LUCKNOW:नगर निगम में कार्यदायी संस्था के कार्मिकों की आनलाइन होगी भुगतान व्यवस्था,क्लिक करें और भी खबरें

  • REPORT BY:PREM SHARMA
    EDITED BY:AAJNATIONAL NEWS

लखनऊ़। नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह के निर्देशानुसार नगर निगम के उद्यान विभाग, स्वास्थ्य विभाग, आर आर विभाग, मार्ग प्रकाश विभाग में तैनात कार्यदायी संस्था के कर्मचारियों व कम्प्यूटर ऑपरेटर्स इन सभी का वेतन जल्द ही पूर्ण रूप से ई-वेतन पोर्टल पर लेजाने की कार्ययोजना तैयार किये जाने हेतु एक बैठक आहूत की गई है।

नगर आयुक्त के निर्देशन में एवं नगर स्वास्थ्य अधिकारी पी.के. श्रीवास्तव जी के नेतृत्व में नगर निगम के समस्त विभागों के वेंडर, एसएफआई व जेडएसओ के साथ एक विशेष बैठक आहूत की गई। बैठक में समस्त वेंडर और एसएफआई इत्यादि संबंधित कर्मचारियों को ई-वेतन पोर्टल के संबंध में प्रशिक्षण दिया गया। जिससे कि इस प्रक्रिया को शीघ्र ही लागू कर ई-वेतन की कार्यवाही सुनिश्चित की जा सके और सभी कर्मचारियों का वेतन एक निश्चित समय पर उनके खाते में भेजा जा सके। उक्त बैठक में नगर स्वास्थ्य अधिकारी श्री पीके श्रीवास्तव के अतिरिक्त वित्त लेखा अधिकारी नंद राम कुरील भी मौजूद रहे।

एक रूपये टोकन मनी पर दी जा रही अमीरों को जमीन ? परिषद का एनर्जी टास्क मोेर्स मसौदे पर गम्भीर सवाल

उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के प्रस्ताव पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली एनर्जी टास्क फोर्स जिस मसौदे को अपनी मंजूरी दी है उससे सबसे ज्यादा नुकसान उत्तर प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का होने वाला है। प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर लगभग 33122 करोड सर प्लस निकल रहा है। यदि बात हम करें दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम व पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम तो दोनों में लगभग 1 करोड 62 लाख उपभोक्ता है। इनका सरप्लस लगभग 16000 करोड के आसपास होगा। जबकि एनर्जी टास्क फोर्स के मसौदे में इसका अता पता नहीं है। एनर्जी टास्क फोर्स ने अपने मसौदे में सभी पहलुओं को छुआ यहां तक की पहली बार ऐसा हो रहा है कि पूर्वांचल व दक्षिणांचल की पूरी जमीन 1 रुपए टोकन मनी पर निजी घरानो को दी जाएगी। जो उसको बेच नहीं सकते ना ही उसका दूसरा उपयोग कर सकते हैं। यानी केवल बिजली के लिए ही उसका उपयोग कर सकते हैं। लेकिन सवाल यह उठता है कि जब नेटवर्थ में जमीन की पूरी लागत आकलित कर नहीं जोडी गई है जबकि पावर कारपोरेशन ने फिक्स ऐसेट रजिस्टर तैयार कर रखा है तो उस पर किराया निजी घरानो के लाभांश से क्यों नहीं लेने का प्रावधान बनाया गया ।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा एनर्जी टास्क फोर्स ने अपने मसौदे में इस बात की भी अनुमति दी है कि टेंडर प्रपत्र जो निकल जाएंगे उसके लिए पांच नई बनने वाली एसपीबी यानी कंपनियों के नाम भी बता दिए गए हैं। पहली कंपनी आगरा मथुरा विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, दूसरी काशी विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, तीसरी कंपनी गोरखपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, चौथी कंपनी झांसी कानपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, पांचवी कंपनी प्रयागराज विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के मसौदे को अनुमति दी गई है। ऐसे में सवाल या उठना है कि यदि उपभोक्ताओं का जो बिजली कंपनियों पर सर प्लस निकल रहा है पूर्वांचल और दक्षिणांचल पर लगभग 16000 करोड नई कंपनी बनने के बाद उसकी देनदारी किसके ऊपर रहेगी । वहीं एनर्जी टास्क फोर्स के मसौदे में यह भी इंगित कर दिया गया है कि जो नई कंपनी बनेगी उसकी बिजली दर विद्युत नियामक आयोग तय करेगी। लेकिन सर प्लस के बारे में कुछ भी नहीं कहा गया है। जब पूर्वांचल व दक्षिणांचल का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा और कहीं भी किसी प्रपत्र में उपभोक्ताओं के सर प्लस की बात ही नहीं की जा रही है तो इसका मतलब हुआ कि उपभोक्ताओं के साथ बडे धोखे की तैयारी की जा रही है। जिसे उपभोक्ता परिषद होने नहीं देगा। एनर्जी टास्क फोर्स के एजेंट में नई बिजली कंपनियां जो निजी गानों की बनेगी उन्हें राज्य सरकार द्वारा सब्सिडी भी दी जाती रहेगी। ऐसा जिक्र किया गया है लेकिन उपभोक्ताओं का सर प्लस की बात ना करना ऐसा प्रतीत होता है कि उपभोक्ताओं से किसी को कोई लेना-देना नहीं है। केवल निजी गानों की चिंता करते हुए उनको सब्सिडी दिलाई जाए। उनको रुपए 1 में जमीन दिलाई जाए। नेटवर्क कम से कम दिखाई जाए उपभोक्ता परिषद के अनुसार यह सब बडा गोलमाल है। जब दोनों बिजली कंपनियों को लगभग 8 000से 9000 करोड की राजकीय सब्सिडी ही दी जानी है तो फिर सरकारी क्षेत्र की पूर्वांचल व दक्षिणांचल को आगे आत्मनिर्भर बनाने में क्या दिक्कत है। निजी क्षेत्र में सब्सिडी देने का मतलब संभावित अडानी टाटा टोरेंट को सब्सिडी जिससे सरकार की छबि जनता की नजर में धूमिल होगी ।

मुख्य सचिव का चालक महासंघ की मांगो पर आश्वासन

राजकीय वाहन चालक महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रिजवान अहमद की अध्यक्षता में महामंत्री जयप्रकाश त्रिपाठी, उपाध्यक्ष सहजराम और प्रचार मंत्री रमेश कुमार ने मुख्य सचिव से मुलाकात उन्हें महासंघ की लम्बित मांगों से अवगत कराया। मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने चालक महासंघ की मुख्य मांगों क्रमश: 20 प्रतिशत पदों पर पदों पर पदोन्नति, ग्रेड पे 2000 रूपये और रिक्त पदों पर भर्ती का आष्वासन दिया।
महासंघ के अध्यक्ष रिजवान अहमद ने बताया कि मुख्य सचिव ने कहा कि मांगों में शसन द्वारा सहानुभूति पूर्वक विचार किया जा रहा है। आश्वासन दिया गया कि विचारोपरान्त इसे संवर्ग की विशिष्टता की स्थिति को देखते हुए वाहन चालक ग्रेड-4 जिसका वर्तमान वेतनमान 3050-4590 वेतन बैण्ड 15200-20200 ग्रेड वेतन रू0 2000 से कुल पदों के 30 प्रतिशत पदों पर सीधी भर्ती के नियमानुसार वर्तमान में निर्धारित अर्हताओं के आधार पर की जायेगी। समिति की संस्तुति उक्त आदेश 30 नवम्बर, 2011 (छायाप्रति संलग्न) के प्रस्तर-पांच में की गयी है। इसी संस्तुति में 30 प्रतिशत पदों पर वाहन चालक ग्रेड-3 वेतनमान 4000-6000 वेतन बैण्ड- 15200-20200 ग्रेड वेतन रू0 2400 के वेतनमान में 09 वर्ष की संतोषजनक सेवा पूरी करने पर पदोन्नति दिये जाने की व्यवस्था की गयी है। इसी तरह वाहन चालक ग्रेड-2 वेतनमान 4500-7000, वेतन बैण्ड-2 5200-20200 ग्रेड वेतन 2800 के पद पर ग्रेड-3 के पदधारकों में से जिन्होंने ग्रेड-3 के पद पर 6 वर्ष की सेवा अथवा वाहन ग्रेड-3, ग्रेड-4 के पदों पर कुल 15 वर्ष की सेवा पूर्ण कर ली हो और इस हेतु निर्धारित ट्रेड टेस्ट उत्तीर्ण कर लिया हो, को ज्येष्ठता के आधार पर पदोन्नति की जायेगी।वाहन चालक ग्रेड-1 वेतनमान 5000-8000 वेतन बैण्ड-2, 5200-20200 ग्रेड वेतन 4200 के वेतनमान में वाहन चालक ग्रेड-2 के पद धारकों में ज्येष्ठता के आधार पर 10 प्रतिशत पदों पर पदोन्नति किये जाने की व्यवस्था की गयी है जिन्होंने ग्रेड-2 के पद पर तीन वर्ष की सेवा पूर्ण कर ली हो। इसी संस्तुति में वाहन चालक की एक विशिष्ट श्रेणी निर्धारित की गयी है, जिसका वेतनमान 6500-10500 वेतन बैण्ड-2 9300-34800 ग्रेड वेतन 4600 के वर्तमान में वेतनमान में ज्येष्ठता के आधार पर पदोन्नति ऐसे वाहन चालक के पद धारकों से की जायेगी, जिन्होंने ग्रेड-1 के पद पर कम से कम एक वर्ष की सेवा पूर्ण कर ली हो। इस तरह पदोन्नति और भर्ती को लेकर मुख्य सचिव ने आश्वासन दिया है।

निजीकरण के विरोध में 13 दिसम्बर एवं 19 दिसम्बर देश भर में विरोध सभायें

नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लॉइज एण्ड इंजीनियर्स (एनसीसीओईईई) की राष्ट्रीय कार्यसमिति की लखनऊ में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया कि उप्र में बिजली के निजीकरण की किसी भी एकतरफा कार्यवाही के विरोध में राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन उसी समय होगा। 13 दिसम्बर एवं 19 दिसम्बर को निजीकरण के विरोध में देश भर में विरोध सभायें की जायेंगी। 22 दिसम्बर को लखनऊ में और 25 दिसम्बर को चंडीगढ़ में निजीकरण के विरोध में विशाल बिजली पंचायत आयोजित की जायेंगी।एनसीसीओईईई की लखनऊ में हुई बैठक की अध्यक्षता इलेक्ट्रीसिटी इम्प्लॉइज फेडरेशन ऑफ इण्डिया के उपाध्यक्ष सुभाष लाम्बा ने की। बैठक में ऑल इण्डिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे, सेक्रेटरी जनरल पी रत्नाकर राव, ऑल इण्डिया पॉवर डिप्लोमा इंजीनियर्स के अध्यक्ष आर के त्रिवेदी, ऑल इण्डिया फेडरेशन ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लॉईज के जनरल सेक्रेटरी मोहन शर्मा मुख्य रूप से उपस्थित थे।
एनसीसीओईईई ने निर्णय लिया कि यदि उप्र में विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण की कोई भी एकतरफा कार्यवाही प्रारम्भ की गयी तो उसी दिन बिना और कोई नोटिस दिये देश के तमाम 27 लाख बिजली कर्मी सड़कों पर उतरने के लिए बाध्य होंगे और देशव्यापी विरोध प्रदर्शन किये जायेंगे। यह भी निर्णय लिया गया कि चंडीगढ़ की विद्युत व्यवस्था जिस दिन निजी कम्पनी को हैंडओवर करने की कार्यवाही की गयी तो उसी दिन भी इसी प्रकार की राष्ट्रव्यापी कार्यवाही होगी। एनसीसीओईईई ने यह निर्णय भी लिया कि 13 दिसम्बर को देश भर में बिजली कर्मी निजीकरण विरोधी दिवस के रूप में मनायेंगे। 19 दिसम्बर को काकोरी क्रांति के महानायक पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां और ठाकुर रोशन सिंह के बलिदान दिवस पर ‘‘शहीदों के सपनों का भारत बचाओ निजीकरण हटाओ’’ दिवस मनाया जायेगा और पूरे देश में जनपद एवं परियोजना मुख्यालयों पर सभायें की जायेंगी। एनसीसीओईईई ने निर्णय लिया कि लखनऊ में 22 दिसम्बर को विशाल बिजली पंचायत एवं चंडीगढ़ में 25 दिसम्बर को विशाल बिजली पंचायत आयोजित की जायेंगी जिसमें बिजली कर्मियों के साथ बड़ी संख्या में किसान और आम उपभोक्ता सम्मिलित होंगे जिन्हें बिजली के निजीकरण से उपभोक्ताओं और कर्मचारियों को होने वाले भारी नुकसान से अवगत कराया जायेगा।एनसीसीओईईई ने उप्र पावर कारपोरेशन द्वारा विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के साथ में समझौतों का उल्लंघन करते हुए निजीकरण की एकतरफा कार्यवाही की घोर निन्दा की और प्रदेश के मुख्यमंत्री मा0 योगी आदित्यनाथ जी से यह मांग की कि वे प्रभावी हस्तक्षेप करने की कृपा करें जिससे पावर कारपोरेशन प्रबन्धन द्वारा अनावश्यक रूप से उप्र के ऊर्जा क्षेत्र में उत्पन्न की गयी औद्योगिक अशान्ति के वातावरण को समाप्त किया जा सके। उल्लेखनीय है कि 05 अप्रैल 2018 को तत्कालीन ऊर्जा मंत्री  श्रीकान्त शर्मा एवं 06 अक्टूबर 2020 को वित्त मंत्री श्री सुरेश खन्ना एवं तत्कालीन ऊर्जा मंत्री श्री श्रीकान्त शर्मा के साथ लिखित समझौते में कहा गया है कि ‘‘उप्र में विद्युत वितरण निगमों में वर्तमान व्यवस्था में ही कर्मचारियों को विश्वास में लेकर सुधार किया जायेगा और उप्र में ऊर्जा क्षेत्र में किसी भी प्रकार का निजीकरण कर्मचारियों को विश्वास में लिये बगैर नहीं किया जायेगा।’’
एनसीसीओईईई की विस्तारित बैठक में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के राजीव सिंह, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय,सुहैल आबिद, पी.के.दीक्षित, राजेंद्र घिल्डियाल, चंद्र भूषण उपाध्याय, आर वाई शुक्ला, छोटेलाल दीक्षित, देवेन्द्र पाण्डेय, आर बी सिंह, राम कृपाल यादव, मो वसीम, मायाशंकर तिवारी, राम चरण सिंह, मो0 इलियास, श्री चन्द, सरयू त्रिवेदी, योगेन्द्र कुमार, ए.के. श्रीवास्तव, के.एस. रावत, रफीक अहमद, पी एस बाजपेई, जी.पी. सिंह, राम सहारे वर्मा, प्रेम नाथ राय एवं विशम्भर सिंह आदि मुख्यतया उपस्थित रहे।

एक रूपये में जमीन पर पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन ने जताई चिन्ता

उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन की केंद्रीय कोर कमेटी की आज एक आवश्यक बैठक फील्ड हॉस्टल कार्यालय में संपन्न हुई। बैठक में इस बात पर चिंता व्यक्त किया गया कि  एनर्जी टास्क फोर्स द्वारा पारित मसौदे में दलित व पिछड़े वर्गों सहित अन्य गरीब वर्ग के लिए लागू आरक्षण की व्यवस्था का कोई भी प्रावधान नहीं किया गया। संगठन के नेताओं ने इस बात पर चिंता व्यक्त की की जमीन सरकार की उपकरण सरकार का लेकिन आरक्षण नहीं मिला। इस प्रकार से जो मसौदा को मंजूरी दी गई है यह दलित व पिछड़े वर्ग के अभियंताओं कार्मिकों के साथ बडा धोखा है। जब सब कुछ सरकार का है 49 परसेंट इक्विटी भी सरकार की होगी जैसा कि कहा जा रहा है तो आरक्षण क्यों नहीं मिलेगा।संगठन के नेताओं ने कहा उत्तर प्रदेश में आरक्षण पर कुठाराघात जिस प्रकार से किया जा रहा है उसे आने वाले समय में सरकारी नौकरियों में दलित व पिछड़े वर्गों का प्रतिनिधित्व लगभग खत्म हो जाएगा। जिसके लिए सभी राजनीतिक दलों के आरक्षित वर्ग के दलित व पिछड़े वर्ग के जनप्रतिनिधियों को भी चिंता होनी चाहिए। क्योंकि वह दलित व पिछड़े वर्गों के लिए संवैधानिक कस्टोडियन के रूप में काम करते हैं। एसोसिएशन ने व्यक्त की चिंता कहा 1 रुपए में जमीन और सरकार का 49 प्रतिशत शेयर फिर भी दलित व पिछड़े वर्गों सहित सामान्य वर्ग के गरीबों को आरक्षण क्यों नहीं। उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन के के अध्यक्ष के बी राम कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा, महासचिव अनिल कुमार, सचिव आरपी केन, संगठन सचिव बिंदा प्रसाद, सुशील कुमार वर्मा, राम बुझारत, एसके विमल ने कहा जितने भी मसौदे गोपनीय तरीके से तैयार किया जा रहे हैं इसका खुलासा होना बहुत जरूरी है। निजीकरण के फल स्वरुप आरक्षित वर्ग के अभियंता कार्मिकों के साथ जो अन्य होने वाला है वह बहुत ही चिंता का विषय है। लगातार संगठन ने शासन प्रशासन व उच्च स्तर पर अपनी आरक्षण की मांगों को सबके सामने रखा लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। बाबा साहब की संवैधानिक व्यवस्था पर कुठाराघात को संगठन के पदाधिकारी सहने वाले नहीं है इसके लिए जो भी संवैधानिक लडाई की आवश्यकता होगी संगठन पूरी निष्ठा के साथ लडेगा।

Aaj National

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