-महापंचायत के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय को दिया जाएगा ज्ञापन
- REPORT BY:PREM SHARMA || EDITED BY:AAJ NATIONAL NEWS DESK
लखनऊ । विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने ऊर्जा मंत्री के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि यदि ऊर्जा मंत्री विभाग से सचमुच भ्रष्टाचार समाप्त करना चाहते हैं तो बिजली के निजीकरण की पूरी तरह भ्रष्टाचार में डूबी हुई प्रक्रिया तत्काल निरस्त करें। संघर्ष समिति के आह्वान पर आज लगातार 121वें दिन समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर विरोध प्रदर्शन किया गया।
संघर्ष समिति द्वारा निजीकरण के विरोध में चलाए जा रहे हैं अभियान के तहत 29 मार्च को वाराणसी में बिजली महापंचायत आयोजित की गई है। संघर्ष समिति ने कहा कि इस बिजली महापंचायत के माध्यम से निजीकरण के विरोध में पारित प्रस्ताव वाराणसी स्थित पी एम ओ को सौंपा जाएगा और प्रधानमंत्री तथा वाराणसी के सांसद नरेंद्र मोदी से यह निवेदन किया जाएगा की प्रदेश और विशेषतया वाराणसी की आम जनता के व्यापक हित में निजीकरण का फैसला निरस्त कराने की कृपा करें।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने ऊर्जा मंत्री के इस वक्तव्य पर कड़ा एतराज जताया है जिसमें उन्होंने कहा है कि अब एक ट्रांसफार्मर फुकेगा तो एक अधिकारी भी फूंकेगा।संघर्ष समिति ने कहा कि जब प्रदेश के बिजली कर्मी मुख्यमंत्री जी पर पूरा विश्वास रखते हुए उनके कुशल नेतृत्व में लगातार बिजली व्यवस्था के सुधार में लगे हुए हैं तब ऊर्जा मंत्री द्वारा दिए गए ऐसे भड़काऊ बयान से अनावश्यक तौर पर ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशांति का वातावरण उत्पन्न हो रहा है जो उचित नहीं है।
संघर्ष समिति ने कहा कि निजीकरण के उतावलेपन में जिस प्रकार ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट की कनफ्लिक्ट आफ इंटरेस्ट के प्राविधान को हटाकर नियुक्ति की गई है उससे बड़ा भ्रष्टाचार का कोई दूसरा उदाहरण सारे देश में नहीं है। यदि ऊर्जा मंत्री सचमुच भ्रष्टाचार के प्रति गंभीर है तो निजीकरण की प्रक्रिया को रद्द कर सारे मामले की जांच के लिए सीबीआई को क्यों नहीं भेजते ? उन्होंने कहा कि लाखों करोड़ रुपए की 42 जनपदों की बिजली की परिसंपत्तियों को कौड़ियों के मोल बेचा जा रहा है इससे बड़ा भ्रष्टाचार और क्या हो सकता है ? ऊर्जा मंत्री को अपने ही विभाग में चल रहे इतने बड़े भ्रष्टाचार पर कठोर कार्यवाही कर उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए। संघर्ष समिति के केंद्रीय पदाधिकारियों ने आज प्रयागराज में और मिर्जापुर में जन जागरण सभा की। प्रयागराज और मिर्जापुर की जन जागरण सभा में बड़ी संख्या में बिजली कर्मचारियों, संविदा कर्मियों और अभियंताओं ने हिस्सा लिया।बिजली के निजीकरण के विरोध में वाराणसी में 29 मार्च को होने वाली बिजली महापंचायत में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के अंतर्गत आने वाले समस्त जनपदों में कार्यरत बिजली कर्मी सम्मिलित होंगे।वाराणसी की बिजली महापंचायत की तैयारी के सिलसिले में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के संयोजक शैलेंद्र दुबे आज शाम वाराणसी पहुंचे और उन्होंने संघर्ष समिति के स्थानीय पदाधिकारियों ,आम कर्मचारियों और अभियंताओं से चर्चा की। उन्होंने वाराणसी में सभा को संबोधित किया।आज वाराणसी, आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, मिर्जापुर, आजमगढ़, बस्ती, अलीगढ़, मथुरा, एटा, झांसी, बांदा, बरेली, देवीपाटन, अयोध्या, सुल्तानपुर, हरदुआगंज, पारीछा, ओबरा, पिपरी और अनपरा में विरोध प्रदर्शन किया गया।
निजीकरण हुआ खारिज, सरकार को तत्काल निजीकरण पर रोक लगाएं
-टैरिफ रेगुलेशन 2029 तक रहेगा लागू
उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा 16 जनवरी 2025 को मल्टी ईयर वितरण टैरिफ रेगुलेशन 2025 का मसौदा जारी किया गया प्रदेश की जनता से आपत्ती एवं सुझाव मांगे गए जिसके बिंदु 45 पर भविष्य के निजीकरण पर भी मसौदा प्रस्तावित किया गया। जो स्वतः सिद्ध करता है कि नवंबर 2024 में पावर कॉरपोरेशन द्वारा दक्षिणांचल व पूर्वाचल के 42 जनपदों के निजीकरण किए जाने का जो ऐलान किया गया था वह पूरी तरह इस प्रस्तावित भविष्य के निजीकरण के परिधि में आता है। यदि यह कानून बन जाता तो निश्चित ही प्रदेश की बिजली कंपनियां उत्तर प्रदेश सरकार सभी आज दुहाई देते कि इस पर जो भी आंदोलन चल रहे हैं अब उस आंदोलन का कोई मतलब नही।ं क्योंकि भविष्य के निजीकरण पर आयोग द्वारा मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन 2025 में विनियम बनाए जा चुके हैं। लेकिन अब यहां हुआ उल्टा पूरे प्रदेश की आम जनता हेतु जारी सार्वजनिक सूचना में मंगाई गई आपत्ति एवं सुझाव के बाद 19 फरवरी को आम जनता की सुनवाई हुई। जिसमें उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने अपने विधिक दलीलों के आधार पर यह सिद्ध कर दिया कि भविष्य में निजीकरण का प्रस्ताव पूरी तरह असंवैधानिक है। विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 181 के तहत विद्युत नियामक आयोग को जो अधिकार विनियम बनाने के लिए प्राप्त है उसमें भविष्य के निजीकरण पर कानून बनाने का कोई अधिकार नहीं है। अंततः विद्युत नियामक आयोग द्वारा कल मल्टी ईयर तेल रेगुलेशन 2025 जारी कर दिया गया जिसमें निजीकरण को खारिज कर दिया गया। यानी कि वर्तमान जो मल्टी ईयर टैरिफ कानून अगले 5 वर्षों तक लागू रहेगा उसमें निजीकरण की कोई जगह नहीं है।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा अब प्रदेश की बिजली कंपनियों को उत्तर प्रदेश सरकार को यह मान लेना चाहिए कि संवैधानिक तौर पर विद्युत अधिनियम 2003 के प्रावधानों के तहत बनाए गए विनियम में निजीकरण को कोई जगह नहीं मिली है। भविष्य के निजीकरण का प्रस्ताव खारिज हो गया है।उपभोक्ता परिषद की तरफ से यह भी कहा गया कि बहुत ही चालाकी से प्रदेश की बिजली कंपनियों व उत्तर प्रदेश सरकार ने टैरिफ रेगुलेशन में यह व्यवस्था इसलिए प्रस्तावित कराई थी जिससे आने वाले समय में निजीकरण के पश्चात देश के बड़े निजी घराने इस रेगुलेशन का लाभ लेकर बिजली दरों में बढ़ोतरी का भी अपना प्रस्ताव दाखिल कर सके। लेकिन उन्हें क्या पता था कि उपभोक्ता परिषद के विधिक सवालों के सामने यह असंवैधानिक प्रस्ताव टिक नहीं पाएगा और वही हुआ। अंतत निजीकरण टैरिफ रेगुलेशन से खारिज हो गया। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा भविष्य के निजीकरण के मामले में विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 108 भी निर्देश देने के लिए निजीकरण पर प्रस्तावित की गई थी उसे भी विरोध के बाद खारिज कर दिया गया आने वाले समय में अब लोकमहत्व का विषय विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 108 के तहत निजीकरण को सरकार नहीं बन पाएगी जो भी करना होगा वह बिजली कंपनियों व सरकार को विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 14 के तहत ही आगे आना पड़ेगा। जिसमें विद्युत नियामक आयोग की अनुमति के बाद ही कोई कार्रवाई आगे बढ़ सकती है।
नगर निगम की लाइसेंस फीस के बड़े बकायेदार, 31 मार्च तक भुगतान अनिवार्य
-लाइसेंस होंगे रद्द, किए जाएंगे ब्लैकलिस्ट
नगर निगम लखनऊ के अंतर्गत विज्ञापन (एडवर्टाइजमेंट) लाइसेंस फीस का भुगतान न करने वाली कई एजेंसियां और कंपनियां बकायेदारों की सूची में शामिल हो गई हैं। नगर निगम ने सभी बकायेदारों को नोटिस जारी कर दिया है और 31 मार्च 2025 तक बकाया राशि जमा करने का निर्देश दिया है। यदि समय पर भुगतान नहीं किया गया, तो निगम लाइसेंस रद्द करने और ब्लैकलिस्ट करने जैसी कड़ी कार्रवाई करेगा।
नगर निगम के अनुसार बड़े बकायेदारों में मे. सुशील इण्टरप्राइजेज एड. 1,12,312, मे. सरदार पटेल डेण्टल हास्पिटल 1,28,356, मे.शुभश्रीजा फूड्स एण्ड वेवरेज प्रा.लि. 32,090, मे. रेडियन्ट एड. 7,97,743, मे. फर्नीचर मार्ट एड 32,090, मे. टारस एड 48,135, मे. रॉयल कैफे 42,565, मे. दिव्यांशी कियेशन्स 3,24,361, मे. बी.आर. हुण्डई 64,178, मे. विश्वदर्शन 6,66,404, मे. टोटम मीडिया 1,60,445 जैसी दो तीन दर्जन से अधिक विज्ञापन एजेंसिंया शामिल है। नगर निगम के अधिकारियों ने साफ कर दिया है कि यदि 31 मार्च 2025 तक ये बकायेदार अपनी लाइसेंस फीस का भुगतान नहीं करते हैं, तो लाइसेंस रद्द करने और वैधानिक कार्रवाई करने जैसी सख्त कदम उठाए जाएंगे।नगर निगम प्रशासन ने अंतिम चेतावनी देते हुए कहा है कि ष्समय पर भुगतान न करने पर सख्त कार्रवाई होगी।ष्ऐसे में अब यह देखना होगा कि ये एजेंसियां समय पर भुगतान करती हैं या नगर निगम को मजबूरन कड़े कदम उठाने पड़ेंगे।