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REPORT BY:PREM SHARMA ||AAJNATIONAL NEWS
लखनऊ। नगर आयुक्त इन्द्रजीत सिंह के नेतृत्व में अपर नगर आयुक्त अरूण कुमार गुप्त, पर्यावरण अभियन्ता संजीव प्रधान, जोनल अधिकारी-05 नन्द किशोर यादव, नगर अभियन्ता-05 राजीव कुमार शर्मा, जोनल सेनेटरी अधिकारी-राजेश यादव, अवर अभियन्ता अभिषेक गुप्ता एवं अन्य अधिकारीद्वारा नगर निगम सीमार्न्तगत जोन-05 स्थित केसरीखेडा मे स्वच्छ भारत मिशन के ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन मद से प्राप्त धनराशि से सॉलिड वेस्ट मैनेजमेन्ट के तहत आस-पास के इलाके मे जनित कूडे के प्रबन्धन एवं निस्तारण कार्य को सुचारू रूप से कराये जाने हेतु निर्माणाधीन एफ.सी.टी.एस का निरीक्षण किया गया।निरीक्षण के दौरान नगर आयुक्त द्वारा धीमी गति से कार्य कराये जाने पर सम्बन्धित संस्था पर रोष व्यक्त करते हुए संस्था पर पचास हजार रूपये की पेनाल्टी लगाते हुए पन्द्रह दिन के अन्दर कार्य पूर्ण कराये जाने के निर्देश दिये गये अन्यथा की स्थिति मे संस्था के विरूद्ध कठोर कार्यवाही किये जाने की चेतावनी दी गई।
एफ.सी.टी.एस के कार्यान्वयन के सम्बन्ध में पर्यावरण अभियन्ता द्वारा बताया गया कि आवष्यक मषीनों एवं वाहनों यथा हुक लोडर, कॉम्पैक्टर मषीन व 20 टन क्षमता के 4 एफसीटीएस कैप्सूल आदि की आपूर्ति प्राप्त हो चुकी है। स्थल पर इलेक्टिंकल व सिविल निर्माण का कार्य चल रहा है तथा विद्युत कनेक्शन कराये जाने के सम्बन्ध में निर्देश दिये हैं। एससीटीएस केबनने से 3 से 4 वार्डों का प्रतिदिन लगभग 80 से 90 टन कूडे को कवर करते हुए परिवहन किया जा सकेगा। गार्बेज वर्नेबल प्वाइन्ट को समाप्त किया जा सकेगा। कार्यक्रम में महापौर व नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने छात्रों का उत्साह वर्धन किया और परिश्रम करने के लिए प्रेरित किया ।
चेयरमैन अपने पद का कर रहे दुरुपयोग: अभियंता संघ
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ ने प्रदेश के ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा से अनुरोध किया है कि वे तत्काल प्रभावी हस्तक्षेप करें। जिससे पावर कारपोरेशन के चेयरमैन आशीष गोयल जी को पद का दुरुपयोग करते हुए वीसी के माध्यम से अभियंताओं को डराने, भय का वातावरण बनाने और अभियंता संघ पर लांछन लगाने से रोका जा सके।अभियंता संघ के अध्यक्ष राजीव सिंह एवं महासचिव जितेंद्र सिंह गुर्जर ने आज यहां बताया की पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष आशीष गोयल अपने दौरों के दौरान जगह-जगह पर अभियंताओं को धमकी दे रहे हैं कि सब लोग लिख कर दें कि वे हड़ताल पर नहीं जाएंगे अन्यथा उन्हें बर्खास्त कर दिया जाएगा, इससे कार्य का वातावरण दूषित हो रहा है और अभियंता हतोत्साहित हो रहे हैं।
अभियंता संघ के अध्यक्ष और महासचिव ने बताया कि आज तब हद हो गई जब चेयरमैन ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए वीसी के माध्यम से अभियंताओं को धमकाया और अभियंता संघ की कार्य प्रणाली व अभियंता संघ के नेतृत्व पर अनर्गल लांछन लगाए। अभियंता संघ ने इस मामले में ऊर्जा मंत्री से अनुरोध किया है कि वे तत्काल हस्तक्षेप करें और चेयरमैन को इस प्रकार के कृत्यों से रोकें, जिससे मुख्यमंत्री और आपके कुशल नेतृत्व में बिजली अभियंता बिजली व्यवस्था में सुधार हेतु पूर्ववत जुटे रह सके।
नगर निगम की 35 करोड़ रुपये की भूमि हुई कब्ज़ा मुक्त
शासन के आदेशों के क्रम में नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह के निर्देशानुसार नगर में अवैध कब्जेदारों पर कार्यवाही एवं सरकारी भूमिया,संपत्तियों को कब्ज़ा मुक्त करवाये जाने हेतु लगातार सघन अभियान चलाए जा रहे हैं।अभी तक करोड़ो रुपयों की विभिन्न सरकारी भूमि,संपत्ति, जो विगत लंबे समय से कब्जे में थीं, उन्हें खाली करवाया जा चुका है और लगातार एक के बाद एक बड़ी कार्यवाहियों को अमल में लाया जा रहा है। आज नगर निगम द्वारा अवैध कब्जे से मुक्त कराई गठई भूमि का बाजारू कीमत लगभग 35 करोड़ रूपये आंकी गई है।
जानकारी के अनुसार बिजनौर, तहसील सरोजनी नगर, जनपद- लखनऊ की गाटा संख्या-414, 425, 426, 446 व अन्य गाटा संख्याओं को मिलाकर, जो नगर निगम में निहित सम्पत्ति हैं, जिन पर प्लॉटिंग कर दी गई थी। नगर आयुक्त इन्द्रजीत सिंह के निर्देशानुसार अपर नगर आयुक्त पंकज श्रीवास्तव व प्रभारी अधिकारी (सम्पति) संजय कुमार यादव व तहसीलदार नगर निगम अरविन्द कुमार पाण्डेय, तहसीलदार संजय सिंह, नायब तहसीलदार रत्नेश श्रीवास्तव के नेतृत्व में लेखपाल नगर निगम संदीप कुमार यादव, मुदुल मिश्र, आलोक यादव, राहुल यादव, विनोद वर्मा,मनोज आर्या,अनूप गुप्ता तथा नगर निगम की ईटीएफ टीम व थाना पुलिस बल (थाना-बिजनौर) की उपस्थिति में जे.सी.बी. द्वारा 1.630 हे. भूमि से अवैध निर्माण को ध्वस्त करने की कार्यवाही की गई।
बिजली दरों में बढोतरी का उपभोक्ता परिषद ने रखा प्रस्ताव
-उपभोक्ताओं का 33122 करोड सरप्लस: आयोग संशोधित प्रस्ताव मंगवाये
दक्षिणांचल पूर्वांचल मध्यांचल पक्षमांचल केस्को की तरफ से लगभग 12800 करोड का गैप दिखाकर वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए उपभोक्ताओं की बिजली दरों में चोर दरवाजे 15 से 20 प्रतिसत बढोतरी करने के प्रस्ताव पर ग्रहण लग गया। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार व सदस्य संजय कुमार सिंह से मुलाकात कर उनके समक्ष एक लोक महत्व विरोध प्रस्ताव दाखिल कर दिया। उपभोक्ता परिषद की तरफ से कहा कि बिजली कंपनियों के तरफ से दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यकता कानून के तहत सही नहीं है। जब प्रदेश के उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर 33122 करोड सरप्लस निकल रहा है ऐसे में बिजली दरों में कमी का प्रस्ताव दाखिल होना चाहिए था। इसलिए इसे संशोधित कराया जाए।
इसके अलावा दूसरा बिजली कंपनी दक्षिणांचल व पूर्वाचल के निजीकरण पर बडा पेंच फसता नजर आ रहा है। उपभोक्ता परिषद ने कहा जब दक्षिणांचल वह पूर्वांचल की तरफ से भी वर्ष 2025 -26 का बिजली दर प्रस्ताव दाखिल हो गया है। तो अब इस वित्तीय वर्ष में इस बिजली कंपनी को निजी हाथों में नहीं दिया जा सकता क्योंकि निजी हाथों में 51 प्रतिशत शेयर निजी कंपनियों का होगा। लेकिन जो बिजली दर प्रस्ताव दाखिल किया गया है वह दक्षिणांचल और पूर्वांचल का है ऐसे में इस वित्तीय वर्ष में अब उसके शहर में कोई भी बदलाव नहीं हो सकता।उत्तर प्रदेश राज विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने एक बडा लीगल सवाल उठाते हुए कहा पावर कॉरपोरेशन जिसकी कोई लीगल आइडेंटी नहीं है।उसके द्वारा संविधान दिवस की पूर्व संध्या पर दक्षिणांचल व पूर्वांचल को निजी हाथों में पीपीपी मॉडल के तहत सौंपने का ऐलान किया गया। पावर कारपोरेशन को कानून का ज्ञान नहीं है। सबसे पहले विद्युत अधिनियम 2003 पढना चाहिए विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 19(3) में स्पष्ट रूप से प्रावधानित है। सबसे पहले पूर्वांचल दक्षिणांचल को यदि पीपीपी मॉडल में दिया जाना था तो सबसे पहले दक्षिणांचल व पूर्वांचल विद्युत कंपनी को कारण बताते हुए रीवोक्ड लाइसेंस का आवेदन देना था। विद्युत अधिनियम 2003 यह कहता है कि कम से कम 3 महीने की नोटिस के बाद ही लाइसेंस रीवोकड होगा। ऐसे में अब बिजली कंपनियां रीवोक्डे लाइसेंस के लिए आवेदन भी कानून आयोग को नहीं दे सकती। क्योंकि उनके द्वारा वर्ष 2025- 26 के लिए बिजली दर का प्रस्ताव दाखिल कर दिया गया है। इसका मतलब इस वित्तीय वर्ष में दक्षिणांचल और पूर्वांचल ही उपभोक्ताओं की सेवा करेगी। अध्यक्ष ने पावर कॉरपोरेशन की लीगल आइडेंटी पर भी सवाल उठाते हुए कहा उसके द्वारा किसके दबाव में असंवैधानिक परिपाटी का निर्वहन करते हुए दोनों बिजली कंपनी को निजी क्षेत्र में देने की बात की जा रही है। यह बहुत गंभीर मामला है। सबसे पहले आयोग इस प्रक्रिया को तत्काल रोके और पूर्वांचल दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का जो बोर्ड आफ डायरेक्टर है उसको बर्खास्त करने के दिशा में आगे बढे। क्योंकि प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का एग्रीमेंट इन दोनों बिजली कंपनियों के साथ है। इन दोनों बिजली कंपनियों को किसी के हाथ में बेचना बिना उपभोक्ताओं को कॉन्फिडेंस में लिए उचित नहीं है। प्रदेश के उपभोक्ताओं का सभी बिजली कंपनियों पर लगभग 5000 करोड से ज्यादा की सिक्योरिटी राशि जमा है। इन दोनों बिजली कंपनियों पर भी लगभग 2500 करोड से ज्यादा उपभोक्ताओं की सिक्योरिटी है। ऐसे में उसके साथ खिलवाड करना उचित नहीं है।
निजीकरण के विरोध में कैबिनेट मंत्री सचान को ज्ञापन
उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन आरक्षण बचाओ विभाग बचाव अभियान के तहत आज तीसरे दिन उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री राकेश सचान से उनके आवास पर मुलाक़ात कर दक्षिणांचल वहाँ पूर्वांचल के निजीकरण के फलस्वरूप दलित व पिछड़े वर्गों के लिए लागू आरक्षण व्यवस्था को बनाए रखने के लिए सहयोग माँगा उत्तर प्रदेश पावर आफिसर असोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा के नेतृत्व में एक 5 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल मंडल ने कैबिनेट मंत्री राकेश सचान को अवगत कराया। प्रतिनिधि मण्डल ने बताया कि जिस प्रकार से निजीकरण को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश के लगभग 42 जनपद दों को चिन्हित किया गया है।उससे दलित व पिछड़े वर्गों सहित कमज़ोर रूप से से सामान्य वर्ग के लोगों का आरक्षण समाप्त हो जाएगा। ऐसे में हम सब की माँगो उचित स्तर पर पहुँचा कर न्याय दिलाए।
उत्तर प्रदेश पावर ऑफ़िसर एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा के साथ कैबिनेट मंत्री से मिलने वाले संगठन के महासचिव अनिल कुमार, सचिव आर पी केन, संगठन सचिव बिंद्रा प्रसाद, वेद प्रकाश, विनय कुमार ने कहा कि कैबिनेट मंत्री राकेश सचान से मुलाक़ात की और काफ़ी सार्थक वार्ता हुई है। एसोसिएशन को पूरी उम्मीद है कि उनकी माँगो को उचित फ़ोरम पर उठाकर न्याय कराया जाएगा। पावर आफिसर असोसिएशन के पदाधिकारियों ने कहा यह आंदोलन अब तक जारी रहेगा जब तक आरक्षण की व्यवस्था को बहाल करने के लिए उचित क़दम नहीं उठाया जाता साथ ही निजीकरण की प्रक्रिया पर विराम नहीं लग जाता। कैबिनेट मंत्री ने भरोसा दिया उनकी मानगो को सक्षम स्तर पर रखा जाएगा।
निजीकरण के विरोध में नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी की 11 दिसम्बर को बैठक
नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रीसिटी इम्प्लॉइज एण्ड इंजीनियर्स (एनसीसीओईईई) की हुई वचुअर्ल बैठक में यह निर्णय लिया गया कि उप्र और चंडीगढ़ में हो रहे बिजली के निजीकरण के विरोध में 06 दिसम्बर को पूरे देश में सभी जनपदों और परियोजना मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन किये जायेंगे। एनसीसीओईईई ने यह भी निर्णय लिया कि उप्र में निजीकरण के विरोध में चल रहे संघर्ष को धार देने के लिए आगामी 11 नवम्बर को एनसीसीओईईई के सभी राष्ट्रीय पदाधिकारी लखनऊ में मीटिंग कर संघर्ष के कार्यक्रमों का ऐलान करेंगे।
उप्र के बिजली कर्मियों के निजीकरण के विरोध में चल रहे आन्दोलन को प्रतिदिन देश के विभिन्न प्रान्तों के बिजली इंजीनियरों का समर्थन मिल रहा है। कल पंजाब, उत्तराखण्ड और जम्मू कश्मीर के बिजली अभियन्ता संघों ने समर्थन दिया था तो आज झारखण्ड, महाराष्ट्र और हरियाणा के बिजली अभियन्ता संघों ने उप्र के मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर मांग की है कि निजीकरण का प्रस्ताव तत्काल वापस लिया जाये अन्यथा की स्थिति में इन प्रान्तों के बिजली कर्मी उप्र के बिजली कर्मियों का पुरजोर समर्थन करेंगे।इधर उप्र इंजीनियर्स एसोसियेशन के महामंत्री आशीष यादव ने पावर कारपोरेशन के चेयरमैन को पत्र लिखकर यह सूचित कर दिया है कि हड़ताल होने की स्थिति में सिंचाई विभाग के अभियन्ता पॉवर कारपोरेशन में कार्य करने नहीं आयेंगे। उल्लेखनीय है कि पॉवर कारपोरेशन के चेयरमैन ने 09 सरकारी विभागों को पत्र लिखकर उनसे हड़ताल की स्थिति में अभियन्ताओं और कर्मचारियों की मांग की थी।विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र ने कहा है कि पॉवर कारपोरेशन द्वारा जारी किया गया एफएक्यू डॉक्यूमेंट अपने आप में निजीकरण के बाद विद्युत वितरण निगमों के कर्मचारियों की छंटनी का खुला दस्तावेज है। संघर्ष समिति ने कहा कि इस दस्तावेज में साफ तौर पर लिखा गया है कि 51 प्रतिशत हिस्सेदारी निजी क्षेत्र की होगी जिसका मतलब है कि विद्युत वितरण निगमों का सीधे निजीकरण किया जा रहा है।यह भी लिखा गया है कि बेचे जाने वाले पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के कर्मचारियों को निजीकरण के बाद एक साल तक निजी कम्पनी में काम करना पड़ेगा। यह इलेक्ट्रीसिटी एक्ट 2003 के सेक्शन 133 का खुला उल्लंघन है क्योंकि ऊर्जा निगमों के कर्मचारी सरकारी निगमों के कर्मचारी हैं उन्हें किसी भी परिस्थिति में जबरिया निजी कम्पनी में काम करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। यह भी कहा गया है कि एक साल तक निजी कम्पनी में काम करने के बाद कर्मचारी निजी क्षेत्र की मानव संसाधन नीति को समझ लेंगे। संघर्ष समिति ने कहा कि ऊर्जा निगमों के कर्मचारियों को भली-भांति पता है कि निजी क्षेत्र की मानव संसाधन नीति ‘हायर एवं फायर’ की नीति होती है जिसका मतलब है जब चाहें तब नौकरी से निकाल बाहर खड़ा कर सकते हैं। एफएक्यू डॉक्यूमेंट में यह कहना कि एक साल के बाद जो कर्मचारी निजी क्षेत्र में काम न करना चाहे उनके सामने शेष बचे हुए ऊर्जा निगमों में आने या वीआरएस लेकर घर जाने का विकल्प होगा। उल्लेखनीय है कि विद्युत वितरण निगमों में तीन प्रकार के कर्मचारी कार्य कर रहे हैं। एक वह जो कॉमन कैडर के हैं, दूसरे वह जो सम्बन्धित निगम के कर्मी हैं और तीसरे वह जो आउटसोर्स कर्मचारी हैं। जो सम्बन्धित निगम के कर्मी हैं निजी क्षेत्र से वापस आने के बाद उनका समायोजन किसी नियम के अन्तर्गत अन्य निगमों में नहीं किया जा सकता। साफ है ऐसे 23818 कर्मी सीधे-सीधे नौकरी से निकाल दिये जायेंगे। वीआरएस केवल उन्हीं कर्मचारियों को मिल सकता है जिनकी 30 साल की सेवा हो। वीआरएस भी एक प्रकार की छंटनी है।