-उपलब्धियों से भरा रहा 38 वर्षों से अधिक का सेवाकाल-डीजीपी
- REPORT BY:AAJ NATIONAL NEWS || EDITED BY:AAJ NATIONAL NEWS DESK
लखनऊ।पुलिस मुख्यालय गोमतीनगर विस्तार में स्थित सभागार में विकम श्रीवास्तव (आईपीएएस) सेवानिवृत्त पुलिस महानिदेशक का बीती 27 मार्च को हुये निधन को लेकर आज शोक सभा का आयोजन किया गया।इस मौके पर डीजीपी प्रशान्त कुमार सहित वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मौजूद थे। उन्होंने दिवंगत पुलिस अधिकारी को श्रद्धांजलि अर्पित की।इस मौके पर डीजीपी प्रशांत कुमार नें बताया विक्रम श्रीवास्तव का जन्म 18 मार्च, 1952 को जनपद इलाहाबाद में हुआ था।वह वर्ष 1973 में भारतीय पुलिस सेवा में चयनित हुए। प्रशिक्षण के उपरान्त वह सहायक पुलिस अधीक्षक कानपुर नगर, सेनानायक 36 वीं वाहिनी पीएसी वाराणसी, पुलिस अधीक्षक रेलवे इलाहाबाद, पुलिस अधीक्षक, रामपुर, एटा, पुलिस अधीक्षक सीबीसीआईडी मुख्यालय लखनऊ, पुलिस अधीक्षक प्रशिक्षण एवं सुरक्षा लखनऊ के पदों पर नियुक्त रहे। डीजीपी नें बताया कि वर्ष 1985 में केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर प्रस्थान कर गये। केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति के दौरान ही उन्हें पुलिस उपमहानिरीक्षक एवं पुलिस महानिरीक्षक के पदों पर प्रोन्नति प्रदान की गयी। वर्ष 1997 में केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति से वापस आने के फलस्वरूप पुलिस महानिरीक्षक लखनऊ जोन एवं पुलिस महानिरीक्षक सुरक्षा लखनऊ के पद पर नियुक्त रहे। वर्ष 2001 में अपर पुलिस महानिदेशक के पद पर प्रोन्नत होकर अपर पुलिस महानिदेशक सुरक्षा लखनऊ के पद पर नियुक्त हुये तथा यहीं से पुनः केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर प्रस्थान कर एसपीजी एवं एसएसबी में सेवायें दीं तथा तीन केंद्रीय पुलिस संगठनों सीआरपीएफ, आईटीबीपी एवं बीपीआर डी के प्रमुख के रूप में कार्य किया।डीजीपी नें बताया कि प्रतिनियुक्ति पर रहते हुये अपनी अधिवर्षता आयु पूर्णकर वह 31 मार्च 2012 को सेवानिवृत्त हुये।उनका निधन बीती 27 मार्च को हो गया है।
सदैव हमारी स्मृति में बने रहेंगे विक्रम श्रीवास्तव-प्रशांत कुमार
डीजीपी नें बताया कि विक्रम श्रीवास्तव ने सेवाकाल में पूर्ण निष्ठा व लगन से कार्य सम्पादित कर पुलिस विभाग को गौरवान्वित किया है।उनका लगभग 38 वर्षों से अधिक का सेवाकाल उपलब्धियों से भरा रहा है। सेवाकाल के दौरान इन्हें गणतन्त्र दिवस वर्ष 1989 के अवसर पर दीर्घ एवं सराहनीय सेवाओं के पदक एवं स्वतंत्रता दिवस वर्ष 1995 के अवसर पर विशिष्ट सेवाओं व का पुलिस पदक से सम्मानित किया गया।वह सदैव हमारी स्मृति में बने रहेंगे।