-सुधार योजना की परफॉमेंन्स रिपोर्ट समय पर न लेने पर उठाया सवाल
- -REPORT BY:PREM SHARMA || EDITED BY:AAJ NATIONAL NEWS DESK
लखनऊ। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना आरएसएस के तहत प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों पर लगभग 43 454 करोड़ से 44094 करोड़ के बीच बिजली कंपनियों में हर स्तर पर सुधार व कंपनियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए खर्च किया जा रहा है। जिसमें दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में लगभग 7434 करोड, मध्यांचल में 13539 करोड़, पश्मिांचल में 12695 करोड़ एवं पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में 9481 करोड़ तथा केस्को में 943 करोड़ का अनुमोदन विद्युत नियामक आयोग द्वारा 13 अगस्त 2024 को जारी करते हुए बिजली कंपनियों को अर्धवार्षिक परफॉर्मेंस रिपोर्ट आयोग में दाखिल करने का आदेश निर्गत किया गया था।लेकिन समयावधि से अधिक समय बीत जाने के बाद भी आज तक कोई भी परफॉर्मेंस रिपोर्ट आयोग के सामने नहीं दाखिल की गई। इसी बीच 42 जनपदों वाले दो बिजली कंपनियों को बेचने का निर्णय ले लिया गया।
इस पूरे मामले में आज एक नया मोड़ तब आ गया जब उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने विद्युत नियामक आयोग में एक लोक महत्व प्रस्ताव दाखिल करते हुए आयोग को यह अवगत कराया कि उपभोक्ता परिषद सरकारी धन का उपयोग कर बिजली कंपनियों को आत्मनिर्भर बनाकर उसे निजी घरानों को बेचने के विरोध में देश के प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति सेे सीबीआई जांच के लिए एक अनुरोध पत्र भेजा गया है। ऐसे में विद्युत नियामक आयोग कि भी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि उसके द्वारा इस पूरी योजना का अनुमोदन देते हुए यह भी निर्देश जारी किया गया था कि अर्धवार्षिक परफॉर्मेंस रिपोर्ट आयोग के सामने बिजली कंपनियां दाखिल करेगी। जो आज तक नहीं दाखिल हुई। ऐसे में इसी बीच यदि उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से 42 जनपदों के निजीकरण पर कोई राय मांगी जाए तो विद्युत नियामक आयोग उसे खारिज कर देना चाहिए था। क्योंकि विद्युत नियामक आयोग ने स्वतः इस पूरी योजना पर अपनी सहमति दी है। ऐसे में सबसे पहले आयोग की जिम्मेदारी बनती है कि वह आरडीएसएस योजना पर परफॉर्मेंस रिपोर्ट मंगाकर उसकी सफलता असफलता देखें। सबसे बड़ा चौंकाने वाला मामला यह है कि इस पूरी योजना में 60 प्रतिशत धनराशि केंद्र सरकारऔर 40 प्रतिशत उत्तर प्रदेश सरकार को अपने स्तर से देना है।उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा यह कितने दुर्भाग्य की बात है कि बिजली कंपनियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए केंद्र सरकार की आरडीएसएस योजना का अनुमोदन विद्युत नियामक आयत ने दिया। जिसमें यह भी पावर कारपोरेशन ने बताया कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर लग जाने के बाद अधिकतम रुपया 40 प्रति मीटर के हिसाब से बिजली कंपनियों को फायदा होगा। ऐसे में अब इस आदेश को नजर अंदाज करके बिजली कंपनियों को बेचने की साजिश कर ली गई या ऊर्जा सेक्टर का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार है।
बिजली महापंचायत में आकर ऊर्जा मंत्री निजीकरण के फायदे बताएं
-विकसित भारत के लिए सार्वजनिक क्षेत्र में बिजली जरूरी
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश ने ऊर्जा मंत्री के वक्तव्य पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री का विकसित भारत का लक्ष्य बिजली को सार्वजनिक क्षेत्र में बनाए रखते हुए ही पूरा किया जा सकता है। संघर्ष समिति ने कहा कि बिजली आपूर्ति का रोज नया कीर्तिमान सार्वजनिक क्षेत्र में ही बिजली कर्मी बना रहे हैं। यदि कोई विफलता है तो प्रबंधन की है, और प्रबंधन की विफलता निजीकरण का आधार नहीं बन सकती। बिजली के निजीकरण के विरोध में लगातार 196वें दिन प्रांत भर में बिजली कर्मियों का आंदोलन जारी रहा।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश ने कहा है कि किसानों, उपभोक्ताओं और बिजली कर्मियों की आगामी 22 जून को लखनऊ में होने वाली बिजली महापंचायत में प्रधानमंत्री के विकसित भारत का लक्ष्य और सार्वजनिक क्षेत्र में बिजली यह एक महत्वपूर्ण विषय होगा। बिजली महापंचायत का खुला निमंत्रण ऊर्जा मंत्री को है। संघर्ष समिति ने कहा कि ऊर्जा मंत्री बिजली महापंचायत में ससम्मान आमंत्रित है। वह बयान देने के बजाय बिजली महापंचायत में आकर बताएं कि बिजली के निजीकरण से किस प्रकार किसानों, उपभोक्ताओं और बिजली कर्मचारियों का भला होने जा रहा है। ऊर्जा मंत्री को किसानों, उपभोक्ताओं और बिजली कर्मियों के सामने अपनी बात रखने का इससे अच्छा मंच नहीं मिलेगा।विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा के इस वक्तव्य पर, कि निजी क्षेत्र के पास बेहतर तकनीक और प्रबंध कौशल है, अतः बिजली के निजीकरण का निर्णय लिया गया है, पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि प्रबंध कौशल में कोई कमी है तो वह प्रबंधन की है अतः प्रबंधन की कमी के आधार पर उत्तर प्रदेश के बेहद गरीब 42 जनपदों पर बिजली का निजीकरण क्यों थोपा जा रहा है ? ऊर्जा मंत्री को इसके दुष्परिणों पर भी विचार करना चाहिए। झूठे आंकड़े और बिजली कर्मियों को धमकी देकर निजीकरण नहीं किया जा सकता। संघर्ष समिति ने कहा कि बिजली कर्मियों ने 31104 मेगावाट बिजली आपूर्ति कर कल पूरे देश में एक नया कीर्तिमान बनाया था जिसे एक दिन बाद ही 31218 मेगावाट बिजली आपूर्ति कर बिजली कर्मियो ने तोड़ दिया है। इन सभी कीर्तिमानों पर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री एक ओर ट्वीट कर रहे हैं, यह कह रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में बिजली के क्षेत्र में नित्य नए कीर्तिमान बन रहे हैं और दूसरी ओर यह बयान दे रहे हैं कि प्रदेश की बिजली व्यवस्था में सुधार के लिए अब निजीकरण अपरिहार्य हो गया है। संघर्ष समिति ने कहा कि ऊर्जा मंत्री को ऐसे विरोधाभासी बयानों से बचना चाहिए।
संघर्ष समिति ने आगे कहा कि ऊर्जा मंत्री ने कहा है कि निजी कंपनियों के आने से इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत होगा और इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत होने से लाइन हानियां कम होगी। निजीकरण के बाद लाइन हानियां 40 प्रतिशत से घटकर 15 प्रतिशत तक आ जाएगी। इस पर संघर्ष समिति ने कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने के लिए भारत सरकार ने आरडीएसएस योजना चला रखी है जिसके तहत लगभग 44000 करोड रुपए उत्तर प्रदेश में व्यय किया जा रहा है। इससे इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत हो ही रहा है और इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत होने के साथ लाइन हानियां भी कम हो रही है। ऊर्जा मंत्री शायद यह भूल गए हैं कि उन्होंन बार-बार ट्वीट कर यह कहा है कि योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में लाइन हानियां 40 प्रतिशत से घट कर 16.5 प्रतिशत रह गई हैं। 15ः से नीचे अगले वर्ष लाइन हानियां आ जाएगी । अगर ऊर्जा मंत्री 15ः लाइन हानियों को ही निजीकरण करने का आधार मान रहे तो यह लक्ष्य लगभग प्राप्त ही हो गया है। संघर्ष समिति ने कहा कि दर असल निजीकरण के पीछे सुधार नहीं लूट का एजेंडा है। विद्युत परिषद के विघटन के समय 77 करोड रुपए का घाटा था। आई ए एस प्रबंधन के चलते आज घाटा बढ़कर एक लाख 10000 करोड रुपए पहुंच गया है। यह सरासर प्रबंधन की विफलता है। ऊर्जा मंत्री निजी क्षेत्र में बेहतर प्रबंध कौशल की वकालत करने के बजाय इस आई ए एस प्रबंधन पर कार्यवाही क्यों नहीं करते ? संघर्ष समिति ने कहा कि ऊर्जा मंत्री कह रहे हैं कि निजीकरण की प्रक्रिया पारदर्शी है और जनता, उपभोक्ता फोरम और कर्मचारी संगठनों से बातचीत की जा रही है और सभी पक्षों की राय को महत्व दिया जा रहा है। संघर्ष समिति ने ऊर्जा मंत्री के इस वक्तव्य को पूर्णतया असत्य बताते हुए कहा है कि विगत 07 महीने में स्वयं ऊर्जा मंत्री ने एक बार भी संघर्ष समिति और कर्मचारी संगठनों से कोई वार्ता नहीं की है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा मंत्री ने न किसी संगठन से बातचीत की है, न ही उपभोक्ता फोरम से बातचीत की है और जनता से बातचीत का तो कोई मतलब ही नहीं है। ऊर्जा मंत्री का यह वक्तव्य पूरी तरह असत्य है।
जलकल महाप्रबंधक का निरीक्षण, लापरवाहो और स्वेज इंडिया से स्पष्टीकरण
भीषण गर्मी और ग्रीष्मकालीन जल संकट की संभावना को देखते हुए जलकल विभाग द्वारा शहरभर में स्वच्छ और नियमित जलापूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। महाप्रबंधक जलकल कुलदीप सिंह ने बुधवार को नगर के विभिन्न क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने जलकल विभाग में आईजीआरएस (जन शिकायत निवारण प्रणाली), कंट्रोल रूम और अन्य माध्यमों से प्राप्त शिकायतों की समीक्षा की गई। समीक्षा के दौरान यह पाया गया कि जोन-3, जोन-6 और जोन-7 में सीवर से जुड़ी शिकायतों का समय से निस्तारण नहीं हो रहा है, जिससे आमजन को परेशानी हो रही है। इस पर महाप्रबंधक ने संबंधित अधिशासी अभियंताओं और स्वेज इंडिया से स्पष्टीकरण तलब किया है। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि शिकायतों के निस्तारण में कोई भी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और जवाबदेही तय की जाएगी।
ग्रीष्म ऋतु को ध्यान में रखते हुए जलापूर्ति की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए सभी अभियंताओं को प्रातःकालीन निरीक्षण कर जल की टेस्टिंग एवं वितरण व्यवस्था की निगरानी के निर्देश पहले ही दिए जा चुके थे। बावजूद इसके जोन-7 के अवर अभियंता विक्रम सिंह द्वारा निर्देशों की अवहेलना करते हुए बुधवार को निरीक्षण नहीं किया गया। इस लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए महाप्रबंधक ने उनके एक दिन का वेतन काटने का आदेश जारी किया है। इसी के साथ गर्मी के इस संवेदनशील मौसम को देखते हुए जलापूर्ति व्यवस्था को निर्बाध रूप से जारी रखने के लिए जोन-5 एवं जोन-8 के अवर अभियंता श्री देवेंद्र बहादुर सिंह की पांच दिन की स्वीकृत छुट्टी को निरस्त कर दिया गया है। महाप्रबंधक ने स्पष्ट किया कि किसी भी अधिकारी या कर्मचारी की व्यक्तिगत अनुपस्थिति के कारण यदि जलापूर्ति प्रभावित होती है तो यह जनता के हितों के विरुद्ध है और ऐसे मामलों में तत्काल प्रशासनिक कार्रवाई की जाएगी।श्री कुलदीप सिंह ने यह भी कहा कि विभागीय अधिकारियों को जनता की सेवा भावना के साथ कार्य करना चाहिए। जल संकट की स्थिति में त्वरित रिस्पॉन्स और सतर्क निगरानी ही समाधान का मार्ग है। निरीक्षण के अंत में उन्होंने समस्त अभियंताओं को सख्त हिदायत दी कि वे नियमित फील्ड विजिट करें, टैंक व नलों की सफाई, लीकेज की मरम्मत और जल की गुणवत्ता की जांच पर विशेष ध्यान दें।
कई इलाकों में हटाए गए ठेले व अवैध गुमटियां
महापौर सुषमा खर्कवाल के निर्देशन व नगर आयुक्त गौरव कुमार के आदेशानुसार नगर निगम द्वारा शहर के विभिन्न जोनों में सघन अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाया गया। इस अभियान में अवैध रूप से सड़कों और सार्वजनिक स्थलों पर कब्जा जमाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई।
जोन 6 के जोनल अधिकारी मनोज यादव के नेतृत्व में वार्ड हुसैनाबाद एवं कन्हैया माधवपुर प्रथम वार्ड में खुले में लगाई गई मीट की दुकानों को हटाया गया। साथ ही सुमैला मार्केट से पानी की टंकी के समीप, बुद्धेश्वर चौराहे पर अवैध टैक्सी स्टैंड और अन्य अस्थायी अतिक्रमण को हटाया गया। इस कार्रवाई में 10 ठेले और 6 अस्थायी दुकानों को हटवाया गया तथा अतिक्रमणकारियों को चेतावनी दी गई कि भविष्य में दोबारा कब्जा करने पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। जोन 3 के जोनल अधिकारी श्री अमरजीत यादव के नेतृत्व में पुरनिया तिराहा पुल के नीचे से सड़क किनारे जमा कबाड़ को हटाया गया। साथ ही इंदलगंज और मोहिबुल्लापुर स्टेशन के पास बैंक ऑफ बड़ौदा के सामने से 6 ठेले, 1 लोहे का काउंटर, 1 पान की गुमटी एवं अन्य अस्थायी अतिक्रमण को हटाया गया। जानकी वाटिका पार्क के समीप स्थित एक अन्य गुमटी, 2 इलेक्ट्रॉनिक कांटा और 10 कैरेट को भी जब्त किया गया। हरदोई रोड अवध चौराहा पर अराजक तरीके से खड़े टैम्पो/टैक्सी स्टैंड को थानाध्यक्ष मानक नगर और कर अधीक्षक आलोक श्रीवास्तव के सहयोग से व्यवस्थित कराया गया। साथ ही चंदन नगर भूमिगत पार्किंग से लेकर आलमबाग मेट्रो स्टेशन और अवध चौराहे तक फैले अस्थायी अवैध अतिक्रमण जैसे ठेले, गुमटी, काउंटर, खुमचे आदि को हटाया गया। इस अभियान में 2 लोहे की बेंच, 1 काउंटर, 2 सिलेंडर, 1 लकड़ी की टेबल और अन्य सामग्री जब्त की गई। जोन-7 में खुर्रम नगर चौराहे से विकास नगर मोड़ और रहीमनगर रोड पर नाले पर किए गए अवैध अतिक्रमण को हटाया गया। 4 स्थानों से नाले के रैम्प ध्वस्त, 1 ठेला, 2 ठेलियां, 4 गुमटी, 2 लोहे के काउंटर हटाए गए। अतिक्रमणकारियों को दोबारा कब्जा न करने की सख्त चेतावनी दी गई।