-पीपीपी माडल के दो मसौदे भविष्य में सीएजी ऑडिट के मुद्दे बनेगें
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REPORT BY: PREM SHARMA || AAJNATIONAL NEWS DEASK
लखनऊ।दक्षिणांचल व पूर्वांचल को पीपीपी मॉडल के तहत इसका निजीकरण किए जाने के लिए जो ट्रांजैक्शन एडवाइजर के लिए विज्ञापन निकाला जा रहा है वह पूरी तरह गलत है। बिना नियामक आयोग के अनुमति के ऐसा नहीं किया जा सकता। इससे बडा सवाल है यह कि 5 दिसंबर 2024 को एनर्जी टास्क फोर्स में जो पीपीपी मॉडल का मसौदा अनुमोदित किया गया वह भी कंसल्टेंट द्वारा बनाया गया था। ऐसे में जब वह मसौदा पूरी तरह फेल हो गया, तो कैसे विश्वास किया जाए कि एनर्जी टास्क फोर्स अब जो ट्रांजैक्शन एडवाइजर निकालने हेतु विज्ञापन जारी करने का आदेश दे रहा है। उसमें कोई गोलमाल नहीं है। उपभोक्ता परिषद ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से यह मांग उठाई है कि एनर्जी टास्क फोर्स की विश्वसनीयता पूरी तरह खत्म हो गई है। इसलिए उसके किसी भी प्रस्ताव पर कोई कार्रवाई न की जाए। क्योकि आने वाले समय में यह सीएजी ऑडिट का बडा मुद्दा बनेगा।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा पावर कॉरपोरेशन जिस जल्दबाजी से सबसे पहले मसौदे को अनुमोदित कराया और अब एक नया मसौदा लेकर आ गया या पूरी तरीके से गोलमाल को साबित करता है। प्रदेश के मुख्यमंत्री को सरकार की छवि बचाने के लिए इस प्रकार की आसंवैधानिक कार्यवाही पर तत्काल रोक लगाते हुए उच्च स्तरीय जांच का आदेश दे देना चाहिए। जिससे प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का सरकार में विश्वास बना रहे। सभी को पता है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति है। ऐसे में जिस प्रकार से प्रदेश के 42 जनपदों को निजी क्षेत्र में देने के लिए रोज नए-नए प्रस्ताव सामने आ रहे हैं। उससे यह प्रतीत हो है कि बडा गोलमाल होने जा रहा है। इसलिए प्रदेश के मुख्यमंत्री को इस पूरे मामले पर हस्तक्षेप करते हुए तत्काल जांच का आदेश पारित करना चाहिए। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा पावर कॉरपोरेशन जिस प्रकार से ट्रांजैक्शन एडवाइजर निकालने के लिए हर तरह के संवैधानिक हथकंडे अपना रहा है उससे सिद्ध होता है की दाल में कुछ काला है।
कंसलटेंट नियुक्ति प्रक्रिया प्रारंभ, काली पट्टी बांध और विरोध सभा करेंगे बिजली कर्मी
विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण हेतु ट्रांजैक्शन कंसलटेंट नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू होने के समाचार से बिजली कर्मियों में भारी गुस्सा व्याप्त हो गया है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के आह्वान पर 13 जनवरी को समस्त ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारी, संविदा कर्मी और अभियन्ता पूरे दिन विरोध स्वरूप काली पट्टी बांधेंगे और राजधानी लखनऊ सहित समस्त जनपदों, परियोजनाओं पर विरोध सभाएं करेंगे। रविवारअवकाश के दिन बिजली कर्मचारियों ने गोमती नगर एक्सटेंशन में रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के माध्यम से आम उपभोक्ताओं से व्यापक सम्पर्क किया और उन्हें निजीकरण से होने वाले नुक्सान से अवगत कराया।राजधानी लखनऊ में 13 जनवरी को सायं 05 बजे शक्ति भवन पर विरोध सभा होगी।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों राजीव सिंह, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय, सुहैल आबिद, पी.के.दीक्षित, राजेंद्र घिल्डियाल, चंद्र भूषण उपाध्याय, आर वाई शुक्ला, छोटेलाल दीक्षित, देवेन्द्र पाण्डेय, आर बी सिंह, राम कृपाल यादव, मो वसीम, मायाशंकर तिवारी, राम चरण सिंह, मो इलियास, श्रीचन्द, सरजू त्रिवेदी, योगेन्द्र कुमार, ए.के. श्रीवास्तव, के.एस. रावत, रफीक अहमद, पी एस बाजपेई, जी.पी. सिंह, राम सहारे वर्मा, प्रेम नाथ राय, विशम्भर सिंह एवं राम निवास त्यागी ने एनर्जी टास्क फोर्स द्वारा निजीकरण हेतु ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट नियुक्त करने के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि 05 दिसम्बर को भी एनर्जी टास्क फोर्स ने इसी प्रकार का निर्णय लिया था। यह निर्णय क्या था और इसे क्यों निरस्त करना पड़ा इसे आम उपभोक्ताओं और कर्मचारियों के सामने रखना चाहिए। संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन निजीकरण की जल्दी में उप्र सरकार को बदनाम करने में लगा है। संघर्ष समिति ने पॉवर कॉरपोरेशन प्रबन्धन पर कुछ चुनिंदा निजी घरानों के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया और कहा कि प्रबंधन लाखों करोड़ रुपए की वितरण निगमों की परिसंपत्तियों को कौड़ियों के मोल पहले से तय निजी घरानों को बेचना चाह रहा है। वितरण निगमों की पूरी जमीन मात्र एक रुपए प्रति वर्ष की लीज पर देने का घातक निर्णय लिया जा रहा है। संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि इसी दृष्टि से ट्रांजेक्शन कंसल्टेंट नियुक्त किए जाने की योजना बनाई गई है। संघर्ष समिति ने कहा कि बिजली कर्मी किसी भी कीमत पर विद्युत वितरण निगमों की परिसंपत्तियों की खुली लूट नहीं होने देंगे और निजीकरण का निर्णय वापस होने तक सतत संघर्ष जारी रहेगा।
अवकाश के दिन 73 लाख से अधिक गृहकर जमा
रविवार के कैम्प में एक हजार से अधिक संख्या में नागरिको द्वारा कर निर्धारण कराते हुए बड़ी धनराशि जमा करायी गयी। शहर के आठो जोनों में कार्यालय एवं कैम्प के माध्यम से 1058 भवन, प्रतिष्ठान स्वामियों से 73,11,734 रूपये गृहकर के रूप में जमा कराया गया।
नगर निगम लखनऊ द्वारा आज रविवार के अवकाश में समस्त जोन क्षेत्र में विशेषकर जोन-3 के वार्ड जानकीपुरम तृतीय में जनेश्वर इन्क्लेव, सरगम अपार्टमेंट (कुर्सी रोड), सेक्टर-3 पार्क-9 तथा जोन-4 के वार्ड खरगापुर सरसवां में सेक्टर-1 वनस्थली अपार्टमेन्ट तथा वार्ड भरवारा मल्हौर के सिटाडेल अपार्टमेंट में कैम्प आयोजित करते हुए कर निर्धारण व कर भुगतान का कार्य कराया जा रहा है। इन कैम्पो के माध्यम से एक हजार से अधिक संख्या में नागरिको द्वारा कर निर्धारण कराते हुए गृहकर की कुल बड़ी धनराशि का आज भुगतान भी किया गया। जोन-1 में 37 भवनों से 5,88,205, जोन-2 में 40 भवनों से 96,119, जोन-3 में 391 भवनों से 28,94,343, जोन-4 में 233 भवन प्रतिष्ठान स्वामियों से 20,72,862 रूपये गृहकर के रूप में जमा कराये गए। इसके साथ ही जोन-5 में 20 भवन स्वामियों से 85,490, जोन-6 में 122 भवन स्वामियों से 4,07,136, जोन-7 में 112 भवन स्वामियों से 3,66,992 और जोन-8 में 103 भवन स्वामियों से 8,00,586 रूपये और समस्त आठों जोन में कुल 73,11,734 रूपये गृहकर जमा कराया गया।
नगर निगम सीमा पर गृहकर का विरोध अवैध: निगम प्रशासन
लखनऊ नगर निगम की सीमा में सरकार के अधिसूचना के अंतर्गत, 5 दिसम्बर, 2019 में किए गए विस्तार के फलस्वरूप विभिन्न क्षेत्र,ग्राम सम्मिलित हुए है। सीमा विस्तार के पश्चात तत्कालीन नगर आयुक्त द्वारा व्यवस्था तथा अन्य संबंधी कार्याे हेतु एक वर्ष का समय लेते हुए दिसम्बर, 2020 से कर निर्धारण किए जाने के आदेश निर्गत किए गए थे। इसी क्रम में वर्तमान में विस्तारित क्षेत्र की नागरिक समितियों से समन्वय स्थापित करते हुए भवनों के कर निर्धारण हेतु कैम्प का आयोजन उक्त क्षेत्रों में किया जा रहा है। इन गृहकर निर्धारण हेतु लगाये जा रहे कैम्पो का निजी स्वार्थ वस कुछ व्यक्तियों द्वारा विरोध किया जा रहा है।नगर निगम के सीमा विस्तारित क्षेत्रो में नगर निगम अधिनियम 1959 की धारा 3(2) व 177ज के तहत गृहकर नियमानुसार देय है। गृहकर निर्धारण एवं भवन कर संग्रहण संबंधी कैम्प में भवनस्वामियों को जाने के लिए गुमराह करना शहर के विकास एवं सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न करने जैसा है। उन्होंने कहा कि इस तरह का विरोध अवैध और गैरकानूनी है।
निगम प्रशासन के तरफ से बिना किसी अधिकृत अधिकारी के हवाले से भेजी गई सूचना में कहा गया है कि उ.प्र. नगर निगम अधिनियम 1959 की धारा 3 (2) में बृहत्तर नगरीय क्षेत्र की घोषणा के संबंध में यह प्राविधान है कि ‘‘… अधिसूचना द्वारा राज्यपाल किसी क्षेत्र को नगर में सम्मिलित करे, वहाँ ऐसे क्षेत्र पर इस अधिनियम या किसी अन्य अधिनियमित के अधीन बनाई गई या जारी की और ऐसे क्षेत्र को सम्मिलित किये जाने के ठीक पूर्व नगर में प्रवृत्त अधिसूचनायें नियम, विनियम, उपविधियों, आदेश और निर्देश लागू हो जायेंगे और इस अधिनियम के अधीन अधिरोपित समस्त कर, फीस और प्रभार उपर्युक्त क्षेत्र में लगाये और वसूल किये जायेंगे और किये जाते रहेंगे।’’उक्त नियम से यह स्पष्ट है कि नगर क्षेत्र में सम्मिलित किए गये क्षेत्र पर समस्त प्रकार के कर, फीस व प्रभार नियमानुसार देय होगें। उपरोक्त के संबंध में नागरिक समितियों द्वारा आपत्ति किया जाना कि नगर सीमा में शामिल क्षेत्रों में एल.डी.ए.,आवास विकास की योजना के हस्तांतरण न होने की दशा में गृहकर देय नहीं है। अथवा हस्तांतरण की तिथि से गृहकर देय होगा, अनुचित है तथा अमान्य है।
विरोध स्वरूप यह भी आपत्ति की जा रही है कि उ.प्र. नगर निगम अधिनियम 1959 की धारा 177 (ज) के अनुसार विकास कार्य कराये जाने तक अथवा 5 वर्ष तक गृहकर से छूट प्रदान की गयी है। इस परिपेक्ष्य में निगम प्रशासन की तरफ से कहा गया कि इस विषय में सर्वविदित है कि लखनऊ विकास प्राधिकरण एवं उ.प्र. आवास विकास परिषद की आवासीय योजनाएं जैसे कि जानकीपुरम व गोमती नगर विस्तार पूर्ण विकसित तथा समस्त मूलभूत नागरिक सुविधाओं से सम्पन्न आवासीय योजना है जहाँ हस्तांतरण व सीमा विस्तार से पूर्व ही विकास कार्य पूर्ण है, अतः ऐसे स्थिति में नियमानुसार सीमा विस्तार की तिथि से गृहकर व अन्य प्रभार देय है। नगर निगम अधिनियम 1959 की धारा 177ज द्वारा विस्तारित क्षेत्र की व्यवसायिक सम्पत्तियों पर गृहकर पर किसी प्रकार की रोक नही लगायी गयी है। चूँकि विकास प्राधिकरण एवं आवास विकास भी नगर निगम की तरह सरकारी संस्थाएं है जिनके द्वारा विस्तारित क्षेत्र में यदि नागरिक सुविधाओं संबंधी पूर्ण विकास कार्य कराये गये है, तो ऐसे क्षेत्रों को विकसित की श्रेणी में रखा जाता है। विभिन्न नागरिको व समितियों का यह कहना कि क्षेत्रीय विकास न होने की स्थिति में गृहकर लिया जाना उचित नहीं है। इस संबंध में स्पष्ट किया है कि गृहकर व अन्य कर का संबंध प्रत्यक्ष रूप से विकास कार्य से नहीं है। उपरोक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि विस्तारित क्षेत्रों में गृहकर की नियमानुसार देयता है। इसके पश्चात यदि कोई नागरिक अथवा समिति नगर निगम द्वारा किए जा रहे कर निर्धारण, गृहकर संबंधी सर्वे तथा कैम्प के कार्याे में बाधा उत्पन्न करता है यह शहर के विकास में बाधा उत्पन्न करने जैसा है जो कि उचित नहीं है।
स्वच्छ पर्यावरण आंदोलन सेना ने 344 वें रविवार गोमती से निकाला कचरा
बारिश और ठंड हवाओं के बीच स्वच्छ पर्यावरण आंदोलन सेना के स्वयं सेवकों ने गोमती नदी सफाई अभियान (सन्डे फॉर गोमती) का 344 वा रविवार पूर्ण किया। हनुमान सेतु निकट झूले लाल पार्क गोमती नदी तट पर सुबह 6.30 बजे से आरम्भ हुआ ये अभियान लगभग 2 घंटे चला। गोमती नदी सफाई अभियान में लगभग 5 कुंतल कचरा, सड़े गले कपड़े तथा सैकड़ों की संख्या में देवी देवताओं की मूर्तियां गोमती नदी के अंदर से बाहर निकाली गईं।
गोमती सफाई अभियान में लगभग दो दर्जन से अधिक स्वयं सेवकों ने हिस्सा लिया। गोमती संयोजक रणजीत सिंह के नेतृत्व में उपासना तिवारी शिखा सिंह, अर्चना सिंह पलक ,कृपा शंकर वर्मा, जय सिंह , रामकुमार बाल्मीकि, विष्णु तिवारी आनंद वर्मा, हरिनाम सिंह, परवेश यादव , संजय वर्मा, राकेश सोनकर दिनेश दत्त पाण्डेय, ललित कश्यप, शिव सोनी अजय जोशी, पवन कुमार, मनोज सिंह शिवराज इत्यादि स्वयं सेवको ने गोमती नदी सफाई के बाद आदि गंगा गोमती मां की विधिवत आरती की तथा सभी ने मुख्यमंत्री से गोमती नदी में गिरने वाले गन्दे नालों को बंद करने की मांग की गई।