-बिजली के निजीकरण का प्रस्ताव निरस्त करने की मांग
- REPORT BY:PREM SHARMA
EDITED BY:AAJNATIONAL NEWS
लखनऊ।उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन द्वारा बिजली के निजीकरण के प्रस्ताव के विरोध में प्रदेश के सभी श्रम संघों, कर्मचारी संगठनों और शिक्षक संगठनों के पदाधिकारियों ने कहा है कि वह निजीकरण के विरोध में चल रहे बिजली कर्मचारियों के अभियान के साथ है। सभी श्रम संघों ने बिजली कर्मचारियों के साथ एकजुटता जताते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि प्रदेश की जनता और कर्मचारियों के व्यापक हित में पावर कॉरपोरेशन द्वारा दिया गया निजीकरण का प्रस्ताव सरकार निरस्त किया जाये।
लखनऊ में प्रेस वार्ता करते हुए श्रम संघों के पदाधिकारियों ने कहा कि बिजली के निजीकरण का समाज के सभी वर्गों पर बहुत दूरगामी प्रतिकूल प्रभाव पड़ने वाला है ।ऐसे में बिजली का निजीकरण जल्दबाजी में किया जाना कदापि उचित नहीं होगा। उन्होंने कहा कि आगरा और ग्रेटर नोएडा में बिजली के निजीकरण का प्रयोग विफल हो चुका है ।इन दोनों स्थानों पर गरीब उपभोक्ताओं और किसानों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है ।निजी कंपनी मुनाफे के लिए काम करती है और उसका ध्यान मुनाफे वाले इंडस्ट्रियल और कमर्शियल उपभोक्ताओं की ओर अधिक होता है। ऐसे में निजीकरण के बाद किसानों और सामान्य उपभोक्ताओं का हित पीछे छूट जाता है।
उन्होंने कहा कि निजीकरण के इसी असफल प्रयोग को बहुत बड़े पैमाने पर प्रदेश के 42 जिलों में थोपना किसी भी प्रकार जनहित में नहीं है। निजीकरण के बाद प्रदेश में बिजली की दरों में भी बेतहाशा वृद्धि होने की आशंका है । मुंबई जैसे शहर में जहां बिजली के क्षेत्र में दो बड़ी निजी कंपनियां है वहां घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली की दरें 17 से 18 रुपए प्रति यूनिट है। उत्तर प्रदेश में अधिकतम दर घरेलू उपभोक्ताओं के लिए रु 06.50 प्रति यूनिट है।
उन्होंने कहा कि निजीकरण से घरेलू उपभोक्ताओं , किसानों के बाद सबसे अधिक नुकसान कर्मचारियों का होने वाला है। कर्मचारी बड़ी संख्या में निजी क्षेत्र की नौकरी छोड़कर सरकारी बिजली कंपनी में नौकरी करने आए थे ।अब उन्हें एक बार फिर निजी क्षेत्र में जाने के लिए मजबूर करना पूरी तरह अन्याय पूर्ण है। यदि कर्मचारी निजी क्षेत्र में नौकरी करना स्वीकार नहीं करेंगे तो उन्हें बड़े पैमाने पर छंटनी का खतरा है। सभी श्रम संघों ने कहा कि वे निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारियों के साथ हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि शान्ति पूर्ण ढंग से संघर्षरत बिजली कर्मियों का कोई भी उत्पीड़न किया गया तो राज्य सरकार के सभी कर्मचारी और शिक्षक बिजली कर्मचारियों के साथ आन्दोलन में उतरने को विवश होंगे।
इन संघो को मिला खुला समर्थ
बिजली कर्मचारियों के समर्थन में आज उत्तर प्रदेश अधिकारी महापरिषद के प्रधान महासचिव एवं उत्तर प्रदेश इंजीनियर्स एसोसिएशन के महासचिव इं0 आशीष यादव, स्टेट इम्प्लाईज ज्वाइंट काउंसिल उप्र के अध्यक्ष जे एन तिवारी, राज्य कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष कमल अग्रवाल, जवाहर भवन इंदिरा भवन कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सतीश पांडे एवं महामंत्री रामकुमार धानुक, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष एस पी तिवारी,उत्तर प्रदेश चतुर्थ श्रेणी राज्य कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष रामराज दुबे, उत्तर प्रदेश मिनिस्टीरियल कलेक्ट्रेट कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुशील कुमार त्रिपाठी, ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कनफेडरेशन के पवन कुमार, अखिल भारतीय राज्य कर्मचारी महासंघ के उपाध्यक्ष कमलेश मिश्रा, उत्तर प्रदेश सेवा निवृत्त कर्मचारी एवं पेंशनर्स एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष बी एल कुशवाहा, उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी महासंघ के संरक्षक नरेंद्र प्रताप सिंह, अटेवा के अध्यक्ष विजय कुमार बंधु, उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय कर्मचारी महासंघ के महामंत्री रिंकू राय, उत्तर प्रदेश फार्मासिस्ट संगठन के अध्यक्ष सुनील यादव, एटक के महामंत्री चंद्रशेखर, सीटू के अध्यक्ष रवि मिश्रा व महामंत्री प्रेमनाथ राय, हिंद मजदूर सभा के महामंत्री उमाशंकर मिश्र, इण्टक के सचिव दिलीप श्रीवास्तव, एआईसीसीटीयू के अध्यक्ष विजय विद्रोही व राज्य सहसचिव के0एम0एस0 मगन, टीयूसीसी के सचिव डॉ0 आरती, एआईयूटीयूसी के सचिव बालेंद्र कटियार, सेल्फ इम्पलाईज वुमेन एसोसिएशन(सेवा) की महामंत्री फरीदा जलीस, सर्वजन हिताय संरक्षण समिति महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष रीना त्रिपाठी व कोषाध्यक्ष सुमन दुबे, विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष संतोष तिवारी एवं प्रांतीय उपाध्यक्ष निशा सिंह, राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के मंडल अध्यक्ष महेश मिश्रा, उत्तर प्रदेश पूर्व माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष सुरेश जयसवाल शामिल है।
उपभोक्ता परिषद के विधिक सवालों पर उलझा पावर कॉरपोरेशन
-गुपचुप तरीके से पास मसौदे को कैबिनेट में ले जाने की जल्दबाजी क्यो ?
पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम को पीपीपी मॉडल के तहत निजी क्षेत्र में दिए जाने के मामले पर जहां विधिक पेच फसता नजर आ रहा है। उपभोक्ता परिषद की याचिका में अपने को फसता देख पावर कारपोरेशन ने दक्षिणांचल व पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के बोर्ड आफ डायरेक्टर से अपने को अधिकृत कराया गया है कि वह कोई भी निर्णय ले सकते हैं। लेकिन शायद उन्हें या नहीं पता है कि दक्षिणांचल व पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम विद्युत नियामक आयोग से लाइसेंस प्राप्त है कोई एक लाइसेंस प्राप्त कंपनी बिना लाइसेंस प्राप्त कंपनी को कैसे अधिकृत कर सकती है। उपभोक्ता परिषद ने पहले ही विद्युत नियामक आयोग में यह प्रस्ताव दाखिल किया है कि दोनों कंपनियां पावर कारपोरेशन के दबाव में कोई भी निर्णय ले सकती हैं। इसलिए दोनों कंपनियों के बोर्ड आफ डायरेक्टर को बर्खास्त किया जाए और प्रशासक नियुक्त किया जाए। अब उपभोक्ता परिषद की बात सच साबित हुई कि असंवैधानिक कार्यवाही करके जो ऐलान पावर कारपोरेशन ने किया था अब उसकी पूरी कलई खुल गई।
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा जितने भी शॉर्ट टर्म लॉन्ग टर्म पीपीए बिजली खरीद के पूर्वांचल व दक्षिणांचल द्वारा किए गए हैं साथ पूर्वांचल व दक्षिणांचल द्वारा अनेकों अपील माननीय अपटेल में दाखिल है उन सब की वैधानिकता क्या होगी। इस पर कभी किसी ने विचार किया। पूरे मामले को गुपचुप क्यों रखा जा रहा है इसका खुलासा बिना किए कैबिनेट में ले जाने की जल्दबाजी क्यों की जा रही है।उपभोक्ता परिषद में बडा खुलासा करते हुए कहा अब पावर कॉरपोरेशन इतनी जल्दबाजी में है कि वह आरएफपी या अन्य मसौदे को बिना विद्युत नियामक आयोग में ले जाए कैबिनेट के पास ले जाकर पास कराना चाहता है। इसकी भी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। मुख्यमंत्री से उपभोक्ता परिषद मांग करता है कि जल्दबाजी में इस प्रस्ताव को पास ना किया जाए।उपभोक्ता उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा जिस प्रकार से माहौल बनाकर जल्दबाजी में निर्णय कराया जा रहा है। उससे ऐसा प्रतीत होता है कि सब कुछ फिक्स है यह पीपीपी मॉडल फिक्स मॉडल नजर आ रहा है जिसकी सीबीआई जांच होना जरूरी है। उत्तर प्रदेश राज विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा उच्च न्यायालय इलाहाबाद हाईकोर्ट के अनेकों निर्णय में उच्च न्यायालय द्वारा यह आदेश पूर्व में पारित किया जा चुका है कि पावर कॉरपोरेशन स्वतंत्र रूप से कार्य करने वाली बिजली कंपनियों को कोई भी निर्देश जारी नहीं कर सकता। यहां तो निर्देश की बात छोडिये दोनों बिजली कंपनी को निजी क्षेत्र में देने के लिए पावर कारपोरेशन ने अपने को अधिकृत कर लिया। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि पावर कॉरपोरेशन जल्दबाजी में निजी क्षेत्र में देने के लिए उतावला हो रहा है जो अपने आप में उच्च स्तरीय जांच का मामला है।
बिना अनुमति होर्डिग के खिलाफ चलेगा अभियान,वसूल होगा जुर्माना
नगर निगम से बिना अनुमति होर्डिगों की शहर में भरमार है। ऐसे में अब नगर निगम ने अभियान चलाकर ऐसे होर्डिग मालिकों से जुर्माना वसूल करने का निर्णय लिया है। नगर निगम से अनुमति लिए बगैर पुलिस बूथ और बस स्टैंड पर होर्डिंग की तलाश शुरू हो गई है। नगर निगम सर्वे कराकर अवैध होर्डिंग उतारेगा और लगाने वालों से वर्गफुट के हिसाब से जुर्माना वसूलेगा। जांच के लिए नगर निगम की टीम सोमवार से सर्वे करेगी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार नगर के 50 से अधिक पुलिस बूथ और 200 से अधिक बस स्टैंड पर विभिन्न कंपनियों के विज्ञापन लगे हुए हैं। इनको लगाने के लिए संबंधित कंपनी को किराया के तौर पर एक निश्चित धनराशि नगर निगम में जमा करनी होती है। उसके बाद अनुमति मिलने पर कंपनी अपना विज्ञापन लगा सकती है। कई कंपनियों ने बिना किराया जमा किए और अनुमति लिए ही विज्ञापन लगा दिया है। ऐसी कंपनियों को चिह्नित करने के लिए नगर निगम की टीम सोमवार से सर्वे करेगी। इन बूथों और स्टैंड को चिह्नित कर लोकेशन के हिसाब से अलग- अलग श्रेणी में बांटा जाएगा। उसके बाद श्रेणी के अनुसार उनसे जुर्माना वसूला जाएगा। ए श्रेणी की लोकेशन में आने वालों से 562 रुपये, बी श्रेणी से 449 और सी श्रेणी की लोकेशन पर बने बूथ और स्टैंड पर लगे विज्ञापन कंपनियों से 337 रुपये स्क्वायर फिट के हिसाब से जुर्माना वसूला जाएगा। नगर निगम के कर अधीक्षक प्रचार ओम प्रकाश सिंह ने बताया कि एक हफ्ते में सर्वे पूरा हो जाएगा। इसके बाद बिना अनुमति प्रचार करने वाली कंपनियों से जुर्माना वसूलने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
दलित व पिछड़े वर्ग के अभियंता काली पट्टी बांधकर करेंगे काम
उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन की कोर कमेटी की आज एक आवश्यक बैठक फील्ड हॉस्टल कार्यालय में संपन्न हुई जिसमें सर्वसम्मत से यह निर्णय लिया गया कि दक्षिणांचल व पूर्वांचल को पीपीपी मॉडल में दिए जाने जिसमें दलित व पिछड़े वर्गों सहित अन्य गरीब वर्ग के आरक्षण पर होने वाले कुठाराघात जिस पर आज तक पावर कॉरपोरेशन की तरफ से कोई भी सफाई नहीं दी गई। अब जल्दबाजी में उसे कैबिनेट से पास करने की कोशिश की जा रही है। जिसके मद्दे नजर संगठन ने तय किया है की 10 दिसंबर मंगलवार को आरक्षण पर होने वाले कुठाराघात के खिलाफ पूरे प्रदेश के दलित व पिछड़े वर्ग के अभियंता कार्मिक काली पट्टी बांधकर अपना नियमित काम करेंगे। संगठन ने यह भी स्पष्ट किया है कि विद्युत आपूर्ति सहित उपभोक्ता सेवा पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ने दिया जाएगा क्योंकि उपभोक्ता सेवा सबसे पहली प्राथमिकता में संगठन के रहता है।
पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन ने सरकार से मांग उठाई है कि यह कोई नया निजी क्षेत्र नहीं है यह विद्युत तंत्रों के साथ स्थापित सरकारी विभाग है जिसमें करोडों अरबो का रेगुलेटरी एसेट है सरकारी संपत्ति है। विद्युत उपकरण व विद्युत लाइन व जमीन है ऐसे में उस पर कोई ऐसी व्यवस्था थोपी जाए। जिसमें आरक्षण पर कुठाराघात हो वह बाबा साहब की संवैधानिक व्यवस्था के साथ एक धोखा होगा उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष के राम कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा सचिव आरपीकेन अतिरिक्त महासचिव अजय कुमार संगठन सचिव बिंदा प्रसाद सुशील कुमार वर्मा एक प्रभाकर राजेश कुमार इंद्रेश कुमार ने प्रदेश के अपने सभी दलित व पिछड़े वर्ग के अभियंताओं व संगठन के सदस्यों को यह भी निर्देश जारी किया है कि यदि 10 दिसंबर को कैबिनेट में पीपीपी मॉडल को मंजूरी दी जाती है तो दूसरे दिन 11 दिसंबर को पूरे प्रदेश में सभी दलित व पिछड़े वर्ग के अभियंता कार्मिक एक दिन का उपवास रखते हुए अपना सरकारी कार्य नियमित रूप से करते रहेंगे और शाम 5 बजे के बाद बाबा साहब की प्रतिमा या फोटो के सामने या संकल्प लेंगे की बाबा साहब की संवैधानिक व्यवस्था आरक्षण को बचाने के लिए हर कुर्बानी देने के लिए तैयार रहेंगे लेकिन आरक्षण पर कोई कुठाराघात नहीं होने देगे। पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन ने पूरे प्रदेश के सभी आरक्षित वर्ग के जनप्रतिनिधियों खास तौर पर सांसद विधायकों मंत्रियों से या मांग उठाई है कि वह अपने स्तर से बाबा साहब की संवैधानिक व्यवस्था आरक्षण को बचाने में संगठन का सहयोग दें।
सिंचाई चालक 17 दिसम्बर को मुख्यालय घेरेगें
राजकीय वाहन चालक संघ सिंचाई विभाग उत्तर प्रदेश ने प्रान्तीय धरना प्रदर्शन का निर्णय लिया है। प्रान्तीय पदाधिकारियों की बैठक में 17 दिसम्बर को कार्यालय प्रमुख अभियंता विभागाध्यक्ष सिंचाई एवं जल संसाधन कार्यालय का घेराव कर प्रान्तीय धरना देगा। संघ की प्रान्तीय कार्यकारिणी की बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक की अध्यक्षता प्रदेष अध्यक्ष शकील अहमद और संचालन प्रान्तीय मंत्री ओरीलाल ने किया।बैठक के बाद जानकरी देते हुए संगठन मंत्री कैलाष साहू ने बताया कि कई मांगो पर पूर्व में हुए समझौते के बाद भी आदेष जारी न होने से चालक संवर्ग में रोष व्याप्त है। ऐसी स्थिति में संघ द्वारा आन्दोलन का निर्णय लिया गया। इस सम्बंध में आन्देालन का नोटिस विभागाध्यक्ष को प्रेषित किया गया है। संघ की मुख्य मांगों में वाहन चालकों के रिक्त 70 प्रतिषत पदो पर तत्कल भर्ती, सहमति के अनुसार पुराने वाहनों की जगह नए वाहनों की खरीद, टैक्सी प्रथा समाप्त कर, विभागीय कार्मिकों के रिष्तेदारों के वाहनों पर प्रतिबंध, आउटसोर्सिग चालकों को नियमानुसार सुविधाए प्रदान की जाए। बैठक में दिलीप चन्द्र रावत, सुनील कुमार, संतोष कुमार पाण्डेय, रामप्रताप, अनिल कुमार मिश्रा, नीरज विमल और मेघपाल सिंह आदि पदाधिकारी उपस्थित थे।