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REPORT BY: PREM SHARMA ||AAJNATIONAL NEWS DEASK
लखनऊ। उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन की प्रांतीय कार्य समिति की आज एक आवश्यक बैठक बिजली निजीकरण को लेकर की गई। बैठक में सरकार के सामने सवाल रखा गया कि ऐसा करने पर दलित, पिछड़ों का आरक्षण सुरक्षित है ? दक्षिणांचल व पूर्वांचल को निजीकरण करने के लिए ट्रांजैक्शन एडवाइजर कंसलटेंट को रखने के लिए एनर्जी टास्क फोर्स में अनुमति दिए जाने के विरोध में पूरे प्रदेश में दलित व पिछड़े वर्ग के अभियंताओं में भारी रोष है। एसोसियेशन ने कहा सरकार यदि इसे सुधार मॉडल मानती है तो सबसे पहले उत्तर प्रदेश सरकार को यह बताना चाहिए कि सुधार मॉडल में दलित व पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण की क्या व्यवस्था है। आरक्षण समाप्त करके देश में सुधार की बात करना बाबा साहब की संवैधानिक व्यवस्था पर बड़ा कुठाराघात है। जिसे दलित व पिछड़े वर्ग के अभियंता कार्मिक बर्दाश्त नहीं करेंगे।जल्दी पूरे प्रदेश में संगठन के बैनर तले काली पट्टी बांधकर विरोध प्रक्रिया को संवैधानिक तरीके से आगे बढ़ाया जाएगा किसी भी सूरत में निजीकरण को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उसके लिए करो मरो की तर्ज पर लड़ाई को दलित व पिछड़े वर्ग के अभियंता लड़ेंगे।
पावर ऑफिसर एसोसिएशन के सभी सदस्य संवैधानिक तरीके से अपनी लड़ाई लड़ने के लिए वचनबद्ध हैं बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने कहा था बिजली का निजीकरण नहीं होना चाहिए। उसे हमेशा सार्वजनिक क्षेत्र में रहना चाहिए। लेकिन जिस प्रकार से कार्यवाही को आगे बढ़ाया जा रहा है। उससे यह सिद्ध हो रहा है कि बाबा साहब के सिद्धांतों पर कुठाराघात करने की कोशिश की जा रही है। उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा, महासचिव अनिल कुमार, संगठन सचिव बिंदा प्रसाद, ट्रांसमिशन अध्यक्ष सुशील कुमार वर्मा, एक प्रभाकर, अजय कुमार ने कहा जिस प्रकार से निजीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा रहा है वह पूरी तरह गलत है। पहले भी एनर्जी ट्रांसफार्मर में एक मसौदे को मंजूरी दी गई थी और अब नए सिरे से मसौदे को तैयार किया जा रहा है।जो अपने आप में बड़े जांच का मामला बनता है। निजीकरण की प्रक्रिया से सबसे ज्यादा नुकसान दलित व पिछड़े वर्ग के अभियंताओं का होगा।
कंसलटेंट चयन प्रक्रिया पहले गलत, तो दोषी पर कब होगी कार्रवाई?
-उपभोक्ता परिषद पूछा, 5 दिसंबर 2024 को एनर्जी टास्क फोर्स मसौदे की सरकार जांच कराएगी ?
एनर्जी टास्क फोर्स में नए सिरे से पूर्वांचल व दक्षिणांचल को निजीकरण करने के लिए ट्रांजैक्शन एडवाइजर( कंसल्टेंट )रखने के लिए क्वालिटी कम कास्ट बेस सलेक्शन (क्यूसीबीएस) प्रक्रिया के आधार पर टेंडर जारी करने के लिए रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल आर0एफ0पी की अनुमति दी गई है। जिसमें कंसल्टेंट को भाग लेने के लिए उसका न्यूनतम 500 करोड और अधिकतम 2000 करोड का टर्नओवर होना जरूरी है। यानी कि यह तो तय हो गया कि पूरे देश में जो 4 बिग कंसलटेंट कंपनियां है वही भाग ले पाएंगे। सबसे चौंकाने वाला मामला यह है कि ऐसे में मनचाहे कंसलटेंट का चुनाव किया जाना बहुत आसान हो गया है। क्योंकि 80 व 20 के आधार पर कंसल्टेंट का चयन किया जाएगा। जिसमे फाइनेंशियल विड केवल 20 नंबर की होगी और 80 नंबर का एक्सपीरियंस प्रस्तुतीकरण जो उच्चधिकारियों के हाथ में होगा। ऐसे में अधिकारी जिसको ज्यादा नंबर दे देगा, उसकी दर चाहे जितनी अधिक हो, न्यूनतम हो, अधिकतम हो एल-1 टेंडर से मतलब नहीं रहेगा। उसको आसानी से टेंडर मिल जाएगा। टेंडर की प्रक्रिया शुरू होते ही पारदर्शिता का अभाव सामने आ गया है ।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा सबसे पहले उत्तर प्रदेश सरकार को या बताना चाहिए कि जब एनर्जी टास्क फोर्स में 5 दिसंबर 2024 को पूरी प्रक्रिया पर अनुमोदन दिया गया। अनेको ऐसे मामलों का खुलासा हुआ जिससे निजीकरण के फल स्वरुप नई बनने वाली कंपनियों को लेने वाले उद्योगपतियों का फायदा सामने आया, क्या उसकी कोई जांच सरकार कराएगी ? और नहीं कराएगी तो अब पुनः उद्योगपतियों को ही फायदा देने के लिए आगे कार्यवाही को क्यों बढाया जा रहा है। सभी को पता है निजीकरण ना तो किसानों, , ना उपभोक्ताओं, बेरोजगारों के हित में है तो फिर किसके हित में है इस पर पहले सरकार को अपना मत स्पष्ट करना चाहिए। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा वर्ष 2019 में जब के आधार पर उत्तर प्रदेश में बिलिंग व आईटी के कार्यों के लिए क्यूसीबीएस व्यवस्था को लागू किया गया था तो उपभोक्ता परिषद के अनुरोध पर तत्कालीन ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष को निर्देश जारी करके इस व्यवस्था को समाप्त करने पूरे मामले की जांच कराने व दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई का निर्देश दिया था। आज वही व्यवस्था एनर्जी टास्क फोर्स में अनुमोदित की जा रही है दुर्भाग्य की बात है।
’बिजली निजीकरण की कंसल्टेंट नियुक्त प्रक्रिया पर भड़के बिजली कर्मी
-बिजली कर्मी 10 जनवरी को प्रदेश भर में विरोध दिवस मनाएंगें
उत्तर प्रदेश शासन की एनर्जी टास्क फोर्स द्वारा बिजली के निजीकरण हेतु ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट नियुक्त करने की प्रक्रिया को अनुमति प्रदान करने से बिजली कर्मियों में भारी गुस्सा व्याप्त हो गया है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने 10 जनवरी को विरोध दिवस मनाने और निजीकरण वापस होने तक सतत संघर्ष का ऐलान किया है।विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के पदाधिकारियों ने कहा कि उत्तर प्रदेश शासन की एनर्जी टास्क फोर्स द्वारा पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण को अंजाम देने हेतु ट्रांजैक्शन कंसलटेंट नियुक्त करने हेतु आर एफ पी डॉक्यूमेंट को अनुमति प्रदान करना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और भड़काने वाला कदम है। उन्होंने कहा की इससे समस्त ऊर्जा निगमों के कर्मचारियों में भारी गुस्सा व्याप्त हो गया है।
उन्होंने कहा की 05 अप्रैल 2018 और 06 अक्टूबर 2020 को क्रमशः तत्कालीन ऊर्जा मंत्री और वित्त मंत्री एवं ऊर्जा मंत्री के साथ हुए लिखित समझौते में स्पष्ट कहा गया है कि उत्तर प्रदेश के ऊर्जा क्षेत्र में कर्मचारियों को विश्वास में लिए बिना कोई निजीकरण नहीं किया जाएगा। आज एनर्जी टास्क फोर्स द्वारा निजीकरण हेतु कंसल्टेंट की नियुक्ति हेतु दिया गया अनुमोदन इस समझौते का खुला उल्लंघन है । संघर्ष समिति के पदाधिकारियों राजीव सिंह, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय, एवं राम निवास त्यागी ने कहा कि वर्ष 2000 में जब उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद का विघटन किया गया था तब भी कंसल्टेंट की नियुक्ति की गई थी और लगभग 15 करोड रुपए कंसलटेंट पर व्यय किए गए थे। विद्युत परिषद के विघटन का प्रयोग पूरी तरह विफल साबित हुआ है। एक बार फिर कंसल्टेंट की नियुक्ति कर सरकारी धन का अपव्यय किया जा रहा है और अनावश्यक तौर पर ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशांति का वातावरण पैदा किया जा रहा है।
संघर्ष समिति ने एनर्जी टास्क फोर्स द्वारा कंसल्टेंट नियुक्त करने की प्रक्रिया को प्रारम्भ करने की अनुमति देने के विरोध में 10 जनवरी को विरोध दिवस मनाने का ऐलान किया है। विरोध दिवस के तहत समस्त ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारी, संविदा कर्मी और अभियन्ता भोजनावकाश में या कार्यालय समय के उपरान्त समस्त जनपदों,परियोजनाओं मुख्यालयों पर विरोध सभाएं करेंगे। संघर्ष समिति ने कहा कि बिजली कर्मी किसी भी कीमत पर निजीकरण स्वीकार नहीं करेंगे और निजीकरण का निर्णय वापस होने तक सतत संघर्ष जारी रहेगा। 11,12,13 और 14 जनवरी को अवकाश के दिनों में आम उपभोक्ताओं के बीच निजीकरण के विरोध में अभियान चलाया जाएगा। संघर्ष के विस्तृत कार्यक्रमों की घोषणा कल की जाएगी।
लखनऊ में अत्याधुनिक फ्रेश वेस्ट प्रसंस्करण संयंत्र शुरू
नगर की महापौर सुषमा खर्कवाल द्वारा वरिष्ठ भाजपा नेता नीरज सिंह एवं 25 से अधिक पार्षदों की उपस्थिति में ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन के अन्तर्गत अत्याधुनिक फ्रेश वेस्ट प्रसंस्करण संयंत्र शुभारम्भ किया गया। लखनऊ नगर निगम सीमा क्षेत्र की सफाई व्यवस्था को सुदृढ़ किये जाने के उद्देश्य से शिवरी स्थित ठोस अपशिष्ट प्रोसेसिंग प्लान्ट पर नगर में प्रतिदिन जनित लगभग 2000 मीट्रिक टन फ्रेश कूड़े के निस्तारण कार्य हेतु द्वितीय चरण में 700 मीट्रिक टन क्षमता के प्रसंस्करण संयत्र की स्थापना, संचालन एवं अनुरक्षण कार्य किया जाएगा।
महापौर द्वारा उपस्थित जनप्रतिनिधियों, नगर निगम के अधिकारीगणों एवं आम जनमानस को नगर निगम लखनऊ द्वारा शहर को स्वच्छ एवं सुन्दर बनाये जाने एवं नगर को कूड़ा व प्रदूषण मुक्त किये जाने हेतु किये जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए उक्त योजना मे कार्यरत मेसर्स भूमि ग्रीन एनर्जी संस्था एवं समस्त कर्मचारियों को शुभकामनाऐं दी गयीं। नगर निगम द्वारा सॉलिड वेस्ट मैनेजमेन्ट के अन्तर्गत किये जा रहे समस्त कार्यों के सम्बन्ध में महापौर महोदया एवं नीरज सिंह को अवगत कराया गया। प्रथम व द्वितीय चरण में स्थापित 700-700 मीट्रिक टन क्षमता सहित कुल 1400 मीट्रिक टन क्षमता के पलांट की स्थापना करते हुए लखनऊ नगर में जनित कुल 2000 मीट्रिक टन ठोस अपशिष्ट के निस्तारण हेतु आगामी माह में प्लान्ट का विस्तार किये जाने के सम्बन्ध में अवगत कराया गया। इस अवसर पर नीरज सिंह द्वारा कहा गया कि सांसद राजनाथ सिंह की फ्यूचरिस्टिक सोच के अन्तर्गत जो कार्य होने चाहिए थे उन्हें नगर निगम द्वारा सुचारू रूप से किया जा रहा है। साथ ही शरीर में जैसे दिल होता है जो धमनियों में रक्त का संचार करता है उसी प्रकार से नगर निगम की तुलना शरीर में स्थित दिल से की गयी एवं सॉलिड वेस्ट मैनेजमेन्ट क्षेत्र में नगर निगम द्वारा किये जा रहे प्रयासों को सस्टेनेबल डेवलेपमेन्ट (सतत विकास) की अप्रोच के साथ बनने वाले दिशा को प्रोत्साहित किया गया। महापौर द्वारा शिवरी प्लान्ट पर बनाये गये नवीन सभागार का नाम श्रद्धेय अटल बिहारी बाजपेयी के नाम से रखने की बात कही गयी।
प्लान्ट के शुभारम्भ कार्यक्रम में पार्षद दल के उप नेता एवं पार्षद सुशील तिवारी, रंजीत सिंह, शैलेन्द्र वर्मा, पियूष दीवान,राकेश मिश्रा, धर्मेंद्र सिंह एवं पार्षद प्रतिनिधि नागेन्द्र सिंह, हरीश अवस्थी, संतोष राय, राजीव त्रिपाठी, सुधीर मिश्रा, सुनील शंखधर इत्यादि सहित नगर आयुक्त इन्द्रजीत सिंह, अपर नगर आयुक्त ललित कुमार,पंकज श्रीवास्तव, अरूण कुमार गुप्ता, डा. अरविन्द कुमार राव एवं मुख्य अभियन्ता (सिविल) महेश वर्मा, मुख्य अभियन्ता (वि/याँ) मनोज प्रभात, मुख्य वित्त एवं लेखाधिकारी नन्द राम कुरील, पर्यावरण अभियन्ता संजीव प्रधान व अधिशासी अभियन्ता पीके सिंह, समस्त जोनल अधिकारी सहित नगर निगम के अन्य अधिकारी भी उपस्थित रहे।
कितने फायदेमंद होगा अत्याधुनिक संयंत्र
यह नवीन फ्रेश वेस्ट प्रसंस्करण संयंत्र पूर्व स्थापित 700 मीट्रिक टन क्षमता वाले प्लांट के साथ मिलकर कार्य करेगा। दोनों संयंत्रों की कुल क्षमता 1400 मीट्रिक टन प्रतिदिन होगी। इस प्रकार शहर में उत्पन्न होने वाले कुल 2000 मीट्रिक टन कचरे में से 70 प्रतिशत का वैज्ञानिक प्रसंस्करण सुनिश्चित होगा।नए फ्रेश वेस्ट प्रसंस्करण संयंत्र में अत्याधुनिक सुविधाओं का समावेश किया गया है। इस नवीन प्लांट में लगी आधुनिक मशीनरी कचरे का वैज्ञानिक विधि से प्रसंस्करण करेगी। पर्यावरण की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पर्यावरण मित्र प्रसंस्करण प्रणाली स्थापित की गई है। कचरे के बेहतर उपयोग के लिए इससे खाद और ऊर्जा उत्पादन की आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। कचरे के उचित निस्तारण के लिए स्वचालित श्रेणीकरण और पृथक्करण प्रणाली लगाई गई है, जो कचरे को उसकी प्रकृति के अनुसार अलग-अलग करेगी। वातावरण को स्वच्छ रखने के लिए दुर्गंध नियंत्रण प्रणाली भी स्थापित की गई है। साथ ही, संयंत्र में एक आधुनिक प्रयोगशाला भी स्थापित की गई है, जो प्रसंस्करण की गुणवत्ता की निरंतर जांच करेगी और मानकों के अनुरूप कार्य सुनिश्चित करेगी। यह संयंत्र अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप स्थापित किया गया है। इससे न केवल पर्यावरण की रक्षा होगी बल्कि लैंडफिल साइट्स पर दबाव भी कम होगा। संयंत्र से प्राप्त जैविक खाद कृषि कार्यों में उपयोगी होगी तथा ऊर्जा उत्पादन से बिजली आपूर्ति में सहायता मिलेगी।
अवैध कब्जे से मुक्त कराई दो करोड़ की भूमि
इन्द्रजीत सिंह, नगर आयुक्त व पंकज श्रीवास्तव अपर नगर आयुक्त के आदेशानुसार संजय यादव प्रभारी अधिकारी सम्पत्ति एवं तहसीलदार अरविन्द कुमार पाण्डेय के निर्देश पर नगर निगम की 0.1500 हेक्टेयर बेशकीमती भूमि अवैध कब्जों से मुक्त करायी गयी।उक्त अवैध कब्जें से मुक्त कराई गई भूमि की बाजारू कीमत लगभग रू 02 करोड़ होगी।
नगर निगम की टीम ने आज ग्राम-सलेमपुर पतौरा, तहसील व जिला-लखनऊ की खसरा संख्या-209/0.443 हेक्टेयर तालाब दर्ज भूमि में से 0.126 हेक्टेयर एवं खसरा संख्या-195/0.253 हेक्टेयर प्राचीन परती, खसरा संख्या-195/0.0025 हेक्टेयर बंजर तथा खसरा संख्या-195/0.0387 हेक्टेयर ऊसर दर्ज भूमि में से 0.024 हेक्टेयर पर बडे पैमाने पर प्रापर्टी डीलरों के विरूद्ध कार्यवाही करते हुये अवैध रूप से सरकारी भूमि पर की गयी प्लाटिंग, अस्थाई बाउण्ड्रीवाल व सड़क आदि रिहायसी संरचना आदि को मौके पर नायब तहसीलदार रत्नेश कुमार के नेतृत्व में राजस्व निरीक्षक अविनाश चन्द्र तिवारी, लेखपाल अजीत तिवारी, अनुपम मिश्रा व सैफुल हक की उपस्थिति में थानाध्यक्ष थाना-पारा द्वारा उपलब्ध करायी गयी पर्याप्त पुलिस बल के सहयोग से शांतिपूर्ण ढंग से 0.1500 हेक्टेयर भूमि से कब्जा हटवा दिया गया। भूमि को अतिक्रमणमुक्त कराते समय कतिपय प्रापर्टी डीलरों ने विरोध किया किन्तु शांतिपूर्ण ढंग से कार्यवाही सम्पादित कर दी गयी। उक्त कार्यवाही से कुल 0.1500 हेक्टेेयर बेशकीमती भूमि अवैध कब्जों से मुक्त करायी गयी।नगर आयुक्त इन्द्रजीत सिंह ने सभी जोनल अधिकारियों को सख्त हिदायत दी है कि नगर निगम की जमीन पर अवैध कब्जेदारों के खिलाफ अभियान जारी रखा जाए।