-नियामक आयोग ने कहा स्वतः मुआवजा कानून लागू करें
लखनऊ। भारत सरकार द्वारा जारी आकड़े के अनुसार उत्तर प्रदेश की बिजली कम्पनियों ने ग्रामीण क्षेत्रों को पिछले चार वर्षाें से मानक से कम बिजली आपूर्ति करने पर नाराजगी जाहिए की हैं। इस मामलें को उपभोक्ता परिषद ने उठाया तो नियामक आयोग ने सम्बंधित बिजली कम्पनियों पर कार्रवाई के साथ स्वतः मुआवजा कानून करने को कहा है। इसके लिए 15 दिनों के अंदर रिपोर्ट तलब की है। भारत सरकार द्वारा उपभोक्ता अधिकार रूल 2020 की धारा 10(1) के तहत देश के सभी राज्यों के विद्युत उपभोक्ताओं को चाहे वह ग्रामीण हो या शहरी 24 घंटे विद्युत आपूर्ति अनिवार्य रूप से दिए जाने का कानून बनाया था ऐसा न होने पर सट्टा विद्युत उपभोक्ताओं को मुआवजा दिया जाना था जिसको लेकर उपभोक्ता परिषद लगातार लडाई लड रहा था और 3 जुलाई 2024 को विद्युत नियामक आयोग में एक जनहित प्रस्ताव दाखिल कर बिजली कंपनियों द्वारा रोस्टर लागू करने पर उपभोक्ता अधिकार रूल 2020 का उल्लंघन करार देते हुए कार्यवाही की मांग उठाई थी। पहले भी अनेकों बार प्रस्ताव आयोग को दाखिल किया।
ग्रामीण क्षेत्र में कम बिजली आपूर्ति मामले में उसे समय नया मोड आ गया जब केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय भारत सरकार ने 30 जुलाई 2024 को उपभोक्ता अधिकार रूल 2020 के तहत पिछले 4 वर्षों वर्ष 2020-21 से लेकर वर्ष 2023 -24 तक उत्तर प्रदेश के ग्रामीण विद्युत उपभोक्ताओं को केवल लगभग 16 घंटा विद्युत आपूर्ति किए जाने पर गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए विद्युत नियामक आयोग को निर्देश जारी किया कि अभिलंब बिजली कंपनियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए, अन्यथा की स्थिति में भारत सरकार ऊर्जा मंत्रालय को विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 146 के तहत कार्यवाही शुरू करना पडेगा। भारत सरकार ऊर्जा मंत्रालय ने विद्युत नियामक आयोग को यह भी कहा है कि उत्तर प्रदेश में 24 घंटे विद्युत आपूर्ति ग्रामीण को न मिलने पर स्वतः ग्रामीण विद्युत उपभोक्ताओं को मुआवजा मिले ऐसा कानून तत्काल बनाया जाए जो अभी तक उत्तर प्रदेश में नहीं बना है।आयेाग के इस आदेश के बिजली कंपनियों मे हडकंप मच गया है। भारत सरकार ऊर्जा मंत्रालय ने पूरी कार्य योजना 15 दिन में तलब की है। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने आज इस मामले पर एक बार पुनः विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार व सदस्य संजय कुमार सिंह से मिलकर एक जनहित प्रस्ताव दाखिल करते हुए बिजली कंपनियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई किए जाने की मांग उठाई है। परिषद की तरफ से कहां है कि भारत सरकार द्वारा बनाए गए कानून का बिजली कंपनियों ने उल्लंघन किया है। बिजली कंपनियां स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने में तो बहुत जल्दबाजी कर रही थी लेकिन उन्हें शायद यह पता नहीं था कि इस योजना में ग्रामीण क्षेत्र के विद्युत उपभोक्ताओं को और शहरी क्षेत्र के विद्युत उपभोक्ताओं को अनिवार्य रूप से 24 घंटे विद्युत आपूर्ति देना है। अन्यथा की स्थिति में स्वतः मुआवज भी उपभोक्ताओं को मिले या व्यवस्था लागू करना है। ऐसे में विद्युत नियामक आयोग बिजली कंपनियों को तत्काल यह निर्देश जारी करें कि रोस्टर की व्यवस्था समाप्त कर विद्युत उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली आपूर्ति दी जाए।
पिछले 4 वर्षों से ग्रामीण विद्युत उपभोक्ताओं को आपूर्ति
ग्रामीण सप्लाई वर्ष 2020- 21 वर्ष 2021- 22 वर्ष 2022- 23 वर्ष 2023- 24
राष्ट्रीय औसत 20.27 घंटा 20.32 घंटा 20.34 घंटा 21.09 घंटा
उत्तर प्रदेश 16.17 घंटा 15.59 घंटा 16.09 घंटा 16.17 घंटा
मालिन बस्तियों में नियमित पानी टेस्टिंग के निर्देश
महापौर सुषमा खर्कवाल की अध्यक्षता में नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह की मौजूदगी में जलकल विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के साथ बालाकदर स्थित
मेयर कैम्प ऑफिस में बैठक आहूत हुई।इस बैठक में महापौर ने मलिन बस्तियों में नियमित रूप से पानी की टेस्टिंग किये जाने एवं क्लोरीन युक्त जलापूर्ति कराए जाने के निर्देश दिए।बैठक में जलकल विभाग में राजस्व वसूली की समीक्षा करते हुए राजस्व में बढ़ोत्तरी लाए जाने हेतु महाप्रबंधक जलकल एवं अधिशासी अभियंताओं को निर्देशित किया। महापौर ने सुएज कम्पनी के जिम्मेदारों को प्रतिदिन प्राप्त शिकायतों के त्वरित निस्तारण करने के निर्देश दिए।इसके अलावा उन्होंने जेटिंग मशीनों की संख्या बढ़ाने पर भी जोर दिया।इसके अलावा अप्रिय घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए कहा कि नगर में किसी भी सीवर का मेनहोल कवर किसी भी हालत में खुला न रहे, इसके लिए जलकल एवं सुएज को अपने स्टोर में पर्याप्त मात्रा में मेनहोल कवर रखने होंगे।बैठक में अपर नगर आयुक्त ललित कुमार,जीएम जलकल कुलदीप सिंह सहित सभी जोनों के अधिशाषी अभियंता गण मौजूद रहे।
निकायकर्मी 21 को तय करेगें प्रदेश व्यापी आन्दोलन की रणनीति
उ.प्र.स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ के आवाहन निकाय कर्मियों की लम्बित समस्याओं का प्रदेश सरकार व नगर विकास विभाग द्वारा एक लम्बे समय से समाधान न किए जाने के विरोध स्वरूप प्रदेश की इकाईयों में पूर्व प्रेषित आन्दोलन की नोटिस के क्रम में जनजागरण किया जा रहा।
आज महासंघ की टीम प्रदेश अध्यक्ष शशि कुमार मिश्रा के साथ श्री बांकेबिहारी जी का आशीर्वाद एवं दर्शन करके मथुरा वृन्दावन सफाई कर्मचारियों के वरिष्ठ कर्मचारी नेता उत्तम चन्द्र सहजना एवं भगवान सिंह लिपिक जलकल सहित छोटू चौहान, प्रीतम सिंह, धर्मेश खरे आदि के नेतृत्व में जलकल कार्यालय में जनजागरण बैठक हुई। जिसमें सफाई कर्मचारी नियमित एवं आऊटसोर्सिंग की बहुत सी समस्याओ पर विचार विमर्श हुआ, जिसमें इनके पदोन्नति एवं आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों की सेवा सुरक्षा, नियमित होने की नीति एवं वेतन,भत्तों आदि पर कर्मचारियों में भारी आक्रोश दिखा।वृन्दावन मथुरा के आफिस आकर वहाँ के वरिष्ठ साथी गोपाल वशिष्ठ, राजेश रावत,मुकेश शर्मा, रीमा शर्मा, विपिन बल्लभ,नन्दकिशोर सिंह कर निरीक्षक श्रेणी2,माधुरी शर्मा, सत्य प्रकाश दीक्षित आदि सैकड़ों कर्मचारी साथियों के साथ बैठक हुई, जिसमें महासंघ द्वारा 13 सूत्रीय मांग पत्र का समर्थन एवं अन्य मांगों की पूर्ति हेतु किए जा रहे आन्दोलन की तैयारी का पूर्ण रूप से सहयोग एवं समर्थन करने का आश्वासन दिया गया। मथुरा वृन्दावन नगर निगम में महासंघ की यूनिट का गठन करने हेतु सभी कर्मचारी साथियों ने सर्व सम्मति से नगर निगम मथुरा वृन्दावन कर्मचारी संघर्ष के नाम से एक संगठन गठित करने पर सहमति व्यक्त की गयीं,जिससे स्थानीय एवं प्रान्तीय समस्याओं का समाधान समय रहते हो सके। इस अवसर पर महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष शशि कुमार मिश्र एवं प्रदेश महामंत्री राकेश अग्निहोत्री सहित गाजियाबाद नगर निगम से प्रदीप शर्मा, जयदेव कौशिक, संजीव गोयल,संजय वर्मा,हेमराज आदि ने कर्मचारियों की सेवा सम्बधी समस्याओं पर प्रकाश डाला।
वक्ताओं ने कहा कि यह सरकार आज आजादी के 75 वर्ष के बाद भी हमारी अकेन्द्रियत सेवा नियमावली नहीं बना सकी,पुरानी पेशंन बहाली,दैनिक वेतन,संविदा कर्मचारियों का विनियतीकरण, कैशलेस इलाज व्यवस्था,बढे हुए कार्य क्षेत्र एवं बढीं हुई आबादी के बाद भी नयी नियुक्त, सैकडों रिक्त पदो पर स्थायी नियुक्त, पदोन्नति, लिपिक, राजस्व, लेखा,जलकल के पम्पचालक, बिल कलेक्टर, कम्प्यूटर, चालक, सफाई कर्मचारियों आदि संवर्ग का पुनर्गठन,उच्चीकरण,सातवें वेतन आयोग लागू होने के बाद बहुत से कैडरों में व्याप्त वेतनविसंगति,पद नाम,वेतन,भत्ते आदि भी नहीं दिया जा रहा, जबकि पूर्व में बहुत सी शासन स्तर पर बैठकों में बनी सहमति के बाद उनका अनुपालन नहीं किया गया आदि समस्याओं के सार्थक निर्णय न होने से आक्रोशित प्रदेश के निकाय कर्मचारियों के पास एक बडा आन्दोलन के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं बचा। महासंघ द्वारा पूरे प्रदेश में जुलाई से 15 अगस्त तक जनजागरण कर रहा है,इसके बाद प्रदेश कार्यसमिति की बैठक 21 अगस्त को लखनऊ में करके प्रदेश व्यापी किए गए जनजागरण की समीक्षा कर प्रदेश सरकार व नगर विकास विभाग की अनदेखी एवं समस्याओं का समय रहते समाधान न किए जाने पर निर्णायक आन्दोलन की घोषणा करेगा, जिसमें प्रदेश व्यापी कार्यबन्दी भी सम्भावित है।महांसघ की अगली बैठक अगस्त को गाजियाबाद व मुरादाबाद नगर निगम में होगी।