हमीरपुर फर्जी अभिलेखों के सहारे नौकरी करने वाला डिपो का वरिष्ठ लिपिक बर्खास्त,शासन को हुई शिकायत की एआरएम द्वारा की गई जांच के बाद आरएम ने की कार्रवाई,34 साल पहले चालक पद से हुआ था भर्ती, फर्जी ढंग से बना परिचालक व वरिष्ठ लिपिक
उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले के स्थानीय डिपो में 34 वर्षों से तैनात व महोबा डिपो में संबद्ध वरिष्ठ लिपिक को क्षेत्रीय प्रबंधक चित्रकूट धाम मंडल बांदा ने फर्जी अभिलेख के सहारे नौकरी करने की शिकायत की जांच रिपोर्ट मिलने के बाद बर्खास्त कर दिया है। 34 वर्ष पूर्व चालक पद से भर्ती होने के बाद परिचालक, बुकिंग लिपिक के बाद बने वरिष्ठ लिपिक पर फर्जी अभिलेखों के सहारे नौकरी करने का आरोप है। शासन से हुई शिकायत की तत्कालीन एआरएम द्वारा की गई जांच की रिपोर्ट पर आरएम ने कार्रवाई की है।
स्थानीय डिपो में वरिष्ठ लिपिक पद पर तैनात तारिक हुसैन के खिलाफ संजय द्विवेदी ने शासन से शिकायत की थी जिसमें फर्जी शैक्षणिक प्रमाण पत्रों के आधार पर नौकरी करने का आरोप लगाया था जिस पर शासन से 4 अगस्त 2022 को मामले की जांच तत्कालीन एआरएम हमीरपुर अकील अहमद को जांच दी गई थी जिस पर उन्होंने तारिक अहमद को चार बार पक्ष रखने व साक्ष्य प्रस्तुत करने को बुलाया लेकिन वह नहीं आए। जिस पर उन्होंने लगाए गए आरोपों और फाइल में मिले अभिलेख व परिस्थिति जन्य आधार पर शिकायतकर्ता के आरोपों को सही मान तारिक को दोषी माना और जिसकी रिपोर्ट उन्होंने आरएम चित्रकूट धाम मंडल व शासन को भेजी गई थी उसी के आधार पर वरिष्ठ लिपिक को बर्खास्त किया गया है
स्थानीय रोडवेज डिपो के एआरएम आरपी साहू ने बताया कि डिपो में सीनियर लिपिक डीजल कक्ष में तैनात तारिक हुसैन सन 1990 में चालक पर जॉइन किए थे जिसके बाद इन्हें नियम अनुसार पद परिवर्तन के तहत परिचालक के पद पर नियुक्त किया गया वर्तमान में वरिष्ठ लिपिक के तौर पर कार्यरत थे जिनकी वर्ष 2022 में शासन स्तर पर फर्जी दस्तावेजों के सहारे नौकरी करने की शिकायत की गई थी जिसकी जांच तत्कालीन एआरएम को सौंपी गई थी जिसके बाद तारिक को मामले में अपना पक्ष रखने व साक्ष्य उपलब्ध कराने को चार बार पत्र भेजा गया। जिन्हें प्राप्त करने के बाद भी वह शैक्षणिक प्रमाण पत्रों के साथ जांच में उपस्थित नहीं हुए।जिसके चलते एआरएम की जाँच रिपोर्ट के आधार पर सीनियर लिपिक को बर्खास्त किया गया है।
बर्खास्त किए गए वरिष्ठ लिपिक तारिक हुसैन ने बताया कि उसके खिलाफ साजिश के तहत कार्रवाई की गई है। कार्यालय से उनके शैक्षिक दस्तावेज गायब कर दिए गए। उन्होंने जांच अधिकारी बदलने की मांग भी की थी। जिस पर गौर नहीं किया गया। वह मामले में उच्च न्यायालय की शरण लेंगे।