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LUCKNOW:जी.आई.एस. सर्वे की 92 आपत्तियों का हुआ त्वरित निस्तारण,क्लिक करें और भी सर्वे

  • REPORT BY:PREM SHARMA|EDITED BY-आज नेशनल न्यूज डेस्क

लखनऊ। नगर में स्थित भवनों के जी.आई.एस. सर्वे में किए गए कर निर्धारण के विरुद्ध आपत्तियों के निराकरण हेतु आज जी.आई.एस. समाधान दिवस का आयोजन लखनऊ नगर निगम मुख्यालय स्थित त्रिलोकीनाथ हॉल में किया गया। समाधान दिवस में भवन स्वामियों से जी.आई.एस.. द्वारा किए गए कर निर्धारण के विरुद्ध लिखित आपत्तियां साक्ष्य व भवन की वर्तमान फोटो सहित आमंत्रित की गई थी। उक्त जी.आई.एस. समाधान दिवस में नगर आयुक्त, सभी अपर नगर आयुक्त, मुख्य कर निर्धारण अधिकारी, सहायक नगर आयुक्त, सभी जोनल अधिकारी, कर अधीक्षक, राजस्व निरीक्षक व कंप्यूटर ऑपरेटर के साथ जी.आई.एस. सर्वे की टीम मौजूद रही। आज के समाधान दिवस में जोनवार 92 आपत्तियां प्राप्त हुई जिसमें से सभी 92 आपत्तियों का निस्तारण मौके पर ही कर दिया गया। जी.आई.एस. समाधान दिवस में नगर आयुक्त इन्द्रजीत सिंह द्वारा अध्यक्षता करते हुए सभी भवनस्वामियों की शिकायतो को सुना गया एवं सभी जोनल अधिकारियों को शत-प्रतिशत निस्तारण के निर्देश दिये गये। नगर आयुक्त द्वारा स्वयं सुनवाई कर आपत्तियों का निराकरण कराये जाने पर भवन स्वामियों द्वारा नगर आयुक्त का आभार व्यक्त किया गया।

समाधान दिवस में जोन एक इरशाद अली, विनोद, प्रमोद वर्मा, जोन-2 सुधाकर रस्तोगी, विजय कुमार गुप्ता, जोन-3 राजेन्द्र प्रसाद, दीप कुमार बाजपेई, ओ.एन.खंडेवाल की आपत्तियों का निस्तारण करते हुए नियमानुसार बिल जारी किए गए। जोन-5  यशोदा देवी, धनावती, जोन-6 राम किशन यादव, सत्य नरायन, जोन-7 रामेश वर्मा, मिट्टीलेश वर्मा अजय सिंह और जोन-8, कुंती देवी, बिृजेश कुमार यादव की आपत्तियों का निस्तारण किया गया। नगर आयुक्त द्वारा अवगत कराया गया कि जी.आई.एस. समाधान दिवस प्रत्येक शुक्रवार को आयोजित करते हुए जी.आई.एस. के सभी प्रकरणो का निस्तारण कराये जाने तक जारी रखा जायेगा।

जोनवार प्राप्त आपत्तियां तथा निस्तारण

जोन –             प्राप्त आपत्तियां                निस्तारित
जोन-1                17                                17
जोन-2               04                               04
जोन-3               12                                12
जोन-4              05                                05
जोन-5               10                                10
जोन-6               19                                19
जोन-7               17                                17
जोन-8               08                               08
योग                    92                               92

नगर निगम टीम ने एक करोड़ की 20 लाख भूमिकब्ज़ा मुक्त कराई

नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह के निर्देश पर नगर में अवैध कब्जेदारों पर कार्यवाही एवं सरकारी भूमियों,संपत्तियों को कब्ज़ा मुक्त करवाये जाने हेतु लगातार सघन अभियान चलाए जा रहे हैं।लगातार चलाए जा रहे अभियान में अभी तक करोड़ो रुपयों की विभिन्न सरकारी भूमि,संपत्ति, जो विगत लंबे समय से कब्जे में थीं, उन्हें खाली करवाया जा चुका है। सबसे खास बॉत यह कि नगर आयुक्त सरकारी जमीनों को कब्जा मुक्त कराने के लिए साप्ताहिक समीक्षा करते है।
नगर आयुक्तइन्द्रजीत सिंह एवं अपर नगर आयुक्त पंकज श्रीवास्तव और प्रभारी अधिकारी सम्पत्ति महोदयसंजय यादव व तहसीलदार अरविन्द कुमार पाण्डेय के निर्देशों के क्रम में ग्राम-चांदन के गाटा संख्या-195 क्षेत्रफल 0.423 हेक्टयर राजस्व अभिलेखों में तालाब के रूप में दर्ज भूमि नगर निगम में निहित सम्पत्ति है। उक्त भूमि पर किये गये अवैध कब्जे को नायब तहसीलदार संजय कुमार सिंह के नेतृत्व में व राजस्व निरीक्षक अविनाश चन्द्र तिवारी व लेखपालगण शक्ति वर्मा, श्री आनन्द, आशुतोष एवं पुलिस बल की उपस्थिति में भूमि पर किये गए कब्जे को शांतिपूर्वक ढंग से हटवा दिया गया। अवैध कब्जे से मुक्त कराई गई भूमि की बाजारू मूल्य 1 करोड़ 20 लाख लगभग है।

अवैध विज्ञापन के विरुद्ध कार्यवाही

प्रचार विभाग के प्रभारी अधिकारी प्रचार,कर अधीक्षक,निरीक्षक, सुपरवाईजर की उपस्थिति में जोन-1,3,5 व 8 क्षेत्रार्न्तगत अभियान चलाकर 155 पोल कियास्क, 10 पी०डब्लू०डी० की गैण्ट्री से विज्ञापन, 200 सिमपैक हटाकर नगर निगम जब्त कर लिया गया।

हजरतगंज जोन 1 क्षेत्रार्न्तगत मेसर्स सिनर्जी एड. की होर्डिंग से फ्लैक्स हटायी गयी। इसके साथ ही मेसर्स अमेलिओ हेल्थ मेडिकल सेन्टर, मेसर्स रास इन ओयो, मेसर्स बर्गर सिंह, को अवैध रूप से लगाये गये पोल कियास्क,बोर्ड को नगर निगम द्वारा हटा कर जब्त कर लिया व एजेन्सियों पर जुर्माना अधिरोपित करते हुए नोटिस प्रेषित की गयी।

स्मार्ट मीटर मामले में आयोग करें हस्तक्षेप: उपभोक्ता परिषद्

गोवा में दो मीटर निर्माता कंपनियों के ब्लैक लिस्ट होने के बाद मामले में नया मोड उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने विद्युत नियामक आयोग के चौयरमैन से मुलाकात कर सोेप प्रस्ताव कहा स्मार्ट प्रीपेड मीटर की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए आयोग करें हस्तक्षेप क्योंकि प्रदेश में मीटर निर्माता कंपनियों के साथ नरमी क्यों ? उत्तर प्रदेश में लंबे समय से सप्लाई कर रही इलेक्ट्रॉनिक मीटर स्मार्ट मीटर और वर्तमान में स्मार्ट प्रीपेड मीटर की दो निर्माता कंपनियों को गोवा में ब्लैक लिस्ट किए जाने के बाद उत्तर प्रदेश में क्वालिटी से कोई समझौता न हो। इसके साथ प्रदेश के 3 करोड 45 लाख विद्युत उपभोक्ताओं के घरों में लगने वाले भविष्य में स्मार्ट प्रीपेड मीटर रूपी तराजू की विश्वसनीयता को लेकर उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार से मुलाकात कर एक प्रस्ताव सौंपा। प्रस्ताव में कहा गया कि जब उक्त दोनों कम्पनियॉ को गोवा में ब्लैक लिस्टिंग किया गया है तो आयोग से मांग उठाई कि आयोग हस्तक्षेप करते हुए वैधानिक कार्रवाई के निर्देश जारी करे। आयोग यह सुनिश्चित कर ले की प्रदेश की बिजली कंपनियों में गुणवत्ता के साथ कोई भी समझौता न होने पाए। बिजली कंपनियों को निर्देश जारी किया जाना चाहिए कि जब तक दोनों कंपनियों की गुणवत्ता ना सुनिश्चित हो जाए। उनके मीटरों को उपभोक्ता परिसर पर नही लगाया जाना चाहिए। उत्तर प्रदेश में यह पूरा प्रोजेक्ट 27000 करोड से ऊपर का है ऐसे में इस पर विशेष नजर रखनी जरूरी है।

अवधेश कुमार वर्मा ने आयोग यह भी बताया कि उपभोक्ता परिषद लगातार स्मार्ट प्रीपेड मीटरों की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठा रहा है लेकिन जो भी जिम्मेदार अधिकारी व अभियंता है वह पूरी तरह स्मार्ट प्रीपेड मीटर सप्लाई करने वाले निर्माता कंपनियां के प्रति ज्यादा ही नरम रूप अख्तियार किए हुए हैं। आज भी यदि उत्तर प्रदेश में जो स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जा रहे हैं उनमें किसी भी मीटर को खोलकर तकनीकी अधिकारियों से जांच कर लिया जाय तो उसमें 50 प्रतिशत से ज्यादा कंपोनेंट चीनी कॉम्पोनेंट् सामने आएंगे। जबकि भारत सरकार की गाइडलाइन है कि 70 प्रतिशत कंपोनेंट इंडियन होने चाहिए। इसीलिए जब बिजली कंपनियों और पावर कॉरपोरेशन की तरफ से हजारों करोड का आर्डर लेने वाले निजी घरानों की 10 प्रतिशत परफॉर्मेंस बैंक गारंटी को कम करने की बात आई तो उपभोक्ता परिषद ने विरोध किया था। उपभोक्ता परिषद ने स्पष्ट कहा था कि इसे घटाकर 3 प्रतिशत किया जाना गलत है। जो कंपनी 5000 से 7000 करोड का आर्डर ले रही है। यदि वह 10 प्रतिशत बैंक गारंटी नहीं दे सकती तो वह काम क्या करेगी। उसकी गुणवत्ता क्या होगी इसके बावजूद भी पावर कारपोरेशन ने 10 प्रतिशत से घटाकर 3 प्रतिशत कर दिया। जबकि आज भी उत्तर प्रदेश में अन्य उपभोक्ता सामग्रियों की खरीद में 10 प्रतिशत बैंक गारंटी ली जा रही है। अब सवाल यह कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर निर्माता कंपनियों के साथ क्यों नरमी बरती जा रही है।

 

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