LUCKNOW:कांग्रेस 60 वर्षों में नहीं जुटा पाई जातीय जनगणना की हिम्मत-नरेंद्र कश्यप, क्लिक करें और भी खबरें

-उपेक्षित वर्गों को समाज में पहचान दिलायेगा जातिवार जनगणना का निर्णय

  • REPORT BY:K.K.VARMA  || EDITED BY:AAJ NATIONAL NEWS DESK 
लखनऊ ।बीजेपी पिछड़ा वर्ग मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष एवं राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार नरेन्द्र कश्यप ने आज भाजपा मुख्यालय पर मीडिया से बात करते हुए जातीय जनगणना कराने मोदी सरकार के फैसले को ऐतिहासिकबताया।उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में पिछड़ो को न्याय मिल रहा है। कास्ट सेंसस देश के वंचित, पिछडे़ और उपेक्षित वर्गों को समाज में अपनी एक सही पहचान दिलायेगा।जाति जनगणना का निर्णय 140 करोड़ देशवासियों की जीवनधारा को बदलने व उनके सामाजिक, शैक्षणिक,आर्थिक, राजनैतिक दृष्टि से कारगर साबित होगा।श्री कश्यप ने कहा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जाति जनगणना का निर्णय देश व समाज हित में सफल होगा। प्रधानमंत्री ‘‘सबका साथ, सबका विकास’’ की विचारधारा पर चलने वाले हैं उनका प्रत्येक निर्णय देश को विकास के नये शिखर तक ले जाने में कारगर साबित होगा। फैसला पिछड़े समाज के लिए विकास की एक नई इबारत लिखेगा। देश में पहली बार ऐसा होने जा रहा है, जिसमें पिछड़े व अति पिछड़ी जातियों की जनगणना होने जा रही है। कांग्रेस 60 वर्षों के शासनकाल में जातीय जनगणना कराने की हिम्मत नहीं जुटा पाई और पिछड़े समाज के लोगों को झूठ का पुलिंदा थमाकर छलावा करती रही।कांग्रेस पिछड़ों के प्रति हमेशा से ही दो मुंहा रवैया अपनाती रही है।हकीकत है कि कांग्रेस की सरकारों ने ही आज तक जातिवार गणना का विरोध किया है। इसका जीता जागता प्रमाण यह है कि आजादी के बाद सभी जनगणनाओं में जाति की गणना की ही नहीं गयी। कांग्रेस ने 2010 में संसद में आश्वासन देने के बावजूद जातिवार गणना नहीं कराई। बावजूद मंत्रिमंडल समूह की संस्तुति मनमोहन सरकार ने सामाजिक, आर्थिक, जातीय जनगणना के नाम पर सिर्फ सर्वे कराया।ध्यान देने की बात है कि जातिवार गणना1931 की जनगणना के साथ हुई थी। तबसे जातिवार जनगणना नहीं हुई है।1931 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर ओबीसी आरक्षण के लिए मंडल कमीशन ने 1980 मे रिपोर्ट सौंपी थी। मंडल कमीशन ने अनुमान लगाया कि कुल आबादी में 52 फीसदी आबादी पिछड़ा वर्ग की है जिसके आधार पर आयोग ने सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थानों में 27 फीसदी रिजर्वेशन की अनुशंसा की थी। जातीय गणना का निर्णय सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक रूप से पिछडे़ वर्ग के लोगों की गैरबराबरी दूरकर और अधिक सशक्त बनायेगा तथा वंचित और उपेक्षित वर्गों के लोगों के चहुमुखी विकास के लिए नये रास्ते खोलेगा।

उत्पादों को जीआई टैग दिलाने के लिए हुई विशेष कार्यशाला एवं परिचर्चा

यूपी में स्थानीय उत्पादों को मान्यता देने एवं उनकी विशेषता के आधार पर जियो टैगिंग करके जीआई टैग दिलाने के उद्देश्य से प्रशिक्षण एवं परिचर्चा कार्यक्रम का आज कृषि भवन के सभागार में आयोजन किया गया। कार्यक्रम में प्रमुख सचिव कृषि रवींद्र ने कृषि विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकों एवं  अधिकारियों को निर्देशित किया कि विशेष पहचान वाले उत्पादों को पहचानकर उसके साक्ष्य एकत्रित कर जीआई टैग दिलाने का प्रयास करें एवं स्थानीय उत्पाद की जीआई टैग कराने से होने वाले लाभ के दृष्टिगत कृषि विश्वविद्यालयों को अपने विश्वविद्यालय में इस विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला हेतु निर्देशित किया। सहयोग की आवश्यकता हो तो पदमश्री डा रजनीकान्त द्विवेदी से सहयोग प्राप्त करें। यह एक प्रकार से समाज के प्राचीन विशेषताओं को पहचान विकसित करने एवं समाज की समृद्धि विकसित करने का गौरवशाली कार्य है।प्रशिक्षण एवं परिचर्चा के दौरान डा रजनीकान्त द्विवेदी पद्मश्री जीआई मैन द्वारा वर्तमान जीआई की प्रगति,स्थिति से उदाहरण के साथ समझाया गया एवं इसकी कानूनी मान्यता का औचित्य, लाभ एवं उपयोगिता के बारे में जानकारी दी गई। देश-प्रदेश में स्थानीय स्तर पर प्रचलित स्थानीय उत्पाद की पहचान करने, उसको जीआई मान्यता दिलाने एवं मान्यता प्राप्त होने के पश्चात इसके स्थानीय आर्थिक विकास हेतु व्यापार के रूप में विकसित करने की संभावना के बारे में भी बताया गया।इस अवसर पर सचिव कृषि इन्द्र विक्रम सिंह, विशेष सचिव कृषि ओपी वर्मा, निदेशक कृषि अपर कृषि निदेशक तिलहन भूमि संरक्षण गेहूँ एवं मोटा अनाज कृषि रक्षा मुख्यालय के अधिकारी, मण्डलीय संयुक्त कृषि निदेशक एवं कृषि विश्वविद्यालयों के निदेशक, शोध एवं उनके प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

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