजली कर्मी काली पट्टी बांधकर पूरे दिन कार्य करेंगे और विरोध सभाएं करेंगे।

प्रस्तावित टैरिफ रेगुलेशन में निजीकरण की बात करना गलत
-पावर ऑफिसर एसोसिएशन अपनी आपत्तियां दाखिल कर करेगी विरोध

उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर एसोसिएशन की प्रांतीय कार्य समिति की आज एक आवश्यक बैठक संगठन कार्यालय में संपन्न हुई जिसमें सर्वसंवत से निर्णय लिया कि पूर्वांचल ब दक्षिणांचल के निजीकरण के विरोध में आगे भी दलित व पिछड़े वर्ग के अभियंता काली पट्टी बांधकर अपना कार्य करते रहेंगे और साथ ही माननीय सांसद कैबिनेट मंत्री व विपक्ष के नेताओं से भी मुलाकात कर उनसे भी निजीकरण को रोकने के लिए सहयोग मांगेगे।

पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन ने यह भी निर्णय लिया है कि जिस प्रकार से विद्युत नियामक आयोग द्वारा टैरिफ रेगुलेशन में निजीकरण के मामले में जल्दबाजी में निर्णय लिया जा रहा है उसका भी संवैधानिक तरीके से विरोध करते हुए अपनी आपत्तियां आयोग के सामने प्रस्तुत की जाएगी।उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष के बी राम कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा, महासचिव अनिल कुमार, सचिव आर पी केन, अतिरिक्त महा सचिव अजय कुमार, संगठन सचिव बिंदा प्रसाद, हरिचंद वर्मा, मनोज सोनकर, ट्रांसको अध्यक्ष सुशील कुमार वर्मा, विमल कुमार, रमेश कुमार, विनय कुमार ने अपने बयान में कहा निजीकरण के फैसले का हर स्तर पर विरोध किया जाएगा जिस प्रकार से दलित व पिछड़े वर्ग के कार्मिकों का आरक्षण खत्म करने के लिए पावर कारपोरेशन ने बड़ी साजिश करके निजीकरण के प्रस्ताव को राज्य सरकार के सामने गुमराह करके प्रस्तुत किया है उसे किसी भी हालत में लागू नहीं होने देंगे।पावर ऑफिसर एसोसिएशन ने कहा है की प्रदेश के सभी बिजली कंपनियों के संगठन के सदस्य करो मरो की तर्ज पर आंदोलन के लिए तैयार रहे किसी भी क्षण  बड़े आंदोलन का ऐलान हो सकता है किसी भी हालत में निजीकरण को आगे नहीं बढ़ने दिया जाएगा उसके लिए जो भी लड़ाई लड़ना पड़े लड़ा जाएगा

अवकाश के दिन एक हजार से अधिक लोगों से 74 लाख रुपये टैक्स मिला

नगर निगम ने रविवार को आयोजित किए गए हाउस टैक्स कैंप में 74लाख से अधिक की टैक्स वसूली की गई। यह विशेष कैंप नगर निगम की टीम द्वारा शहर के आठ जोन में आयोजित किए गए थे, जहां 36 से अधिक स्थानों पर लोग टैक्स जमा करने के लिए पहुंचे। इस अभियान के तहत 1184 से अधिक लोगों ने अपना हाउस टैक्स जमा किया और नगर निगम को 74 लाख रुपये से अधिक की वसूली प्राप्त हुई। कैंप में जोन-4 में सबसे अधिक टैक्स जमा किया गया, जहां कुल 20 लाख 82 हजार 517रुपये से अधिक का टैक्स जमा किया।

नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह के निर्देश पर यह कैंप सुबह 09 बजे से शाम 05 बजे के बाद तक चलाए गए, जबकि निर्धारित समय 02 बजे तक था। इन कैंपों में जिन लोगों का टैक्स अधिक था, उन्हें पार्ट पेमेंट की सुविधा भी दी गई और उन्हें जल्द से जल्द पूरा टैक्स जमा करने की अपील की गई। यह पहल नगर निगम द्वारा शहरवासियों को अपनी जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक करने के लिए की गई थी।नगर निगम की टीम द्वारा सभी जोन में लाउडस्पीकर की मदद से घोषणा करके लोगों से टैक्स जमा करने के लिए अपील भी की गई। साथ ही, कैश, ऑनलाइन और चेक के माध्यम से टैक्स वसूला गया। बेहतर मौसम के कारण रविवार को इन कैंपों में बड़ी संख्या में लोग पहुंचे, जिससे टैक्स वसूली का लक्ष्य हासिल करने में मदद मिली। अवकाश्या के दिन जोन-1 में 4 लाख 37 हजार 825 रुपये, जोन-2 में 01 लाख 10 हजार 426 रुपये, जोन-3 में 19 लाख 81 हजार 147 रुपये, जोन-4 मेें 20 लाख 82 हजार 5175 रुपये,टैक्स जमा किया।इसी तरह जोन-5 में 34 लोगों ने 01 लाख 90 हजार 58 रुपये, जोन-6 में 06 लाख 85हजार 512 रुपये, जोन-7 में 132 लोगों ने 06 लाख 67 हजार 700 रुपये और जोन-8 में 12 लाख 82 हजार 266 रुपये टैक्स जमा किया। नगर निगम के मुख्य कर निर्धारण अधिकारी अशोक सिंह ने बताया कि इस प्रकार, सभी आठ जोनों में कुल 1125 लोगों ने 71 लाख 08 हजार 760.43 रुपये का हाउस टैक्स जमा किया।

प्लास्टिक को लेकर कार्रवाई, 10 हजार का चालान

नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह  के आदेशानुसार राजस्व वसूली के उद्देश्य से जोनल अधिकारी जोन-7 के नेतृत्व में आज, 19 जनवरी 2025 को वार्ड मैथिलीशरण गुप्त, बाबू जगजीवन राम और इंदिरा नगर क्षेत्र में स्थित अंग्रेजी, देशी और बीयर शॉप्स का ट्रेड लाइसेंस चेक किया गया। इस जांच के दौरान 07 दुकानों का लाइसेंस शुल्क जमा पाया गया। वहीं, 04 दुकानों का लाइसेंस शुल्क जमा नहीं किया गया था। इन दुकानदारों को चेतावनी दी गई कि वे सोमवार सुबह 10 बजे तक अपने लाइसेंस शुल्क को जमा करें, अन्यथा उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

नगर निगम की टीम ने इसके अलावा, सिंगल यूज प्रतिबंधित पॉलिथीन के खिलाफ भी विशेष अभियान चलाया गया। इन दुकानों के आसपास स्थित कैंटीनों में पॉलिथीन का प्रयोग पाया गया, जिससे पर्यावरण को नुकसान हो रहा था। इस उल्लंघन के कारण 10 हजार रुपये का समन शुल्क वसूला गया। पॉलिथीन के खिलाफ यह अभियान नगर निगम द्वारा चलाए जा रहे स्वच्छता कार्यक्रम का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य शहर को स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त बनाना है। इस कार्रवाई में कर अधीक्षक राम अचल, श्रीमती रीता बाजपेई, जोनल स्वच्छता अधिकारी कुलदीपक सिंह, सफाई निरीक्षक बृजेश प्रजापति, देवेन्द्र वर्मा और ईटीएफ टीम के सदस्य शामिल थे। इन सभी अधिकारियों और कर्मचारियों ने मिलकर इस अभियान को सफलतापूर्वक चलाया। नगर निगम का यह कदम न केवल राजस्व वसूली में मदद करेगा, बल्कि इससे स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा। अधिकारियों ने इस प्रकार की कार्रवाई को आगे भी जारी रखने की बात कही है, ताकि शहर में नियमों का पालन सुनिश्चित किया जा सके और शहर की साफ-सफाई की स्थिति में निरंतर सुधार है।

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