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LUCKNOW:पशुधन मंत्री ने किया अस्थाई गोवंश संरक्षण केन्द्र भगौतीपुर एवं ढिलवासी का निरीक्षण,क्लिक करें और भी खबरें

-गोआश्रय स्थल पर टीन शेड में सुधार और खड़न्जा लगाने का दिया निर्देश,गो संरक्षण में किसी भी प्रकार की न हो लापरवाही – धर्मपाल

-REPORT BY:K.K.VARMA

-EDITED BY:AAJNATIONAL NEWS

लखनऊ 06 अगस्त। पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने आज बख्शी का तालाब में ढिलवासी एवं भगौतीपुर स्थित अस्थायी गौवंश संरक्षण केन्द्र का आकस्मिक निरीक्षण किया। पशुधन मंत्री ने गौशाला का निरीक्षण करते हुए गोवंश हेतु चारा, भूसा, चिकित्सा, औषधियॉ, प्रकाश एवं सुरक्षा आदि व्यवस्थायें देखी। गौशाला में टीन शेड की व्यवस्था और दुरूस्त किये जाने तथा खड़न्जा लगाये जाने के निर्देश दिये। उन्होंने गौसंरक्षण केन्द्र की गोवंश के स्वास्थ्य पर और ध्यान दिये जाने तथा हरे चारे की उचित व्यवस्था करने के निर्देश दिये।पशुधन मंत्री ने गौशाला को आत्मनिर्भर बनाने पर बल देते हुए निर्देशित किया कि गौशाला के स्वावलम्बन हेतु गौ जनित पदार्थों के उपयोग को बढ़ावा दिया जाए। गोशाला में गोबर के कंडें बनवाकर बिक्री किये जाने तथा कम्पोस्ट खाद बनाये जाने का भी सुझाव दिया। मंत्री ने गौशाला की व्यवस्था पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि गौशाला में गायों के लिए निरन्तर हरा चारा, भूसा एवं पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए और गोवंश के संरक्षण में किसी भी प्रकार की लापरवाही न की जाए। पशुधन मंत्री ने गोआश्रय स्थल पर गोवंश को केला, चना एवं गुण खिलाकर आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर मीडिया से मुखातिब पशुधन मंत्री ने कहा कि गौवंश के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु उल्लेखनीय कार्य किये जा रहे हैं। राज्य सरकार का उद्देश्य गौ आश्रय स्थलों के माध्यम से गोवंश के संरक्षण एवं संवर्धन के साथ ही गौजनित पदार्थों के माध्यम से गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाना और स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार के अवसर उत्पन्न करना है। राज्य सरकार द्वारा कृषकों को प्राकृतिक खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। पशुपालक व किसान गोवंश के दूध देना बंद करने के बाद निराश्रित न छोड़ें। निरीक्षण के समय निदेशक पशुधन एवं विकास डा पीएन सिंह मुख्य विकास अधिकारी अजय जैन, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी लखनऊ डा सुरेश कुमार, उपमुख्य पशुचिकित्साधिकारी डा सुनील राय तथा खण्ड विकास अधिकारी पूजा पाण्डेय आदि उपस्थित थे।

दुग्ध समितियों के दुग्ध मूल्य भुगतान को दी जाये प्राथमिकता

उत्तर प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा है कि दुग्ध समितियों के दुग्ध मूल्य भुगतान को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए। अक्रियाशील दुग्ध समितियों को पुनर्जीवित करने के प्रयास किये जाए। पराग के मिल्क पालर्स को सक्रिय किया जाए और पराग के उत्पादों की मार्केटिंग पर विशेष ध्यान दिया जाए। नन्द बाबा दुग्ध मिशन पोर्टल में दुग्ध समितियों का डाटाबेस तैयार कराया जाए। पशुपालकों एवं किसानों को प्रशिक्षित किया जाए एवं दुग्ध उत्पादन में नई तकनीक व नई जानकारी देने का कार्य विभाग द्वारा किया जाए ताकि प्रति पशु दुग्ध उत्पादकता में वृद्धि हो सके।दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने आज यहां विधान भवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष में बंद दुग्ध समितियों को क्रियाशील करने, किसानों, पशुपालकों में दुग्ध व्यवसाय हेतु जागरूकता हेतु उत्पन्न करने एवं प्रदेश में दुग्ध उत्पादन में वृद्धि किये जाने हेतु उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की। दुग्ध उत्पादन की बढ़ोत्तरी के संबंध में निर्देश दिये कि पशुपालकों में जागरूकता कार्यक्रम चलाया जाए, उन्नत नस्ल के पशु क्रय किये जाए तथा उनके लिए पौष्टिक एवं अच्छे चारे की व्यवस्था की जाए। दुधारू पशुओं के स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाए, तभी दुग्ध उत्पादन में बढ़ोत्तरी होगी और किसानों एवं पशुपालकों को लाभ होगा। दुग्ध विकास विभाग किसानों एवं पशुपालकों की आय बढ़ाने के साथ ही अर्थव्यवस्था को गति देने वाला विभाग है। सबका उद्देश्य होना चाहिए कि दुग्ध उत्पादन बढ़ाये जाने के विविध पहलुओं एवं संभावनाओं पर गंभीरता से कार्य किया जाए। दूध प्रोसेसिंग की कमियों को दूर किया जाए। बैठक में बताया गया कि वर्तमान में 18,108 निबंधित समितियां हैं। जिसमें 7346 कार्यरत समितियां एवं 10,762 अकार्यरत समितियां हैं।बैठक में दुग्ध विकास विभाग के प्रमुख सचिव रवीन्द्र ने मंत्री को आश्वस्त किया कि उनसे प्राप्त दिशा-निर्देशों का अक्षरशः पालन कराया जायेगा। दुग्ध समितियों के भुगतान को प्राथमिकता दी जायेगी और प्रसंस्करण व्यय को कम किया जायेगा। उन्होंने कहा कि यूपी में दुग्ध उत्पादकों के हित में सरकार द्वारा विभिन्न कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं और इन योजनाओं का लाभ किसानों एवं पशुपालकों को उपलब्ध कराने हेतु हर संभव कार्य किये जाए।बैठक में दुग्ध विकास विभाग के विशेष सचिव राम सहाय यादव,दुग्ध आयुक्त राकेश कुमार मिश्र,अनु सचिव ब्रजेश दुबे, दुग्धशाला विकास अधिकारी डा राम सागर एवं प्रभारी नैनतारा दीक्षित आदि उपस्थित थे।मुख्य कर-करेत्तर वाले मदों में जुलाई में प्राप्त हुआ 17304.60 करोड़ का राजस्व

गत वर्ष जुलाई की तुलना में इस वर्ष जुलाई में अधिक हुई 1886.26 करोड़ राजस्व प्राप्ति
-2024-25 में जुलाई तक प्राप्त हुआ 68477.31 करोड़ राजस्व – खन्ना

उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने बताया कि प्रदेश के मुख्य कर-करेत्तर राजस्व वाले मदों में वित्तीय वर्ष 2024-25 के जुलाई माह में 17304.60 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ जबकि वित्तीय वर्ष 2023-24 के जुलाई माह में 15418.34 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ था। गत् वर्ष के माह जुलाई की तुलना में इस वर्ष के माह जुलाई में 1886.26 करोड़ राजस्व अधिक प्राप्त हुआ है। माह जुलाई में जीएसटी एवं वैट के अन्तर्गत 9448.83 करोड़ की प्राप्ति हुई है, जो माह जुलाई में राजस्व प्राप्ति के लक्ष्य का 70.4 प्रतिशत है। जीएसटी एवं वैटन्तर्गत गत् वर्ष की तुलना में इस वर्ष माह जुलाई में 663.29 करोड़ की अधिक प्राप्ति हुई है। जीएसटी अन्तर्गत जुलाई में 6804.46 करोड़ की राजस्व प्राप्ति हुई जबकि गत् वर्ष जुलाई, 2023 के माह में प्राप्ति 6107.25 करोड़ रही थी। वैट के अन्तर्गत माह जुलाई 2024 में 2644.37 करोड़ की राजस्व प्राप्ति हुई जबकि गत् वर्ष जुलाई2023 में प्राप्ति 2678.29 करोड़ थी।वित्त मंत्री ने बताया कि आबकारी के अन्तर्गत माह जुलाई 2024 में 3952.53 करोड़ की राजस्व प्राप्ति हुई जो माह जुलाई 2024 में निर्धारित लक्ष्य का 84.1 प्रतिशत है। इस मद में गत् वर्ष माह जुलाई 2023 में प्राप्ति 3423.98 करोड़ रही थी। आबकारी मद में जुलाई माह में गत् वर्ष की तुलना में इस वर्ष 528.55 करोड़ अधिक की प्राप्ति हुई है। स्टाम्प तथा निबन्धन के अन्तर्गत माह जुलाई 2024 की राजस्व प्राप्ति 2762.50 करोड़ है जो माह जुलाई 2024 में निर्धारित लक्ष्य का 86.3 प्रतिशत है। गत् वर्ष माह जुलाई 2023 में प्राप्ति 2225 करोड़ रही थी। स्टाम्प तथा निबन्धन मद में जुलाई माह में गत् वर्ष की तुलना में 537.50 करोड़ अधिक की प्राप्ति हुई है। परिवहन के अन्तर्गत माह जुलाई की राजस्व प्राप्ति 902.55 करोड़ है, जो माह जुलाई में निर्धारित लक्ष्य का 92.2 प्रतिशत है। जबकि गत् वर्ष इस मद में माह जुलाई, 2023 में प्राप्ति 775.98 करोड़ रही थी। इस प्रकार परिवहन मद में जुलाई माह में गत् वर्ष की तुलना में इस वर्ष126.57 करोड़ अधिक की प्राप्ति हुई है। करेत्तर राजस्व प्राप्ति की प्रमुख मद भू-तत्व तथा खनिकर्म के अन्तर्गत माह जुलाई 2024 में प्राप्ति 238.19 करोड़ है जो इस मद के अन्तर्गत राजस्व प्राप्ति की निर्धारित लक्ष्य का 78.7 प्रतिशत है। गत् वर्ष माह जुलाई 2023 में इस मद के अन्तर्गत प्राप्ति 207.84 करोड़ रही थी।श्री खन्ना ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में जुलाई तक कर राजस्व के अन्तर्गत 68477.31 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ है,जो माह जुलाई तक राजस्व प्राप्ति के निर्धारित लक्ष्य का 76.4 प्रतिशत है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में जुलाई माह तक करेत्तर राजस्व प्राप्ति के अन्तर्गत 2977.26 करोड़ रू0 की प्राप्ति हुई जो इस अवधि तक राजस्व प्राप्ति के निर्धारित लक्ष्य का 40.3 प्रतिशत है। वर्तमान वित्तीय वर्ष में माह जुलाई 2024 तक जीएसटी एवं वैट के अन्तर्गत 37780.04 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ है, जो इस अवधि तक निर्धारित लक्ष्य 71.8 प्रतिशत है। जिसमें जीएसटी के अन्तर्गत प्राप्ति 28462.31 करोड़ एवं वैट के अन्तर्गत 9317.73 करोड़ है। वर्तमान वित्तीय वर्ष में माह जुलाई तक आबकारी मद में 15737.11 करोड़ की प्राप्ति हुई है, जो निर्धारित लक्ष्य का 83.7 प्रतिशत है। स्टाम्प तथा निबन्धन में 10177.65 करोड़ है जो निर्धारित लक्ष्य का 84.4 प्रतिशत है। परिवहन मद में माह जुलाई तक 3870.76 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ है, जो इस अवधि के निर्धारित लक्ष्य का 96.9 प्रतिशत है।

श्रीकृष्ण जन्मोत्सव समारोह के लिए की जाये व्यापक सुरक्षा व्यवस्था-जयवीर

प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने मथुरा जिला प्रशासन एवं विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि भगवान श्रीकृष्ण का 5251वां जन्मोत्सव समारोह पूरी आस्था एवं अलौकिक ढंग से मनाया जाए। भगवान श्रीकृष्ण की जन्माष्टमी के दिन देश दुनिया से बड़ी संख्या में श्रद्धालु एवं भक्त जन्मोत्सव को देखने के लिए आते हैं। कार्यक्रम स्थल पर स्वास्थ्य, सुरक्षा, यातायात, पार्किंग, आवागमन मार्ग, विद्युत, साफ-सफाई, पेयजल, लाइटिंग एवं शौचालय आदि की व्यवस्था की जाए। उन्होंने कहा कि भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त पुलिस फोर्स के साथ ही आवागमन एवं निकासी के लिए सुरक्षित व्यवस्था की जाए। पर्यटन मंत्री सोमवार को ब्रजतीर्थ विकास परिषद मथुरा के सभागार में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की तैयारी को लेकर एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। जन्मोत्सव का आयोजन दिव्य, भव्य एवं अलौकिक होना चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण द्वारा श्रीमदभागवत में जो कालजयी संदेश दिये गये हैं, वह सम्पूर्ण मानवता के लिए कल्याणकारी तथा कर्तव्यपथ पर निरन्तर आगे बढ़ने का है। उनके संदेशों में मानव कल्याण के तथ्य निहित हैं। जन्मोत्सव का प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए। संतो का सुझाव है कि रक्षाबंधन से लेकर नन्दोत्सव तक 9 दिवसीय पर्व मनाया जाए। घरों, मंदिरों एवं आश्रमों में आयोजन किया जाए।जनप्रतिनिधियों एवं संतगणों ने यह भी सुझाव दिये कि ब्रज क्षेत्र में जो भी प्रेक्षागृह हैं वहां पर रासलीलाओं का मंचन किया जाए। श्रीकृष्ण जन्म स्थान के लीला मंच पर श्रीकृष्ण की कथाओं का वाचन कराया जाए। इससे सम्पूर्ण विश्व में व भारत वर्ष में भगवान श्रीकृष्ण के संदेशों को स्थापित किया जा सके। कुछ संतों ने द्वारिका और कुरूक्षेत्र को भी इस जन्मोत्सव से जोड़े जाने का सुझाव दिया। बैठक में श्रीवत्स गोस्वामी महराज, एमएलसी ओमप्रकाश सिंह व जोगेश नोहवार, महापौर विनोद अग्रवाल, विधायक पूरन प्रकाश व मेघश्याम सिंह ने जन्माष्टमी की व्यवस्थाओं के लिए सुझाव दिये। ब्रजतीर्थ विकास परिषद के उपाध्यक्ष शैलजाकांत मिश्र ने कहा कि जन्मोत्सव के आयोजन के लिए जिला प्रशासन के साथ कई बैठके हो चुकी हैं। इस अवसर पर सीईओ श्याम बहादुर सिंह ने बैठक की रूपरेखा प्रस्तुत की।पॉलिस्टर के झंडों ने घटाई खादी तिरंगे की डिमांड

बड़ी कंपनियों को मिल रहा ‘हर घर तिरंगा अभियान’ का लाभ

राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस के अवसर पर हर कोई शान से फहराता है। पहले तो केवल खादी से बने तिरंगे ही दिखते थे। इनके निर्माण की एक यूनिट गोरखपुर के फरेंदा में चल रही है। यूपी ही नहीं दूसरे प्रदेशों में भी तिरंगे की आपूर्ति होती थी। केंद्र सरकार ने 2021 में ध्वज संहिता में संशोधन किया, जिसमें मशीन से बने पॉलिस्टर तिरंगे और सूर्यास्त के बाद भी इसे फहराये रखने अनुमति दे दी । पॉलिस्टर के झण्डे की बिक्री सस्ते होने से बढ़ रही है। खादी के तिरंगे की बिक्री कम हो रही है। सरकारी भवनों को छोड़ दे तो घरों, दुकानों, बाजारों में पॉलिस्टर के झण्डे से पटे पड़े हैं। तिरंगे का स्वरूप बदल गया है। जब केवल खादी के ही तिरंगों को संस्थानों, स्कूलों आदि में फहराया जाता था तो वह लोग उसका सम्मान करते थे। सूर्यास्त होते उसे उतार कर रख दिया जाता था। लेकिन बीते चार सालों से तिरंगे में खादी के साथ ही सभी तरह के झण्डों की अनुमति केन्द्र सरकार ने दे दी तब से तिरंगे के अपमान की घटनाएं सार्वजनिक हो रही है। हर घर तिरंगा अभियान में कुछ संस्थाएं घर घर जाकर लोगों को मुफ्त में झण्डे बांटती है। अगले ही दिन वह जहां तहां पड़े मिलते हैं। हर साल जुलाई के अंत तक विभिन्न सरकारी विभागों, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और निजी संघों और संगठनों को 2.5 लाख रुपए तक के तिरंगे बेच दिये जाते थे। बीते कुछ वर्षो से खादी की तिरंगे की बिक्री 50 प्रतिशत भी नहीं है। खादी तिरंगे की निर्माण इकाई को संघर्ष करना पड़ रहा है। खादी के ध्वजों की मांग कम होने से खादी बुनकरों और श्रमिक बेरोजगार हो रहे हैं। खादी ग्रामोद्योग के एक अधिकारी के मुताबिक ध्वज संहिता में संशोधन से 50 से 60 फीसदी बिक्री कम हुई है। 2022 में हर घर तिरंगा अभियान ने राहत दी थी, तब 4 लाख रुपए के विभिन्न आकारों के राष्ट्रीय ध्वजों की आपूर्ति की गई थी। 2023 में इन तिरंगों की बिक्री 1.50 लाख रुपए ही रह गयी। 2024 में तीन लाख रुपए के झंड़ों की बिक्री का लक्ष्य है, लेकिन अब तक एक लाख रूपए के भी झंड़ों के आर्डर नहीं आए हैं। गोरखपुर के फरेंदा में झंडे के निर्माण में लगभग 1,200 लोग लगे हैं, जिनमें मुख्य रूप से महिलाएं हैं। खादी झंडों की तुलना में पॉलिएस्टर कपड़े के झंडे सस्ते होते हैं, इसलिए खादी तिरंगे खरीदने वालों की संख्या में कमी आई है। पुरानी व्यवस्था वापस लाने से खादी और ग्रामोद्योग को नई गति मिलेगी। खादी क्षेत्र की रक्षा करने के बजाय पॉलिएस्टर कपड़े से बने झंडे बनाने वाले निजी मिल मालिकों को लाभ पहुंचाया जा रहा है। खादी की जगह पॉलिस्टर के झण्डों की भरमार हो रही है।

मनरेगा में सभी श्रमिकों को मिल रहा रोजगार,गरीबी उन्मूलन में सहायक सिद्ध हो रही मनरेगा योजना

उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के नेतृत्व व निर्देशन में प्रदेश में मनरेगा योजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र में निवास कर रहे परिवारों के इच्छुक वयस्क सदस्यों को उनकी मांग के अनुसार रोजगार उपलब्ध करने का उद्देश्य शत -प्रतिशत पूरा हो रहा है।महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम मनरेगा एक मांग-आधारित मजदूरी रोजगार कार्यक्रम है। उत्तर प्रदेश में गरीब परिवारों को आर्थिक तौर पर मजबूत करना और ग्रामीण परिवेश में रह रहे वयस्क नागरिकों को रोजगार के लिये न भटकना पड़े, इसको लेकर लगातार मनरेगा के माध्यम से श्रमिकों को रोजगार उनके ही गाँव में उपलब्ध कराया जा रहा है। ग्राम्य विकास विभाग द्वारा जन कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से रोजगार सृजन किया जा रहा है। ग्राम्य विकास विभाग का उ‌द्देश्य ग्रामीण परिवेश में रहने वाले लोगों को सभी मूलभूत सुविधाओं को पहुँचाना है, जो आम जनता को मिलनी चाहिए।गांवों में रहने वाले श्रमिकों को समय-समय पर रोजगार उपलब्ध कराना भी विभाग द्वारा सुनिश्चित किया जाता है। ग्राम्य विकास विभाग मनरेगा योजना के अंतर्गतआने वाले विभिन्न कार्यो के माध्यम से ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध करा रहा है।वर्तमान वित्तीय वर्ष 2024-25 में रोजगार की मांग के अनुरूप करीब-करीब 100 फीसदी रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। वर्तमान वित्तीय वर्ष में 58,42,483 से अधिक श्रमिकों ने रोजगार की मांग की, जिसमें लगभग सभी को रोजगार उपलब्ध करा दिया गया है।ग्राम्य विकास आयुक्त जी एस प्रियदर्शी ने बताया कि मनरेगा योजना के अंतर्गत मानव दिवस सृजन के मामले में उत्तर प्रदेश लगातार अग्रणी राज्य की श्रेणी में रहा है। बीते 3 वर्षों की बात करें तो जहां 2021-22 में 32.56 करोड़ मानव दिवस सृजित किये गये थे, वर्ष 2022-23 में 31.15 करोड़ मानव दिवस सृजित किये गये, तो वहीं वित्तीय वर्ष 2023-24 में 34.53 करोड़ से ज्यादा मानव दिवस सृजित किये गये। वर्तमान वित्तीय वर्ष में 26 करोड़ मानव दिवस सृजन के लक्ष्य के सापेक्ष प्रदेश में 12.62 करोड़ से अधिक मानव दिवस सृजित हुए हैं।

सोलर पम्प पर मिल रहा अनुसूचित जनजाति,वनटांगिया एवं मुसहर जाति के कृषकों को शतप्रतिशत अनुदान

उत्तर प्रदेश सौर ऊर्जा नीति-2022 में प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान पीएम कुसुम घटक सी-1 योजनान्तर्गत प्रदेश में विभिन्न क्षमता के स्थापित निजी ऑनग्रिड पम्प सोलराइजेशन हेतु केन्द्र सरकार द्वारा अनुमन्य 30 प्रतिशत अनुदान के अतिरिक्त अनुसूचित जनजाति, वनटांगिया एवं मुसहर जाति के कृषकों हेतु राज्य अनुदान 70 प्रतिशत अनुमन्य है,यानि शतप्रतिशत अनुदान है। अन्य श्रेणी के कृषको हेतु केन्द्रीय अनुदान 30 प्रतिशत के अतिरिक्त 60 प्रतिशत राज्य अनुदान अनुमन्य है एवं 10 प्रतिशत अंशदान कृषकों को देना होगा।निदेशक यूपीनेडा अनुपम शुक्ला ने बताया कि योजनान्तर्गत यूपीनेडा द्वारा विकसित पोर्टल http://upneda kusumcl.in पर पूर्व में किये गये आवदेन,इच्छुक कृषकों द्वारा नवीन आनॅलाइन आवेदन कर पोर्टल के माध्यम से 10 प्रतिशत कृषक अंशदान 15 अगस्त तक जमा करते हुए योजना का लाभ ‘‘पहले आओं, पहले पाओ‘‘ के आधार पर उठा सकते है। निदेशक यूपीनेडा ने बताया कि पीएम कुसुम घटक सी-1 योजनान्तर्गत वर्ष 2024-25 में प्रदेश हेतु विभिन्न् क्षमता 3 एचवी, 05 एचपी एवं 7.5 एचपी के 4000 अदद निजी मीटर्ड ऑनग्रिड पम्प केे सोलराइजेशन का लक्ष्य प्रस्तावित है। निजी मीटर्ड ऑनग्रिड पम्प के सोलरइजेशन हेतु संयंत्र की वर्तमान अनुमोदित दरें, अनुदान एवं कृषक अंशदान इस प्रकार है।सौर ऊर्जा नीति के तहत कृषकों को 03 एचपी का पंप लगाने के लिए 4.5 किलोवाट क्षमता के सोलर पावर प्लांट हेतु कुल 2,65,439 रुपए की लागत में से केंद्र के 30 प्रतिशत अनुदान में 79,632 रुपए, राज्य के 60 प्रतिशत अनुदान में 1,59,263 रुपए, अर्थात् कुल 90 प्रतिशत में 2,38,895 रुपए का अनुदान मिल रहा और 10 प्रतिशत कृषक अंशदान में 26,544 रुपए देना होगा। 05 एचपी का पंप लगाने के लिए 7.5 किलोवाट क्षमता के सोलर पावर प्लांट हेतु 4,26,750 रुपए की लागत में से केंद्र के 30 प्रतिशत अनुदान में 1,28,025 रुपए, राज्य के 60 प्रतिशत अनुदान में 2,56,050 रुपए, अर्थात् कुल 90 प्रतिशत में 3,84,075 रुपए का अनुदान मिल रहा और 10 प्रतिशत कृषक अंशदान में 42,675 रुपए देना होगा। 7.5 एचपी का पंप लगाने के लिए 11.2 किलोवाट क्षमता के सोलर पावर प्लांट हेतु 6,23,909 रुपए की लागत में से केंद्र के 30 प्रतिशत अनुदान में 1,87,173 रुपए, राज्य के 60 प्रतिशत अनुदान में 3,74,345 रुपए कुल 90 प्रतिशत में 5,61,518 रुपए का अनुदान मिल रहा और 10 प्रतिशत कृषक अंशदान में 62,391 रुपए देना होगा।

परिवहन मंत्री ने बांटे स्वामी विवेकानंद युवा सशक्तिकरण योजना “डीजीशक्ति” अंतर्गत स्मार्टफोन

उत्तर प्रदेश के परिवहन राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार दयाशंकर सिंह ने प्रदेश के युवाओं को तकनीकी रूप से सबल बनाने की उत्तर प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी स्वामी विवेकानंद युवा सशक्तिकरण योजना “डीजीशक्ति” के अंतर्गत डीएवी डिग्री कॉलेज लखनऊ में छात्र-छात्राओं को स्मार्टफोन वितरित किए। यह योजना देश एवं प्रदेश के युवाओं को ग्लोबल रूप से सशक्त बनाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विकसित भारत की आधारशिला है। कार्यक्रम में आज 300 छात्र छात्राओं को स्मार्टफोन वितरित किए गए ।आगामी दिवसों में भी छात्र छात्राओं को स्मार्टफोन वितरित किए जाएंगे। परिवहन मंत्री ने कहा कि हम प्रदेश में बढ़ती दुर्घटनाओं को रोकने हेतु प्रत्येक महाविद्यालय में रोड सेफ्टी क्लब स्थापित कर रहे हैं। छात्र जीवन से ही बच्चों को सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक एव अनुशासित किया जाए तो एक दिन सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने में सफलता प्राप्त की जा सकती है।परिवहन मंत्री के आवाहन पर प्राचार्य ने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर महाविद्यालय में रोड सेफ्टी क्लब गठित करने की घोषणा की।इस अवसर पर प्रबंधक मनमोहन तिवारी ने कहा कि स्मार्टफोन हमारे छात्र-छात्राओं को तकनीकी रूप से सक्षम बनाने एवं उन्हें संपूर्ण विश्व में हो रही गतिविधियों को जानने का अच्छा माध्यम है। महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो.राजीव कुमार त्रिपाठी ने कहा कि स्मार्टफोन आज की आवश्यकता है। हम बिना तकनीकी के आगे नहीं बढ़ सकते, यह योजना युवाओं को आगे बढ़ने का अवसर प्रदान कर रही है।इस अवसर पर महाविद्यालय के शिक्षक तथा शिक्षणेत्तर कर्मचारी एवं भारी संख्या में छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।

उच्च शिक्षा मंत्री ने की समर्थ ईआरपी की उपयोगिता और प्रगति पर चर्चा

उच्च शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश शासन द्वारा डा राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय लखनऊ में 05 अगस्त से 08 अगस्त तक राज्य विश्वविद्यालयों के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए समर्थ ईआरपी पोर्टल के क्रियान्वयन हेतु फाइनेंस एवं एकाउन्ट्स मॉड्यूल पर चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया है।कार्यशाला के दूसरे दिन मंगलवार को उच्च शिक्षामंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने समर्थ ईआरपी के महत्व और इसके क्रियान्वयन की प्रगति पर प्रकाश डाला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उच्च शिक्षा को तकनीक से जोड़ने का कार्य किया जा रहा है। ई-गवर्नेंस प्लेटफॉर्म है जिसे शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार और दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली द्वारा विकसित किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य उच्च शिक्षण संस्थानों की प्रक्रियाओं को स्वचालित ऑटोमेटेड करना है, जिससे सूचना तक निर्वाध पहुँच और प्रक्रियाओं में उत्पादकता में वृद्धि हो सके।उन्होंने कहा कि वर्तमान में प्रदेश के 26 राज्य विश्वविद्यालयों में समर्थ ईआरपी का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इनमें से 22 विश्वविद्यालयों में लीव मॉड्यूल को लागू कर दिया गया है, 24 विश्वविद्यालयों में पे रोल मॉड्यूल के कन्फीग्रेशन का कार्य पूर्ण हो चुका है, और 14 विश्वविद्यालयों द्वारा जुलाई 2024 का वेतन समर्थ ईआरपी के माध्यम से जनरेट किया गया है। 19 विश्वविद्यालयों ने अपने समर्थ पोर्टल पर 7000 से अधिक सम्बद्ध महाविद्यालयों का विवरण अपलोड किया है, और 8विश्वविद्यालय प्रवेश प्रक्रिया के लिए समर्थ ईआरपी के माध्यम से लाइव हो चुके हैं।उच्च शिक्षा राज्य मंत्री रजनी तिवारी ने कहा कि उच्च शिक्षा विभाग को और बेहतर करते हुए बच्चों के भविष्य को प्राथमिकता दी जा रही है। विश्विद्यालय के अधिकारीगण इस कार्यशाला के माध्यम से अपने विश्विद्यालय को समर्थ ईआरपी से जोड़ने का कार्य करे।समर्थ टीम ने राजकीय महाविद्यालयों हेतु राज्य की आवश्यकतानुसार कैरियर एडवांसमेन्ट प्रणाली विकसित कर उच्चशिक्षा निदेशालय प्रयागराज को उपलब्ध कराई है। इस प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्देश्य राज्य विश्वविद्यालयों के प्रशासनिक एवं वित्त संवर्ग केअधिकारियों और कर्मचारियों को व्यापक प्रशिक्षण और हँड्स-ऑन अनुभव प्रदान करना है ताकि वे समर्थ ई.आर.पी. के फाइनेंस एवं एकाउन्ट्स मॉड्यूल का प्रभावी ढंग से उपयोग कर सकें।इस अवसर पर प्रमुख सचिव एमपी अग्रवाल, विशेष सचिव गिरिजेश त्यागी, शिपू गिरी सहित विश्विद्यालय अधिकारी उपस्थित थे।

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